जोधपुर: तीन महीने बाद भी नहीं मिला न्याय, सिर्फ आश्वासन के भरोसे पाक विस्थापित केवलराम भील
साल 2013 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत आए केवल राम भील के परिवार के 11 लोग 9 अगस्त को जोधपुर के चामू गाँव के खेत में मृत पाए गए, तीन महीने बीत जाने के बाद भी केवल राम भील अभी भी न्याय के लिए भटक रहे हैं।
Avdhesh Pareek 1 Dec 2020 8:05 AM GMT
जोधपुर (राजस्थान)। "ये भारत की कैसी पुलिस है, ये कैसा कानून है, क्या हम यहां मरने के लिए आए हैं".. राजस्थान के जोधपुर से सड़क मार्ग से करीब 80 किलोमीटर दूर बालेसर तहसील के गांव चामू के एक खेत में बैठे 37 वर्षीय केवलराम भील के ये कुछ सवाल वहां पसरा सन्नाटा बार-बार तोड़ रहे हैं, जो पिछले 3 महीनें से अनसुलझे हैं।
केवलराम भील पाकिस्तान से भारत आए वही हिंदू शरणार्थी है जिनके परिवार के सभी 11 लोग 9 अगस्त को देचू जिले के गांव लोड़ता अचलावता में एक खेत में मृत पाए गए थे जिसे पुलिस ने शुरूआती जांच में सामूहिक आत्महत्या बताया था, लेकिन इसके पीछे की गुत्थी सुलझाने व परिवार की न्याय दिलाने की मांग पर 3 महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं।
यह परिवार साल 2013 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सांगड़ से भारत आए थे और फिर जोधपुर के आस-पास के गांवों में खेती करके गुजारा करने लगे, फिलहाल केवलराम अपनी बहन मलका देवी के साथ लोड़ता गाँव से करीब 20 किलोमीटर दूर चामुं गाँव में रहते हैं और वहीं उनके परिवार के साथ खेती का काम करते हैं।
यहां हमारे अपने ही दुश्मन बन गए
घटना के 3 महीने बीत जाने के बाद हुई मुलाकात में केवलराम बताते हैं कि, हम भारत तो यही सोच कर आये थे कि अपना देश तो अपना ही है, मेरे बच्चे यहां पढ़-लिखकर कुछ ज़िंदगी बना लेंगे लेकिन मेरे नसीब में कुछ औऱ ही लिखा था।
"हमनें कभी नहीं सोचा था कि हमें ऐसा दिन देखना पड़ेगा कि हमारे परिवार के 11 लोगों की मौत हो गई और 3 महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी हमें अभी तक उनकी अस्थियां तक नहीं दी गई है" केवलराम राम कहते हैं।
आगे वह सवाल करते हुए कहते हैं कि आप बताएं क्या कोई खुद अपने परिवार को मार सकता है? फूल जैसे बच्चों को क्यों कोई परिवार का सदस्य खत्म करेगा?
