किसान गोबर को कचरा नहीं, आय का जरिया बनाएं : पीएम मोदी
Chandrakant Mishra 25 Feb 2018 5:27 PM GMT

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर लोगों से कहा कि गोबर को वो कचरा न समझे। मन की बात में पीएम ने कहा कि पशुओं का अपशिष्ठ (यानि गोबर-गोमूत्र) किसानों की कमाई का जरिया हो सकता है। किसान गोबर की खाद अपने खेतों के लिए ही नहीं बल्कि उसे ज्यादा मात्रा में उत्पादन कर कारोबार भी कर सकते हैं।
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम मन की बात में कहा, सरकार की गोबर धन स्कीम के जरिए वेस्ट को एनर्जी में बदलकर इसे आय का जरिया बनाया जा सकता है। पीएम ने कहा कि पशुओं के अपशिष्ट के इस्तेमाल की योजना को गोबरधन योजना नाम मिला। किसानों को गोबर की ब्रिक्री का सही दाम मिलेगा। गोबरधन योजना के ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म बनेगा।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पशुओं के अपशिष्ट के इस्तेमाल की योजना को गोबरधन योजना नाम मिला है। गोबर और कचरे को हम आय का स्त्रोत ।
मोदी ने मन की बात के 41वें संस्करण में भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन और जगदीशचंद्र बोस की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि पानी रंगीन क्यों हो जाता है? इसी प्रश्न ने भारत के एक महान वैज्ञानिक को जन्म दिया। डॉ. सीवी रमन प्रकाश को प्रकीर्णन (स्कैटरिंग) के लिए नोबेल प्राइज दिया गया। 28 फरवरी को ही उन्होंने ये खोज की थी।
इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।’ मन की बात में पीएम मोदी ने कहा, इस बार बजट में ‘स्वच्छ भारत’ के तहत गांवों के लिए बायोगैस के माध्यम से वेस्ट टू हेल्थ और वेस्ट टू एनर्जी बनाने पर जोर दिया गया। इसके लिए पहल शुरू की गई और इसे नाम दिया गया गोबर धन इस गोबर-धन योजना का उद्देश्य है, गांवों को स्वच्छ बनाना और पशुओं के गोबर और खेतों के ठोस अपशिष्ट पदार्थों को कम्पोस्ट और बायो-गैस में परिवर्तित कर, उससे धन और ऊर्जा पैदा करना।
गोबर धन योजना से ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेंगे लाभ
पीएम मोदी ने कहा, मवेशियों के गोबर, कृषि से निकलने वाले कचरे, रसोई घर से निकलने वाला कचरा, इन सबको बायोगैस आधारित ऊर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गोबर धन योजना के तहत ग्रामीण भारत में किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वो गोबर और कचरे को सिर्फ वेस्ट के रूप में नहीं बल्कि आय के स्रोत के रूप में देखें। उन्होंने कहा कि गोबर धन योजना से ग्रामीण क्षेत्रों को कई लाभ मिलेंगे।
गांव को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी। पशु-आरोग्य बेहतर होगा और उत्पादकता बढ़ेगी। पीएम ने कहा, भारत में मवेशियों की आबादी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा है। भारत में मवेशियों की आबादी लगभग 30 करोड़ है और गोबर का उत्पादन प्रतिदिन लगभग 30 लाख टन है। कुछ यूरोपीय देश और चीन पशुओं के गोबर और अन्य जैविक अपशिष्ट का उपयोग ऊर्जा के उत्पादन के लिए करते हैं लेकिन भारत में इसकी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा था। ‘स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण’के अंतर्गत अब इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।
बायोगैस प्लांट के लिए अनुदान
गोबर द्वारा चलने वाले जनता मॉडल के बायोगैस प्लांट में बाहर निकलने वाला गोबर (सलरी) गाढ़ा होता है, इसलिए इसे इकट्ठा करने के लिए गड्ढे की जरुरत नहीं पड़ती इसे आसानी से इकट्ठा करके खेत में डाला जा सकता है। अगर प्लांट ठीक तरह से बनाया गया है तो वह काफी साल तक चलता है। गोबर गैस प्लांट बनाने के लिए भारत सरकार समय-समय पर किसानों को अनुदान भी देती है।
गोबर धन योजना’ के लिए बनेगा आॅनलाईन ट्रेडिंग प्लेटफार्म
मवेशियों के गोबर, कृषि से निकलने वाले कचरे, रसोई घर से निकलने वाला कचरा, इन सबको बायोगैस आधारित उर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ‘गोबर धन योजना’ के तहत ग्रामीण भारत में किसानों, बहनों, भाइयों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वो गोबर और कचरे को सिर्फ वेस्ट के रूप में नहीं बल्कि आय के स्रोत के रूप में देखें।
‘गोबर धन योजना’ से ग्रामीण क्षेत्रों को कई लाभ मिलेंगे। गांव को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी। पशु-आरोग्य बेहतर होगा और उत्पादकता बढ़ेगी। बायोगैस से खाना पकाने और लाइटिंग के लिए ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। किसानों एवं पशुपालकों को आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं, बायोगैस की बिक्री आदि के लिए नई नौकरियों के अवसर मिलेंगे।
देश भर में पशुओं से हर साल 100 मिलियन टन गोबर मिलता है
सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में पशुओं से हर साल 100 मिलियन टन गोबर मिलता है जिसकी कीमत 5,000 करोड़ रुपए है। इस गोबर का ज्यादातर प्रयोग बायोगैस बनाने के अलावा कंडे और अन्य कार्यों में किया जाता है।
बॉयोगैस (मीथेन या गोबर गैस) मवेशियों के उत्सर्जन पदार्थों को कम ताप पर डाइजेस्टर में चलाकर माइक्रोब उत्पन्न करके बनाई जाती है। जैव गैस में 75 प्रतिशत मिथेन गैस होती है जो बिना धुंआ पैदा किए जलती है। लकड़ी, चारकोल और कोयले से उलट यह जलने के बाद राख जैसे कोई उपशिष्ट भी नहीं छोड़ती है।
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