घुड़सवारी में भारत की नई उम्मीद बन रहीं स्थवी अस्थाना
Devanshu Mani Tiwari 23 Jan 2018 3:38 PM GMT
पुलिस के घोड़ों पर प्रैक्टिस करके, बिना किसी कोच की मदद और इंटरनेट पर घुड़सवारी की चंद किताबें पढ़ कर क्या कोई खिलाड़ी घुड़सवारी का चैंपियन बन सकता है? उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में साल 1996 जन्मी स्थवी अस्थाना ने कुछ ऐसा ही किया है। गाँव कनेक्शन से विशेष बातचीत में स्थवी ने अपने करियर से जुड़ी बातें साझा की।
बचपन से ही स्थवी को जानवरों से बहुत लगाव था, एक दिन स्थवी के पिता आईएएस हिमांशु कुमार ने जब एक दिन उन्हें पुलिस के घोड़ों पर उन्हें बैठाया, तो मानो उन्हें इसी चीज़ का शौक हो गया। आर्थिक रूप से अच्छे परिवार से होने के बावजूद स्थवी के लिए घुड़सवारी की राह आसान नहीं थी।
स्थवी ने वर्ष 2009 में इलाहाबाद में घुड़सवारी सीखी और तभी से उन्हें इस खेल का शौक हो गया।घुड़सवारी में अच्छा करने के लिए स्थवी को इस खेल से जुड़े परंपरागत विदेशी घोड़ों की ज़रूरत थी, लेकिन स्थवी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो इन घोड़ा खरीद पाती। इसलिए उन्होंने अपने साथ घुड़सवारी की प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों से उनके घोड़े मांग कर घुड़सवारी सीखी। कई चुनौतियों के बावजूद उन्होंने ने घुड़सवारी से अपना नाता नहीं तोड़ा। स्थवी ने दो भारतीय रेसिंग घोड़े भी खरीदें, जो रेसिंग से रिटायर्ड हो चुके थे, स्थवी ने इन घोड़ों का नाम पांडेजी और कालू रखा है। स्थवी ने इन घोड़ों को अच्छे से ट्रेन किया और उनके साथ खेल प्रतियोगिताओं में तालमेल बनाने की उन्हें ट्रेनिंग भी दी है। इस समय वो दिल्ली में नेशनल यूनिवर्सिटी अॉफ लॉ से पढ़ाई कर रही हैं। इसके साथ साथ वो वर्ष 2018 एशियाई खेलों के लिए प्रैक्टिस भी कर रही हैं।
स्थवी अपने खेल को और ज़्यादा निखारने और घुड़सवारी में बेहतर करने के लिए स्पॉन्सरशिप तलाश रही हैं। इसमें उनकी मदद के लिए मिलाप क्राउड फंडिंग वेबसाइट आगे आई है।
छोटे से करियर में जीतें कई खिताब
घुड़सवारी प्रतिस्पर्धा में स्थवी ने सबसे पहले ग्रेटर नोएडा हार्स शो वर्ष 2010 में पहला स्थान हासिल किया , वहीं 59 वां हार्स शो, कोलकाता, 2011 में तीसरे स्थान पर रहीं। इसके बाद स्थवी को नेशनल इक्वेस्ट्रियन चैंम्पियनशिप, 2012 में रजत पदक, फेडरेशन इक्वेस्ट्रियन इंटरनेशनल वर्ल्ड चैलेंज ड्रेसेज, 2010 में आठवां स्थान और फेडरेशन इक्वेस्ट्रियन इंटरनेशनल वर्ल्ड चैलेंज ड्रेसेज, 2011 में वो सातवें स्थान पर रहीं। घुड़सवारी खेल स्पर्धा में देश व प्रदेश का नाम रौशन करने के लिए स्थवी को उत्तर प्रदेश सरकार ने रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार 2012-13 से सम्मानित भी किया।
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