कोरोना का संक्रमण तोड़ने के लिए देश ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन है। शहर हों या गांव बाजार तक बंद हैं। भीड़ तो दूर की बात है शादियों में भी 25-30 लोगों की सशर्त अनुमति मिल रही है। ऐसे दौर में ग्रामीण इलाकों में बैंकों के बाहर पिछले कई दिनों से भीड़ उमड़ रही है। ये भीड़ पीएम किसान योजना के 2000 रुपए निकलवाने के लिए हैण। 14 मई को देश के 9.5 करोड़ किसानों के खातों में पीएम किसान योजना की 8वीं किस्त आने के बाद बैंकों के बाहर लोगों का सैलाब उमड़ रहा है। बैंककर्मियों को डर है कि ये अनियंत्रित भीड़ उनके साथ साथ ग्रामीण इलाकों के लिए भी घातक साबित हो सकती है।
एक ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक संजीव पटेल फोन पर गांव कनेक्शन को बताते हैं, “ये दिन हमारे लिए सबसे मुश्किल भरे हैं। हम किसी को मना नहीं कर सकते। लोगों की सेवा भी करनी है, लेकिन इतनी भीड़ देखकर डर लगता है। क्योंकि हमें पता नहीं इनमें से किस को कोरोना हो। घर जाते वक्त भी डर ही रहता है।” संजीव, यूपी के मैनपुरी जिले में आर्यवर्त ग्रामीण बैंक के बिछवां में शाखा प्रबंधक हैं। बैंक में तीन लोग हैं, लेकिन किसी को टीका नहीं लगा है, क्योंकि सभी 45 वर्ष के नीचे हैं।
संजीव आगे कहते है, “15 मई से रोजाना करीब 400 लोग बैंक आ रहे हैं। आज (19 मई) को 400 लोग बैंक आए होंगे, जिसमें से 200 लोगों ने पैसा निकाला है और 95 फीसदी पैसा पीएम किसान सम्मान योजना का है। ये सिलसिला अगले एक हफ्ते तक जारी रहेगा। हमारी ब्रांच के करीब थाना है तो थोड़ा सपोर्ट मिल जाता है, लेकिन तमाम जगहों पर अनियंत्रित भीड़ उमड़ने की खबरें हम लोगों के पास आती हैं।”
प्रधानमंत्री जी द्वारा किसान सम्मान निधि की आठवीं किस्त जारी, देखो भुगतान के लिए बैंकों में मची है कैसी मारा मारी, बिना टीकाकरण और सुरक्षा के संक्रमित हो रहे बैंक कर्मचारी, लोकप्रियता तुम्हारी खतरे में जान हमारी @Bankers_We@rti_we @ppbajpai @ndtv @DFS_India pic.twitter.com/iAE4ZPa8nH
— Kamlesh Chaturvedi (@Kchaturvedi6756) May 17, 2021
बीती 14 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम किसान सम्मान योजना के तहत देशभर के 9,50,67,601 लाभार्थी किसानों के खातों में 2,06,67,75,66,000 रुपये एक बटन दबाकर ट्रांसफर किए गए। जिन किसानों के खातों में 2000 रुपये की किस्त भेजी गई, उनमें सबसे ज्यादा किसान उत्तर प्रदेश के हैं। यूपी के 261.5 लाख किसानों के खातों में कुल 5,230 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि भेजी गई है। ये पहली बार था, जब पश्चिम बंगाल के किसानों को इस योजना का लाभ मिला। 14 मई को पश्चिम बंगाल के 703955 किसान के खातों में 2815820000 रुपये भेजे गए।
“देखिए यहां बैंक प्रबंधन की गलती नहीं है, क्योंकि उन्होंने मास्क और फेस कवर सब दिया है, लेकिन बैंकों में जब 300-400 की भीड़ आ जाए तो उसे कैसे मैनेज किया जाए? जबकि गांवों में हालात इतने बदतर है। ये तो आप जान रहे हैं कि गांव में कैसे लोग टेस्ट तक नहीं करवाते है तो बैंक में क्या कोविड प्रोटोकॉल का पालन करेंगा। यहीं हालात रहे तो ग्रामीण इलाकों के “बैंक कोरोना बम” साबित होंगे।” ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के सचिव भोलेंद्र प्रताप सिंह चिंता जताते हुए कहते हैं।
