'बच्चा चोर' बताकर इस शख्स का फोटो हुआ था वायरल, सूझबूझ से बचाई अपनी जान

मई में तेलंगाना के जेत्ती और उनके दो साथियों के फोटो व्हट्सऐप पर वायरल हो रहे थे जिनके साथ एक वॉइस मैसेज भी था। इस मैसेज में इन तीनों का परिचय यह कहते हुए दिया गया था कि ये तीनों गांव-गांव घूम कर बच्चों का अपहरण करते हैं और फिर उनकी हत्या कर देते हैं।

Alok Singh BhadouriaAlok Singh Bhadouria   7 July 2018 6:52 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बच्चा चोर बताकर इस शख्स का फोटो हुआ था वायरल, सूझबूझ से बचाई अपनी जानप्रतीकात्मक फोटो

पिछले दो महीनों में देश भर में 16 ऐसे मामले हुए हैं जिनमें नाराज भीड़ ने अजनबियों पर हिंसक हमला किया। त्रिपुरा से महाराष्ट्र तक घटी इन घटनाओं में लगभग 22 लोगों की हत्या हुई। इन सभी मामलों में सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेज वायरल हो रहे थे जिनमें कहा जा रहा था कि अजनबी बच्चों को अगवा कर उनकी हत्या कर रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स थे तेलंगाना के जेत्ती यदाइआ जिनकी फोटो अपहरणकर्ता के रूप में वायरल हो गई लेकिन सही समय पर सही कदम उठाकर उन्होंने न केवल खुद को अनहोनी से बचा लिया बल्कि फोटो वायरल करने वालों को भी कानून के हवाले कर दिया।

जेत्ती पेशे से गड़रिया हैं और तेलंगाना के वानारपति जिले के मांझीपेट गांव में रहते हैं। मई में उन्होंने देखा कि उनके और उनके दो साथियों के फोटो व्हट्सऐप पर वायरल हो रहे हैं जिनके साथ एक वॉइस मैसेज भी था। इस मैसेज में इन तीनों का परिचय यह कहते हुए दिया गया था कि ये तीनों गांव-गांव घूम कर बच्चों का अपहरण करते हैं और फिर उनकी हत्या कर देते हैं। इस मैसेज के आखिर में कहा गया था कि इस मैसेज को 10 लोगों को फॉरवर्ड कर दिया जाए और चेतावनी दी गई थी कि इन तीनों को देखते ही मार डाला जाए।

मई में जेत्ती ने देखा कि उनके और उनके दो साथियों के फोटो व्हट्सऐप पर वायरल हो रहे हैं। साभार- द न्यूज मिनट

शुरू में जेत्ती ने इस मैसेज को गंभीरता से नहीं लिया। पर कुछ समय बाद उन्होंने देखा कि यह मैसेज पूरे गांव के व्हट्सऐप मैसेज ग्रुपों में वायरल हो गया है। अब उन्हें चिंता होने लगी। जेत्ती ने उस व्यक्ति से संपर्क करने की कोशिश की जिसने शुरू में यह मैसेज व्हट्सऐप पर डाला था। पहले तो इस शख्स ने साफ मान कर दिया कि उसने कुछ ऐसा किया है, ज्यादा दबाव डालने पर उसने कहा, "मुझे नहीं पता था कि यह इतना वायरल हो जाएगा।" अब जेत्ती ने उससे सबके सामने यह स्वीकार करने को कहा तो वह मुकर गया।

जेत्ती ने फिर कुछ लोगों की मदद से उस पर दबाव बनाया तो उसने कहा कि किसी और ने उसके फोन से यह मैसेज डाला है। अब इस नए शख्स से बात करने की कोशिश की गई तो उसने गाली-गलौच करना शुरू कर दिया। ये दोनों ही आरोपी नाबालिग थे और बाद में मान गए कि उन्होंने मजाक के तौर पर यह मैसेज वायरल किया था।

26 मई को जेत्ती ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में मामले की एफआईआर दर्ज करवाई। इसमें कहा गया था कि आरोपियों ने अफवाह फैलाकर गांववालों को येत्ती समेत तीन लोगों को हत्या करने के लिए उकसाया है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धाराओं और आईटी एक्ट के आधार पर केस दर्ज किया। इसके बाद दोनों आरोपियों के फोन कब्जे में लेकर उनको जुवैनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया गया जिसने उन्हें किशोर सुधारगृह भेज दिया।

