गुजरात से स्पेशल ट्रेन में यूपी आए प्रवासी कामगार, हर किसी की है अपनी कहानी

Ajay MishraAjay Mishra   14 May 2020 3:17 PM GMT

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गुजरात से स्पेशल ट्रेन में यूपी आए प्रवासी कामगार, हर किसी की है अपनी कहानी

कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। जौनपुर के लाइन बाजार निवासी करीब 55 साल की मीना 20 वर्षों से गुजरात के बड़ोदरा में रह रही थीं। उनका परिवार भी वहां रहता था, लेकिन लॉकडाउन में काम छिन गया तो घर के लिए निकल पड़ीं। अपनी परेशानी बयां करते हुए उनके आंसू छलक आए।

मीना की बेटी आरती ने बताया कि वह डोरी बनाकर 11 हजार रुपए महीना कमाती रहीं, लेकिन वहां सामान छोड़कर घर जा रहे हैं। वहां का मकान मालिक उनसे किराया नहीं लेता था।

गुरुवार को सुबह 8:26 बजे गुजरात के वड़ोदरा से चलकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन कन्नौज रेलवे स्टेशन पर पहुंची। इसमें यूपी के 58 जिलों के 1815 प्रवासी कामगार, बच्चे, महिलाएं आदि उतरे। सभी को जिला प्रशासन ने रोडवेज बसों से अपने-अपने जिलों में रवाना किया। इत्रनगरी उतरे यात्रियों, मजदूरों व प्रवासी कामगारों ने लॉकडाउन के बारे में बताया। दिक्कतों और अपने सफर को साझा किया।

कैंसर ने पिता को छीना, फिर पति चल बसे

आरती ने आगे बताया कि आठ साल पहले शादी हुई थी, तीन साल पहले पति का कैंसर से निधन हो गया। पिता भी 10 साल पहले कैंसर की वजह से चल बसे थे। आरती की बहन दुर्गा ने बताया कि साड़ी में डिजाइन बनाने वाली फैक्ट्री में काम करती थी, लॉकडाउन में सब बंद है। अब घर जा रही हूं।"


मीना की तीसरी बेटी संध्या ने बताया कि घर पर खेती भी नहीं है जो काम कर सकेगी। सरकार को कुछ सोचना चाहिए। मीना का कहना है कि वह तीन बेटियों व पुत्र मनीष के साथ वहां रहती थीं। लेकिन ऐसा कभी माहौल नहीं देखा। अपनी परेशानी बयां करते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए। आगे बताया कि ट्रेन से सभी लोग 560-560 रुपए का टिकट लेकर आए हैं। सफर तो अच्छा रहा है। भविष्य में वापस जाना पड़ेगा, क्योंकि परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है। रोल पॉलिस, कढ़ाई आदि का काम भी करते थे। अभी तनख्वाह भी पूरी नहीं मिली हैं। आते समय पैसा नहीं बचा, लॉकडाउन में सब खर्च हो गया।

'लॉकडाउन बढ़ता ही जा रहा, घर वाले बुला रहे, इसलिए आना पड़ा'

गुजरात से इत्रनगरी आई स्पेशल श्रमिक ट्रेन से रोडवेज बस के इंतजार में जौनपुर के निवासी अरविंद का परिवार जीटी रोड किनारे बैठा था। पत्नी बोतल की ढक्कन में पानी निकालकर छोटे-छोटे बच्चों को पिला रहीं थीं।


अरविंद ने बताया कि शाक-भाजी का धंधा करते थे। करीब एक से डेढ महीने से बंद है। जहां खुला भी है, वह स्थान किराए के मकान से काफी दूर है। लॉकडाउन बढ़ता ही जा रहा है। घर वाले बुला रहे थे। आने का दवाब बना रहे थे, इसलिए आना पड़ा। सभी पब्लिक घर जा रही है। अरविंद का कहना है कि जब तक लॉकडाउन खत्म नहीं होगा, घर पर ही रहेंगे। आगे जब जाना होगा, तब देखा जाएगा। परिवार के पांच लोग थे। सीजन-सीजन में धंधा करने चला जाता था। ट्रेन का सफर अच्छा रहा। नाश्ता, खाना व पानी मिला। 540 रुपए की टिकट मिली थी।

टिकट लेकर आए हैं

फर्रुखाबाद जिले के घटिया निवासी आफताब ने बताया कि गुजरात में सब्जी की गाड़ी चलाते थे। लॉकडाउन में काम धंधा नहीं है। खाने-पीने को नहीं मिला। परिवार के चार लोग रहते थे। परेशानी हुई इसलिए वापस आना पड़ा है। घर पर जाकर कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा। ट्रेन से 540 रुपए का टिकट लेकर आए हैं।

