Farmers Protest Live: कई किसान नेताओं पर एफआईआर दर्ज, दिल्ली पुलिस ने कहा- संगठनों ने वादा तोड़ा, उपद्रवियों पर कार्रवाई होगी

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने कई किसान नेताओं पर एफआईआर दर्ज किया है। हिंसा में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

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Farmers Protest Live: कई किसान नेताओं पर एफआईआर दर्ज, दिल्ली पुलिस ने कहा- संगठनों ने वादा तोड़ा, उपद्रवियों पर कार्रवाई होगी26 जनवरी को जीटी करनाल पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। (फाेटो- गांव कनेक्शन)

गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में किसान संगठनों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर कई किसानों नेताओं पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर (FIR) दर्ज किया है। समाचार एजेंसी एएनआई ने दिल्ली पुलिस के हवाले से बताया कि ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर अब तक 22 लोगों के खिलाफ मामजा दर्ज किया है जबकि हिंसा में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

घटना को लेकर किसान संगठनों का भी बयान आया है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि लाल किले में जिसने भी हिंसा फैलाई, उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। वे लोग आंदोलन का हिस्सा नहीं थे। जिन्होंने बैरिकेड्स तोड़े, वे भी किसान आंदोलन का हिस्सा नहीं थे।

वहीं किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता एसएस पंढेर ने कहा है कि किसान आंदोलन को कमजोर करने के लिए ट्रैक्टर परेड में कुछ शरारती तत्व घुस आये थे। लाल किले पर जो कुछ भी हुआ वह हमारे प्लान का हिस्सा नहीं था।

कई किसान नेताओं पर FIR

समाचार एजेंसी एएनआई ने दिल्ली पुलिस के हवाले से बताया है कि दिल्ली पुलिस ने किसान नेता दर्शन पाल सिंह, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह और जोगिंदर सिंह पर पुलिस ने ट्रैक्टर रैली के लिए जारी एनओसी तोड़ने के लिए एफआईआर दर्ज किया है। FIR की कॉपी में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का भी नाम है।

आंदोलन से अलग दो किसान संगठन

26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद राष्‍ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह ने खुद और अपने संगठन को इस आंदोलन से अलग करने का फैसला लिया है। उन्‍होंने कहा कि हम अपना आंदोलन यहीं खत्‍म करते हैं। वीएम सिंह ने कहा कि 'हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते जिसकी दिशा कुछ और हो। इसलिए, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन वीएम सिंह और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है। हमारा संगठन इस आंदोलन से अलग है।

वहीं भारतीय किसान यूनियन (भानू गुट) ने भी खुद को इस आंदोलन से दूर कर लिया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भानू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने बताया कि चिल्ला बार्डर जो धरना करीब दो महीने से चला आ रहा है उसे खत्‍म किया जा रहा है। खत्म करने की घोषणा करने के दौरान भानु प्रताप सिंह ने 26 जनवरी को लालकिले पर हुई घटना की निंदा भी की।

किसानों ने समय से पहले निकाली रैली: दिल्ली पुलिस

हिंसा के बाद 27 जनवरी की शाम दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रैक्टर रैली 12 बजे से निकलनी थी लेकिन संगठनों ने सुबह 8.30 बजे से ही रैली शुरू कर दी। कुछ किसान नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिया और रैली में शरारती तत्वों को आगे कर दिया। सतनाम सिंह पन्नू भड़काऊ भाषण दिया। टिकरी बॉर्डर पर किसान नागलोई मेंं बैठ गये। वहां किसान नेता बूटा भी मौजूद रहे और आगे जाने से मना कर दिया। उन्होंने आगे जाने से मना कर दिया और हिंसी भी की।


उन्होंने आगे बताया कि कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी इस हिंसा में घायल हुए। कई पुलिसकर्मी अभी अस्पताल में भर्ती हैं।

पुलिस कमिश्नर ने कहा कि हमने किसान नेताओं से सिक्योरिटी, मेडिकल सब्जी की सुविधा देने का हमने वादा किया था। सबसे पहले बोला गया कि 26 की जगह कोई और तारीख रख लें, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। किसान नेताओं ने दिल्ली में ही ट्रैक्टर मार्च निकालने की ठान ली थी। आखिरी मीटिंग में हमने 3 रूट दिए थे। संगठनों ने वादा तोड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि उपद्रवियों की पहचान अभी भी हो रही है और दोषियों पर कार्रवाई होगी।

किसान मोर्चा ने कहा- तिरंगा देश की शान है

पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ देर बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि जो हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था। कुछ लोगों ने आंदोलन की छवि को खराब करने के लिए लाल किले की ओर कूच किया, जो कि हमारे परेड मार्ग का हिस्सा नहीं था।

किसान नेताओं ने दीप सिद्धू और किसान मजदूर संघर्ष समिति का नाम लेते हुए कहा कि सरकार ने आंदोलन को खत्म करने के लिए किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब और दीप सिद्धू मिलकर साजिश की और इस घटना को अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि तिरंगा और देश सबकी शान है और यह हमेशा रहेगा।

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