जेत्ती का डर स्वाभाविक था क्योंकि वह भेड़ें चराते हैं और अक्सर उन्हें दूर-दराज के इलाकों में भी जाना होता है, कई बार तो आंध्र प्रदेश तक। जेत्ती का कहना था, "अगर हम लोगों को खेत या जंगल में घूमते या सोते मिल गए और उन्होंने हम पर हमला कर दिया तो कौन जिम्मेदार होगा।"

बहरहाल, अब जेत्ती ने अपने साथियों के साथ मिलकर अपने आस-पास और परिचय के लोगों के मोबाइल से वह मैसेज डिलीट कराना शुरू किया, पुलिस ने भी इस काम में मदद की। इसके बाद पुलिस की सहायता से सोशल मीडिया पर एक और मैसेज भेजा गया जिसमें मामले की हकीकत बयान करते हुए अपील की गई थी कि वायरल हुए झूठे मैसेज पर भरोसा न किया जाए और उसे डिलीट कर दिया जाए। पुलिसवालों ने गांव वालों के बीच फेक न्यूज और सोशल मीडिया पर फैल रही अफवहों की जानकारी देने के लिए एक जागरुकता अभियान भी चलाया।

ये पुलिसवाले सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से कुशलता से इसलिए निपट पाए क्योंकि उनकी मुखिया और जोगुलंबा गडवल जिले की एसपी रीमा राजेश्वरी ने फेक न्यूज के खिलाफ जबर्दस्त मुहिम चला रखी है। वह न केवल ग्रामीणों को बल्कि पुलिस विभाग को भी इस विषय में जागरुक बना रही हैं।

रीमा तेलंगाना के ग्रामीण इलाकों में पिछले 8 बरस से काम कर रही हैं।

रीमा तेलंगाना के ग्रामीण इलाकों में पिछले 8 बरस से काम कर रही हैं। नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करके रीमा ने बाल विवाह, बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सफल अभियान चलाए हैं। गांव कनेक्शन से बातचीत में रीमा ने बताया, " अपने पहले के अनुभव के आधार पर मैंने तय किया कि मुझे सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों के खिलाफ एक जन-जागरूकता अभियान चलाना होगा जिसमें आम जन की हिस्सेदारी होनी जरूरी है। इसके लिए मैंने ग्रामीण परंपरा में चले आ रहे सदियों पुराने संचार के तरीकों जैसे, लोकगीतों, ढोल वादकों और दूसरे लोक कलाकारों को इस मुहिम में शामिल किया।" ग्रामीण परंपरा में चले आ रहे सदियों पुराने संचार के तरीकों जैसे, लोकगीतों, ढोल वादकों और दूसरे लोक कलाकारों को फेक न्यूज के खिलाफ मुहिम में शामिल किया गया "शुरू में काफी मुश्किलें आईं पर हम अपनी बात लोगों तक पहुंचाते रहे। धीरे-धीरे गांव वालों ने हम पर भरोसा करना शुरू कर दिया। आज स्थिति यह है कि लोग खुद आकर हमें बताते हैं कि उनके पास कोई फेक या फर्जी मैसेज आया है, या कोई शख्स है जो जानबूझकर बुरे इरादे से ऐसी अफवाहें फैला रहा हैँ। ऐसे में हम आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हैं।" रीमा ने गांव कनेक्शन को बताया।

आज हालांकि अफवाह वाली बात लोग भूल चुके हैं लेकिन जेत्ती अब भी डरे हुए हैं। वह गांव से बाहर जाने में हिचकते हैं, लेकिन उन्होंने सही समय पर सही कदम उठाया और एक बड़ी घटना होने से बच गई।

यह भी देखें: लोकगीतों और डुगडुगी से फेकन्यूज को हरा रही हैं आईपीएस रीमा राजेश्वरी

यह भी देखें: फेक न्यूज रोकने को व्हट्सऐप लॉन्च करेगा नया फीचर, पता चलेगा मैसेज फॉरवर्ड किया है या खुद टाइप किया है

यह भी देखें: सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया भर में फैल चुकी है फेक न्यूज की बीमारी

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.