मजदूर हैं, दिक्कतें हुईं

रायबरेली के लालगंज के फगुरा निवासी आबिर खान ने बताया कि गुजरात में टोकन मिला। लाइन लगाकर टिकट लिया है। जो रूल था, उसी हिसाब से कन्नौज उतरे हैं। वहां तो फंसे थे। घर जाने की मजबूरी थी, इसलिए टिकट खरीद ली। वहां पर फर्नीचर का करते थे। लॉकडाउन में काम बंद हो गया। मजदूर आदमी हैं दिक्कतें तो बहुत हुईं। गांव में खेती कर थोड़ा-बहुत जीवन चल जाएगा।


सरकार के सहयोग से आ सके

बदायूं के थाना औसावा ग्राम कलक्टरगंज निवासी संतोष ने बताया कि ट्रेन से आते समय रास्ते में नाश्ता-पानी मिला। टिकट लेने के लिए 660 रुपए दिए। हम अपने पहुंच रहे हैं, सरकार का सबसे बड़ा सहयोग है। लॉकडाउन में इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता। टिकट का रुपया हम दें चाहे गवर्नमेंट दे। गुजरात में डेयरी में काम करते थे। फिलहाल तो इतनी दूर नहीं जा सकता हूं। अभी 15 लोग आए हैं। परिणाम अच्छा रहेगा तो जाने की सोचेंगे। कुछ लोग रह गए हैं उनको भी बुलाना है।

साहिल ने कहा, खेल नहीं पाया

कक्षा तीन में पढ़ने वाले जौनपुर निवासी छात्र साहिल गिरी ने बताया कि गुजरात में पापा टेलरी करते थे। मम्मी भी सिलाई करती थीं। वहां का इलाका रेड जोन में आ गया। मार्केट, स्कूल सब बंद हैं। लॉकडाउन में कहीं खेल भी नहीं पाए। कई दिनों से अच्छा नहीं लगा। अब घर जा रहे हैं।


घूमने गया था, लेकिन फंस गया

रेलवे की ट्राई साइकिल से साथी के सहयोग से रोडवेज बस तक जा रहे दिव्यांग मोहम्मद अयूब ने बताया कि वह बिजनौर जा रहे हैं। गुजरात में लॉकडाउन के दौरान खाने-पीने की दिक्कत रही। घूमने के लिए वहां गए थे, लॉकडाउन में फंस गए। अब गाड़ी आई तो आ सके हैं। सरकार ने भिजवाने में मदद की है।

गांव में खेती करेंगे इबरार

इबरार हुसैन ने बताया कि उनको बहराइच जाना है। रेलवे ने टिकट देकर बडोदरा से कन्नौज भेजा है। 560 रुपए का टिकट खरीदा था। दो महीने से गुजरात में कामबंद है। सेठ की तरफ से खाना मिल रहा था तो गुजारा हो रहा है, अब घर पर खेती बाड़ी करेंगे। वहां पर परिवार के सात लोग थे, जो वापस आ गए हैं। वहां की सरकार से मदद नहीं मिली। काफी अर्से से रह रहे थे, पूरा सामान ले आए हैं।

अभी कई लोग फंसे हैं

लोकनाथ पाल ने बताया कि वह 13 साल से गुजरात में रहकर रोटर का काम करते रहे हैं। मजबूरी है इसलिए आए हैं। मोती लाल पुर्वा में अपने घर पर बच्चों के साथ रहेंगे। गांव में खेती कर गुजारा करेंगे। लॉकडाउन में हर चीज की दिक्कत आई। खाना-पानी नहीं मिला। ऐसा समय कभी नहीं देखा। परिवार के पांच सदस्य वहां रहते थे। अभी काफी जानने वाले लोग फंसे हैं।


58 जिलों के 1815 यात्रियों को लेकर इत्रनगरी आई श्रमिक स्पेशल ट्रेन

गुजरात के बड़ोदरा से श्रमिक स्पेशल ट्रेन उत्तर प्रदेश के 58 जिलों के कुल 1815 महिला, पुरुष, बच्चों व बुजुर्गों को लेकर इत्रनगरी पहुंची। इन सभी की रेलवे स्टेशन पर थर्मल स्क्रीनिंग हुई, जिसमें सभी स्वस्थ मिले। जांच के बाद सभी को रोडवेज बसों से अपने-अपने जिलों को रवाना कर दिया गया।