इंडियन बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन ( IBOF) के मुताबिक पूरे देश में 12 सार्वजनिक बैंकों (public sector banks) और ग्रामीण बैंकों (rural regional banks) के 10 लाख के करीब कर्मचारी हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने 22 मार्च को एक पत्र जारी कर कहा कि संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने कोविड-19 महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक बैंकिंग क्षेत्र के कार्यों की सराहना की है। इस दौरान कई बैंक कर्मचारियों की मृत्यु भी हो गई है। उनके कार्यों को देखते हुए बैंक कर्मचारियों को कोरोना वॉरियर्स घोषित किया जाता है।” संबंधित खबर
बैंक कर्मियों की मांग है कि कोरोना फ्रंट लाइन वर्कर की तरह उन्हें प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन दी जाए और 50 लाख का बीमा कराया जाए। भोलेंद्र कहते हैं, “पिछले साल उज्जवला से लेकर किसान सम्मान योजना समेत कई तरह की योजनाओं का पैसा खातों में आया था। बैंकों में भारी भीड़ थी, लेकिन कोरोना गांव में नहीं था। इस बार तो कोरोना गांव में है। कई बैंक कर्मियों की जान जा चुकी है। कोरोना फ्रंट लाइन वर्कर होने के बाद भी सबको वैक्सीन नहीं लग रही है। लंबी लड़ाई के बाद प्रबंधन (आर्यावर्त ग्रामीण बैंक) ने 20-20 लाख का कोविड कवर दिया है, लेकिन हमारी मांग है बाकी कर्मचारियों की तरह हमें 50 लाख का सरकारी कवर दिया जाए।”
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हम बैंकर्स के लिए संजीवनी बूटी का इंतज़ाम किया जाएगा शायद वरना इस तरह की भीड़ आ रही है कोई तो बता ही देता इन कस्टमर्स को कि इनका पैसा कहीं नहीं जाएगा इनके अकाउंट में ही रहेगा। pic.twitter.com/gE6dEQPbVt
— Alankrit Shukla (@alashshukla) May 17, 2021
उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में हैं 18000 से ज्यादा कर्मचारी
पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर किसानों का काम ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों के हवाले हैं। यूपी में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के साथ तीन क्षेत्रीय (रीजनल) ग्रामीण बैंक कार्यरत हैं। ग्रामीण बैंकों में करीब 18000 अधिकारी और कर्मचारी हैं।
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (AIBOC) से जुड़े क्षेत्रीय बैंकों के अधिकारियों के संगठन ‘ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन’ के उत्तर प्रदेश सचिव संतोष तिवारी ने पिछले दिनों गांव कनेक्शन को बताया था, “यूपी में बड़ौदा यूपी ग्रामीण बैंक की 1983 शाखाएं हैं, जहां 8000 कर्मचारी हैं। आर्यावर्त ग्रामीण बैंक की 1367 शाखाएं हैं, जहां 6500 के करीब कर्मचारी हैं। प्रथमा बैंक की 850 शाखाएं हैं, जिनमें करीब 3500 कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत हैं। इनमें से ज्यादातर का टीकाकरण नहीं हुआ है, हम लोग सिर्फ नाम के कोरोना वॉरियर्स हैं ”
ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन (AIRRBOF) के सचिव भोलेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं, “कोविड की दूसरी लहर में यूपी में आर्यवर्त ग्रामीण बैंक के 13 कर्मचारियों की कोविड से मौत हुई है। बड़ौदा यूपी ग्रामीण बैंक के प्रधान कार्यालय को 32 मौतें रिपोर्ट हुई हैं, जबकि प्रथमा बैंक में 24 मौतें दर्ज की गईं हैं। बैंक के हजारों कर्मचारी संक्रमित होकर इलाज करवा रहे हैं, बैंक न्यूनतम कर्मचारियों के साथ काम कर रही हैं। “
