गणतंत्र दिवस पर आईसीएआर की झांकी में किसान के रूप में दिखेंगे महात्मा गांधी
इस बार की थीम गांधी, कृषि, किसान और पशुपालन पर आधारित है।
Divendra Singh 23 Jan 2019 12:32 PM GMT
नई दिल्ली। इस बार फिर गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) दूसरी बार खेती, पशुपालन और किसान की झांकी निकाल रहा है। इस बार की थीम गांधी, कृषि, किसान और पशुपालन पर आधारित है।
पिछले वर्ष पहली बार आईसीएआर को झांकी निकालने की मंजूरी दी थी गई थी। असल में गांधी को थीम में रखने का मकसद महात्मा गांधी की कृषि और किसान को लेकर उनकी सकारात्मक सोच है। कम हो लोगों को मालूम होगा कि अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण उन्होंने दुग्ध उत्पादन के बारे में ज्ञान अर्जन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के बेंगलोर केंद्र पर साल 1927 में 15 दिनों का प्रशिक्षण लिया था।
इसके साथ ही गांधी जी ने इंदौर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट इंड्रस्टी में साल में 1935 में खुद जाकर कम्पोस्ट तैयार करने की प्रक्रिया देखी। गांधी ने अपने विचारों में स्वदेशी नस्लों, जैविक कृषि और बकरी के दूध को उत्तम स्वास्थ्य के लिए बढ़ावा देना शामिल किया था। आईसीएआर की इस झांकी में दुग्ध उत्पादन, देसी नस्लों के विकास और उपयोग व पशुपालन आधारित जैविक कृषि की उपयोगिता के साथ ही गांव की समृद्धि का दिखाया गया है।
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