बुंदेलखंड में बड़े किसान आंदोलन की सुगबुगाहट, सैकड़ों महिला किसान पहुंचीं कलेक्ट्रेट
गाँव कनेक्शन 8 Jun 2017 5:23 PM GMT

झांसी। मध्य प्रदेश के मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर फायरिंग व 6 लोगों की मौत के बाद आज कलेक्ट्रेट से प्रदर्शन किया गया। ये प्रदर्शन अलग रहा क्योंकि यहां सैकड़ों की संख्या में सिर्फ महिला किसान पहुंचीं। खेती बाड़ी से जुड़ीं दर्जनों गांवों की सैकड़ों महिलाओं ने कलेक्ट्रेट पहुंच विरोध दर्ज कराया।
महिला किसानों ने कहा कि अगर अपनी मांगों को लेकर आवाज़ मुखर की जाए तो किसानों को गोलियां मिल रही हैं। ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मंदसौर की घटना के लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। महिला किसानों ने चेतावनी दी कि मंदसौर की तरह लंबे अरसे से समस्याओं से जूझ रहे किसानों के साथ ही वह भी सड़कों पर उतर बड़ा आंदोलन करेंगीं।
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बता दें कि अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन में हिंसा भड़क गई। प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गयी। इसके बाद हिंसा ने उग्र रूप धारण कर लिया है। मंदसौर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
मंदसौर की घटना का असर बुंदेलखंड में भी है। आर्थिक रूप से पिछड़े यहां के किसान लंबे समय से सूखा, कर्ज से जूझ रहे हैं। किसान आत्महत्या यहां बड़ा मुद्दा है। आंदोलन करने को तैयार कई किसान संगठन एक मंच पर आ गए हैं। आज सैकड़ों महिलाएं कलेक्ट्रेट पहुंचीं। एक साथ इतनी महिलाओं को देख प्रशासन भी सकते में आ गया। यहां महिला पुलिस को तैनात कर दिया गया।
महिला किसानों ने कहा कि इस बार उपज अच्छी हुई है, लेकिन उनका गेंहू नहीं खरीदा जा रहा है। किसान उपज लेकर मंडियों से लौट रहे हैं। मऊरानीपुर के भदरवारा गांव से आयीं राम कली ने कहा कि इसके साथ ही यूपी सरकार द्वारा कर्ज माफी में भेदभाव किया जाना भी ठीक नहीं है। कर्ज के कारण आत्महत्या होती है। सूखे से उबरने के कोई प्रयास नहीं हो रहे।
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भारतीय किसान यूनियन भानु गुट के बुंदेलखंड प्रभारी शिवनारायण सिंह परिहार ने कहा कि किसान परेशान हैं। फसल बीमा के नाम पर उन्हें ठगा जा रहा है। मुआवजे ऊंट के मुंह मे जीरा होता है। जब कर्ज माफी की बात आती है तो उसमें भी भेदभाव हो जाता है। किसान की फसल अच्छी हो कौड़ियों के भाव जाई है या सड़ जाती है। अच्छी न हो तब तो मुसीबत होती ही है।
किसान नेता महेंद्र शर्मा ने कहा कि महिला किसान भी आंदोलन के लिए तैयार हैं। अभी फिलहाल महिलाओं ने प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी मांगों से अवगत कराया है, लेकिन जल्द ही बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। इसका नेतृत्व भी महिलाएं ही करेंगीं।
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