बड़ौदा यू पी बैंक में 26 मार्च से 6 मई के बीच 26 स्टाफ की मृत्यु हुई है… यही कोई साधारण घटना नहीं है, 8500 कर्मचारी वाले बैंक में दो माह में इतने लोगो का चले जाना ये बताता है कि स्थिति कितनी बुरी है, और सरकार वैक्सीन देने को तैयार नहीं बैंकर्स को…@DFS_India @GoanConnection pic.twitter.com/Gx4O9REBxE
— Ujjwal Sriwastava (@UjjwalSri1993) May 18, 2021
दक्षिण भारत के बैंकों में भी भारी भीड़
सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं दक्षिण भारत में भी बैंकों में भीड़ उमड़ रही है। संजीव कुमार दलवाई (29 वर्ष) को अभी टीका नहीं लगा है। वे आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती से 450 किलोमीटर दूर विजयनगर के ग्रामीण इलाके में आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक के शाखा प्रबंधक है। आंध्र प्रदेश में किसानों को पीएम किसान योजना के 2000 रुपये के साथ ही 5500 रुपये रैयतु भरोसा योजना के तहत राज्य सरकार ने दिए हैं। जिसके बाद बैंकों में भीड़ उमड़ रही है।
संजीव फोन पर गांव कनेक्शन को बताते हैं, “पहले जहां 70-80 लोग रोज आते थे, आजकल 150 से ज्यादा लोग आ रहे हैं। न कोई मास्क पहनता है, ना कोरोना को मानता है। पुलिस की पहरेदारी भी नहीं है, सब कुछ भगवान भरोसे है। बैंक में करीब 7500 खाता धारक हैं। कई बैंक कर्मियों के कोविड संक्रमित होने के बाद सिर्फ दो लोग बैंक चला रहे हैं।”
क्या चाहते हैं बैंक कर्मी
बैंक कर्मचारियों की मांग है कि बैंक से जुड़े सभी स्टाफ, बैंक मित्र और चपरासी तक का तुरंत टीकाकरण किया जाए। उनका कहना है कि जब फ्रंट लाइन वर्कर घोषित किया गया है तो वो सुविधाएं भी मिलें।
बैंक यूनियन द्वारा जारी एक बयान में आयावर्त बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के महामंत्री आनंद कुमार ने कहा, “हमारे सैकड़ों कर्मचारी घर और अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। सीमित संसाधनों और मैनपावर के बीच इस भीड़ से निपटना आसान नहीं है, लेकिन हम लोग पूरे एहतियात के साथ कोशिश कर रहे हैं कि इस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया जाए।”
वहीं भोलेंद्र आगे कहते हैं, “इस मुश्किल वक्त में किसानों के खातों में पैसा आया है, ये अच्छा है। हालांकि एक डेढ़ माह की भयावह कोविड की दूसरी लहर में थोड़ी राहत मिलती दिख रही थी, लेकिन इन दिनों ग्रामीण बैंकों की शाखाओं के बाहर जो भारी भीड़ है, उससे तो न सिर्फ बैंक कर्मचारियों पर संकट है, बल्कि गांवों जो पहले से कोरोना की गिरफ्त में हैं, वहां हालात बिगड़ सकते हैं।”
ग्रामसभा वार बैंक से निकाले जाएं पैसे- सुझाव
ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन (AIRRBOF) ने सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि न सिर्फ बैंक कर्मियों बल्कि ग्रामीणों को भी संक्रमण से बचने के लिए किसान सम्मान निधि योजना के लिए ग्राम सभा वार दिन तय किए जाएं। पहले आओ पहले पाओ के आधार पर सिर्फ 100 टोकन रोज दिए जाएं ताकि लिमिटेड भीड़ में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा सके।