गुरुवार को सुबह कन्नौज आई श्रमिक स्पेशल ट्रेन से पहले जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र व पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने स्टेशन के बाहर व अंदर तैयारियों को लेकर मुआयना किया। करीब डेढ़ घंटे तक रुकी ट्रेन से यात्रियों के उतरने के बाद गाड़ी वापस लौट गई। स्टेशन अधीक्षक को प्रवासीय व्यक्तियों के लिए किए गए प्रबंध व फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखने को लेकर नियमित रूप से लाउडस्पीकर पर बोला गया। बाहर कोतवाली सदर पुलिस ने भी एनाउंस किया। रोडवेज बसों में बैठने के बाद सभी यात्रियों को भोजन व पानी की बोतल दी गई। कई विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों ने व्यवस्था संभाली। जिलों को जाने वाली बसों में नंबर व जिलों का नाम लिखा था, उसके बारे में यात्रियों को बताया भी गया।


कन्नौज से उत्तर प्रदेश के 58 जिलों के लिए रोडवेज की 50 बसें लगाई गई थीं। इसमें फर्रुखाबाद के 380 बलरामपुर के 60, मैनपुरी के 27, कासगंज के 127, रायबरेली के 115, जौनपुर के 67, मऊ के छह, आजमगढ़ के 10, बलिया के चार, बहराइच के 38, सिद्धार्थनगर के 29, देवरिया के 23, एटा के 27, अंबेडकरनगर के 23, शाहजहांपुर के 100, बदायूं के 68, अमरोहा के तीन, प्रतापगढ़ के 50, गोरखपुर के 120, चंदौली के 13, वाराणसी के दो, भदोही के दो, हरदोई का एक, गाजीपुर के 16, खीरी का एक, सीतापुर के दो, इलाहाबाद के 20, मिर्जापुर के तीन, सोनभद्र के नौ, इटावा के 22, आगरा के आठ, फिरोजाबाद के आठ, रामपुर छह, मुरादाबाद के 15, बिजनौर के 35, पीलीभीत के आठ, बरेली के पांच, बस्ती के 15, कुशीनगर का एक, औरैया के पांच, जालौन के 23, बांदा के चार, बाराबंकी के तीन, लखनऊ के छह, फैजाबाद के 25, मेरठ व बागपत के तीन-तीन, बुलंदशहर के आठ, अलीगढ़ के दो, सहारनपुर के 11, मुजफ्फरनगर के चार, शामली का एक, कानपुर के 11, उन्नाव के 61, सुल्तानपुर के दो, अमेठी के चार, कन्नौज 100 व हमीरपुर के तीन कुल 1748 लोग आए। इन लोगों की गोद में बच्चे भी थे, तो संख्या 1815 हो गए।

डीएम ने बताया कि पहले 1517 लोगों के आने की लिस्ट आई थी। जो भी लोग आए हैं उनके साथ छोटे-बड़े बच्चे भी हैं। कुल 1815 लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग हुई है। जिलों की संख्या भी बढ़ी है। डीएम ने यह भी बताया कि जो भी लोग इन दिनों जीटी रोड, एक्सप्रेस-वे व अन्य रास्तों से पैदल जा रहे हैं, उनको बसों से मूल जनपद भिजवाया जा रहा है। निर्देश भी दिए हैं कि सम्बंधित अधिकारी निगाह भी रखें। डीएम ने कहा कि किसी भी दशा में बिना बताए बाहर से आने वाले व्यक्तियों तो अपने घरों में रुकने न दें। यदि किसी भी दशा में यदि कोई व्यक्ति बिना बताए ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में आता है तो उसकी सूचना तत्काल संबंधित ब्लॉक एवं नगर पालिका, पुलिस स्टेशन, संबंधित तहसील व ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में बनाई गई निगरानी समिति को अवश्य दें। ऐसा न करने पर संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सभी नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भी बनाई गई निगरानी समिति को गांव एवं शहर के नागरिकों को कोविड-19 महामारी के संबंध में जागरुकता लाने एवं बाहर से आने वाले व्यक्तियों से कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने के संबंध में सभी को जागरूक करने को कहा। साथ ही सम्बंधित व्यक्ति की नियमित जांच के बाद ही अनिवार्य रूप से 21 दिनों के लिए होम क्वारंटीन करने को कहा। डीएम ने यह भी कहा कि भविष्य में यदि किसी व्यक्ति के बाहर घूमने की सूचना मिलती है, तो संबंधित स्थल की निगरानी समितियां भी दोषी मानी जाएंगी।

      

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