वहीं अपने शुरूआती दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं कि, 2013 में मेरे भाई रवि की शादी होने के बाद उसके ससुराल वाले भारत आ गए, जिसके 2 साल बाद इनके पीछे हम भी 2015 में भारत आ गए।
भारत में आते ही इन लोगों (ससुराल और इनसे पहले आए पाक हिंदू विस्थापित) ने हमें यहां कोई काम नहीं दिलवाया, हमारे आने के बाद से लगातार हमारा शोषण किया।
11 people of a family found dead in Jodhpur's Dechu. Bodies found in a house in the fields. Police said the deceased people were Pak immigrants #Rajasthan pic.twitter.com/J1L3KZp10q
— Prof. Rakesh Goswami (@DrRakeshGoswami) August 9, 2020
आगे वह एक और गंभीर आरोप लगाते हैं कि, यहां सालों पहले आकर बस चुके हिन्दू शरणार्थियों ने एक गैंग बना ली है ऐसे में अब जब कोई नया शरणार्थी यहां आता है तो उसकी गुलामी की जिंदगी बसर करना मजबूरी होती है।
इस कथित गैंग या प्रताड़ित करने वाले इन लोगों का जिक्र बहन लक्ष्मी ने भी मौत से पहले जारी एक वीडियो में और बहन प्रिया की जेब से मिले सुसाइड नोट में भी मिलता है।
लंबे समय से दोनों परिवारों में चल रही थी कलह
घटना के बाद प्रथम दृष्टया पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला मानते हुए जांच शुरू की थी क्योंकि मौके पर इंजेक्शन लगाने वाली सामग्री बरामद हुई थी और सभी मृतकों के शरीर पर इंजेक्शन के निशान भी पाए गए थे। वहीं इसके बाद शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी जहर से मौत होने की पुष्टि की गई थी।
पुलिस ने इस घटना के संबंध में बताया कि केवलराम के परिवार और उसके ससुराल वालों के बीच काफी लंबे समय से विवाद चल रहा था जिसकी कई शिकायतें पुलिस तक भी पहुंची थी। इसके अलावा पिछले कई महीनों से दोनों पक्ष एक दूसरे की शिकायत अलग-अलग थानों में दर्ज करवाते रहे हैं और पुलिस ने इन्हें शांति बनाए रखने के लिए कहा था।
मुख्यमंत्री गहलोत ने दिया था निष्पक्ष जांच का आश्वासन
घटना के बाद सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 12 अगस्त को जोधपुर में इन पाक विस्थापित परिवारों के बीच पहुंचे और 11 लोगों की मौत पर संवेदना प्रकट करते हुए निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया था।
लेकिन जब हमनें केवलराम से सीएम के भरोसे के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि, सीएम साब मिलने आए थे लेकिन मुझसे मिलने तक नहीं दिया गया, मेरा ही परिवार खत्म हो गया और पुलिस ने मुझे ही 10 दिन तक पकड़ कर रखा और धमकाया।
इसके बाद मिलने वालों का एक बार के लिए तांता जरूर लगा जैसे 17 अगस्त को केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया व आरएलपी प्रदेशाध्यक्ष पुखराज गर्ग मिलने आए और कई तरह के आश्वासन देकर गए लेकिन जांच में क्या हुए घरवालों को कुछ पता नहीं है।
वहीं अगर हम आर्थिक सहायता की बात करें तो परिवार को सांत्वना देने आए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया व अन्य पदाधिकारियों ने 61 हजार रुपए की मदद की थी जिसकी पुष्टि खुद मलका देवी के पति सुरजाराम करते हैं।
पुलिस ने मेरी बहनों को बहुत परेशान किया - मलका देवी
वहीं खेत में केवलराम के साथ बैठी उनकी बहन मलका देवी ने बताया कि, हम पुलिस को पहले दिन से कह रहे हैं कि मेरे भाई के ससुराल वालों ने मेरे पूरे परिवार की हत्या की है लेकिन कोई हमारी सुनने को तैयार ही नहीं है।
मलका देवी 8 अगस्त के दिन को याद करते हुए बताती हैं कि "7 अगस्त को रक्षाबंधन का दिन था, मैं अपने भाई रवि और केवलराम को राखी बाँध कर वापस गांव लौट आयी थी और मेरे 2 बच्चे वहीं ठहर गये थे।
वो आगे कहती हैं, "जब मैं 7 तारीख़ को वहाँ पहुँची तो मेरी बहन लक्ष्मी और मेरे पिता बुद्धाराम रो रहे थे. वो कह रहे थे कि मंडोर पुलिस उन्हें तंग कर रही है 4 अगस्त को पुलिस ने मेरी बहन लक्ष्मी को थाने बुलाया था जहाँ उसे पुलिस ने बहुत टॉर्चर किया"
