किसानों का जीवन बेहद दुष्कर : हेमा मालिनी 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   22 Feb 2018 3:59 PM GMT

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किसानों का जीवन बेहद दुष्कर : हेमा मालिनी हेमा मालिनी

मथुरा। मशहूर अभिनेत्री व भाजपा सांसद हेमामालिनी ने कहा कि बरसों पहले उन्होंने फिल्मों में ग्रामीण चरित्रों को भले ही निभाया हो लेकिन सच तो यह है कि उनके बीच रहने के बाद ही जान पाई हूं कि आखिर एक किसान का जीवन कितना दुष्कर होता है।

स्वप्नसुंदरी के खिताब से नवाजी गई अभिनेत्री हेमामालिनी (69 वर्ष) ने कहा कि असल ग्रामीण जीवन सिनेमा में दर्शाए जाने वाले ग्रामीण जीवन और चरित्रों से बिल्कुल अलग है। किसान बेहद कड़ी परिस्थितियों में देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने का काम करते हैं। उनका योगदान प्रशंसनीय है।

हेमामालिनी जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर पलसों गांव में किसान जागरूकता सम्मेलन एवं कृषि प्रदर्शनी के अवसर पर ग्रामीणों को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने सांसद क्षेत्रीय विकास निधि से किसानों को उनके गांवों में मृदा स्वास्थ्य परीक्षण के लिए सभी संसाधनों से युक्त दो मोबाइल वैन, गंभीर रूप से बीमार पशुओं को विश्वविद्यालय के कोठारी पशु चिकित्सालय ले जाने और वापस लाने के लिए एनिमल एंबुलेंस, गांव के प्राइमरी स्कूल के लिए फर्नीचर एवं इण्टर कालेज में शौचालय निर्माण के लिए धनराशि देने का ऐलान भी किया।

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अभिनेत्री हेमामालिनी ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दुगुनी करने के लिए पूरी तरह से संकल्पित हैं। वे प्रत्येक संसदीय सत्र के दौरान सांसदों को एक शिक्षक की भांति खेती-किसानी से संबंधित समस्याओं को संसद में उठाने, उनके हल खोजने तथा किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए चलाई जा रही स्कीमों की जानकारी उन तक पहुंचाने की सीख देते रहते हैं।

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सांसद ने किसानों को खेती के साथ-साथ पशुपालन अपनाने पर जोर देने का महत्व समझाते हुए कहा, अब पारम्परिक खेती के स्थान पर उन्नत एवं आधुनिक तकनीक से परिपूर्ण खेती करने का वक्त आ गया है। इसी से किसानों का भला होगा। इसके लिए विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों तक नवीन जानकारियां एवं तकनीक उनके द्वार तक पहुंचाने का काम कर रहा है।

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उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा संचालित की जा रहीं तमाम योजनाओं की जानकारी देते हुए किसानों से उनका पूरा-पूरा लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने मिट्टी की जांच कराने, जैविक खेती अपनाने, रासायनिक खादों से दूरी बनाने, नीम कोटेड खाद के प्रयोग, गोबर की खाद के प्रयोग, टपक एवं बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली अपनाने, फसल बीमा कराने, बहुफसली खेती अपनाने व उन्नत बीजों के उपयोग जैसी सलाह दीं।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान संस्थान के कुलपति डा. कृष्णमुरारी लाल पाठक ने कहा, कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों के द्वार पर जाकर उन्नत तकनीकि का प्रसार करने का काम किया जा रहा है। जिसका लाभ उठाकर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने किसानों को गाय आधारित कृषि अपनाने की सीख दी।

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स्थानीय किसान नेता मोहन लाल शर्मा ने सामान्य कक्षाओं में सरकार से एक बार फिर कृषि को विषय के तौर पर जोड़े जाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा, एक समय था जब बच्चे पूर्व माध्यमिक कक्षाओं में ही कृषि से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारियां हासिल कर लिया करते थे। वर्तमान में यह विषय नहीं पढ़ाए जाने के कारण पारम्परिक किसान इस ज्ञान से वंचित रह जाते हैं।

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सम्मेलन को क्षेत्रीय विधायक कारिंदा सिंह, पूर्व सांसद तेजवीर सिंह, उप निदेशक (कृषि प्रसार) धुरेंद्र कुमार एवं ग्राम प्रधान राधा देवी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर हेमामालिनी ने गांव के नवनर्मिति पंचायत भवन एवं आरओ प्लाण्ट का लोकार्पण भी किया।

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