वहीं मलका ने आगे आरोप लगाते हुए यह भी बताया कि, रक्षाबंधन पर मेरी मृतक बहन लक्ष्मी को केवलराम की पत्नी धांधली देवी ने बहुत प्रताड़ित किया और जब वह उसकी शिकायत करने मंडोर पुलिस थाने गई तो शिकायत दर्ज करने की बजाया पुलिस ने उल्टा उसे ही घंटों हिरासत में रखा और बाद में धमकी देकर छोड़ा।
"हमनें हर जगह शिकायत दी, जो कागज मांगे वो दिए लेकिन आज हमारे परिवार को उजड़े हुए 3 महीने से ज्यादा समय बीत गया पर पुलिस ने अभी तक कुछ भी नहीं किया"।
गौरतलब है कि अपने ससुराल होने के कारण जिंदा बची केवलराम की बहन मलकादेवी ने यह भी आरोप लगाया था कि पुलिस को उसकी नर्स बहन प्रिया की जेब से सुसाइड नोट मिला है जिसमें पुलिस प्रताड़ना का स्पष्ट तौर पर जिक्र है।
वहीं मौके से मिले कथित सुसाइड नोट में प्रिया ने समाज के कुछ लोगों के नाम लिखकर और पुलिस पर प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया था।
शिकायत और पीड़ा से भरा मृतक लक्ष्मी का खत
मलका देवी हमें लक्ष्मी का 4 पन्नों में लिखा एक शिकायती खत दिखाती है जिसे जोधपुर के पुलिस अधीक्षक से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक भेजे जाने का वह दावा करती है।
खत के मुताबिक लक्ष्मी कहती है कि जो अत्याचार हमारे साथ पाकिस्तान में नहीं हुआ वह आज हिंदूस्तान में हो रहा है, इसके अलावा इस खत में भी लक्ष्मी उन कुछ कथित लोगों का जिक्र बार-बार करती है जो भारत में परेशान करते हैं।
इसके अलावा लक्ष्मी पुलिस के रवैये का भी खुलकर जिक्र करती है जिसमें वह कहती है कि पुलिस ने कभी भी हमारा साथ नहीं दिया। वहीं लक्ष्मी ने मौत से पहले अपने एक वीडियो मैसेज में भी खुलकर पुलिसिया तंत्र और सामने आने वाली परेशानियों के बारे में बताया था।
वहीं हिंदू शरणार्थियों पर काम करने वाले सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा इस पूरे मसले के पीछे एक बड़ा नेक्सस होने की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि, केवलराम भील ही नहीं बल्कि तमाम हिंदू शरणार्थियों को यहां कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसमें पुलिस, इंटेलिजेंस के लोगों से लेकर कई तरह के दलालों का नेक्सस शामिल है।
आगे वह केवलराम के मामले पर कहते हैं कि, केवलराम की मृतक बहन लक्ष्मी का मौत से पहले आया वीडियो अपने आप में सब कुछ बयां करता है, जिसमें नाम लेकर उसने दलालों के नाम लिए हैं लेकिन उसके बावजूद भी पुलिस खाली हाथ है।
इसके अलावा सीमांत लोक संगठन के मुताबिक, नागरिकता की अथॉरिटी राज्यों के पास आने के 3 साल बीत जाने के बाद से भी अभी तक सिर्फ 25% लोगों की नागरिकता की प्रक्रिया पूरी हो पाई है, उधर राज्य में लगभग 20 हजार शरणार्थी नागरिकता की कतार में ही है।
वहीं इस पूरे मामले की जांच कर रहे एएसपी सुनील के. पंवार 3 महीने बीत जाने के बाद जांच का सवाल पूछने पर कहते हैं कि हम इस मामले की पूरी तेजी से जांच कर रहे हैं लेकिन अभी भी महीना भर और लगेगा।
जांच में देरी पर राजस्थान में हो रहे पंचायती राज के चुनावों का हवाला देते हुए पंवार आगे कहते हैं कि, इस मामले में काफी गवाह हैं जिनका सभी का बयान दर्ज करना है जिसमें भी समय लग रहा है।
इन 11 लोगों के मिले थे शव
9 अगस्त को देचू के एक गांव के खेत पर झोपड़ी में केवलराम के परिवार के 11 लोगों के शव मिले थे जिसमें मुखिया बुधाराम भील (75), उनकी पत्नी अंतरा देवी (70), शादीशुदा बेटी लक्ष्मी (40), अविवाहित बेटी प्रिया (25) व सुमन(22), बेटा रवि (35), दूसरे बेटे केवलराम के बेटे दयाल(12), दानिश(10) व बेटी दीया(5) तथा राखी बांधकर ससुराल लौट चुकी चौथी बेटी मलका की बेटी मुकदश(17) व बेटा नैन(12) के थे।
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