सैन्य फार्मों से निकाली गई गायें, उत्तराखंड किसानों की बढ़ाएंगी आमदनी, ऐसे मिलेगा फायदा

Diti BajpaiDiti Bajpai   25 Sep 2018 9:11 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
सैन्य फार्मों से निकाली गई गायें, उत्तराखंड किसानों की बढ़ाएंगी आमदनी, ऐसे मिलेगा फायदा

लखनऊ। पिछले वर्ष 28 जुलाई को भारत सरकार ने देशभर के मिलिट्री डेयरी फार्मो को बंद करने के आदेश दिए थे। इस आदेश ने जहां हजारों कर्मचारियों को चिंता में डाल दिया। वहीं उत्तराखंड सरकार ने इन फार्मों की गाय खरीदकर किसानों को सस्ते दामों में उपलब्ध करा कर उन्हें नई सौगात दी है।

देशभर के 39 फार्मो में फ्रीजवाल नस्ल की 25 हज़ार से भी अधिक गाय थी, जिन्हें बेचने का प्रयास किया गया लेकिन कोई भी राज्य तैयार नहीं हुआ आखिर में उत्तराखंड सरकार दस हज़ार गाये लेने को तैयार हुई और अब तक वो मेरठ सहित लखनऊ आगरा बरेली पठानकोट आदि फार्मो से लगभग 7000 गाये ले चुकी है।

"को-ऑपरेटिव डेयरी विभाग द्धारा जो सोसाइटी बनी हुई है। उससे जुड़े किसानों को उनकी मांग के अनुसार यह गाये दी जा रही है। एक किसान को पांच गाये दी जा रही है जिसमें दो दूध देने वाली गाय, दो तैयार गाय (यानी जो आने वाले समय में दूध देंगी) और एक बच्चा दिया जा रहा है।" पशुपालन विभाग उत्तराखंड के सयुक्त निदेशक डॉ नीरज सिंगल ने बताया।

डॉ सिंगल ने फोन पर गाँव कनेक्शन को बताया, "किसानों को 1000 रूपए में एक गाये दी जा रही है। ज्यादा दूध देने वाली यह गाय है इसलिए इसकी डिमांड भी बढ़ रही है और पांच हजार में पांच गाय किसान को मिल रही है। इससे उनकी आय भी दोगुनी होगी। इन गायों को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है इसलिए ऐसे ही किसानों को दे रहे जिनके पास पहले से ही गाय है ताकि वो उनका रख-रखाव अच्छे से कर सके।"

यह भी पढ़ें- सैनिकों की सेहत को लेकर 128 वर्ष पुरानी परंपरा हो रही खत्म, अब पैकेट बंद दूध पिएंगे जवान

उत्तराखंड सरकार द्धारा दी गई इन गायों का पशुधन बीमा भी किसानों द्धारा कराया जा रहा है। इसके अलावा इनसे जितना भी दूध होगा वो समिति को दिया जाएगा। इससे उनको रोजगार भी मिल सकेगा। हाल ही में मेरठ मवाना रॉड स्थित मिलिट्री डेयरी फार्म ने भी 1500 गायों में से 474 गाये उत्तराखंड सरकार को दे दी है, बाकी गायों को भी जल्द ही भेज दिया जाएगा।

"उत्तराखंड सरकार द्धारा किसानों के लिए यह अच्छी पहल है अगर तीन भी इन गायों ने अच्छा दूध दे दिया तो हमारे यहां किसानों की आमदनी अच्छी हो जाएगी। अभी रोजाना 150 गाय मेरठ फार्म से मंगवाई जा रही है।" डॉ नीरज ने बताया।


मेरठ स्थित केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान ने वर्ष 1989 में सैन्य फार्म के लिए फ्रीजवाल नस्ल को विकसित किया था। भारत की सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय की साहीवाल नस्ल और हालैंड की सबसे ज्यादा दूध देने वाली हॉलस्टीन फ्रिजियन की क्रास ब्रीड से फ्रीजवाल नस्ल तैयार हुई। फ्रीजवाल नस्ल एक ब्यात में आमतौर पर चार हजार लीटर दूध देती है। यह सात से आठ हजार लीटर तक भी दूध दे सकती है। इस नस्ल की एक गाय की कीमत एक से डेढ़ लाख रूपए है , उत्तराखंड सरकार ने मात्र 1000 रूपये की कीमत में ये गाये किसानों को वितरित करने के लिए ली है।

यह भी पढ़ें- गाय-भैंस की तुलना में बकरी पालन से तेजी से बढ़ती है आमदनी

सरकार ने इन सैन्य फार्म को बंद करने के पीछे देशभर में बढ़ते दूध के कारोबार को बताया है। दूध का कारोबार इतना बड़ा हो गया है कि सेना को खुद की फार्म की आवश्यकता नहीं है। सेना को अब उन प्राइवेट डेयरी के जरिए दूध मुहैया कराया जा सकता है। देश भर के मिलिट्री डेयरी फार्मो को बंद करने के सरकारी फरमान ने सैन्य कर्मियों ही नहीं इन फार्मो में कार्यरत हज़ारो सिविल कर्मचारियो और दैनिक वेतन भोगियो को भी चिंता में डाल दिया है।

मेरठ स्थित केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बताया, "मिलिट्री डेयरी फार्म के बंद होने का असर हमारे संस्थान पर भी पड़ेगा क्योंकि हमारा संस्थान इनके ही परिक्षेत्र में बना हुआ है। साथ ही इन फार्मों को तकनीकी सुविधाएं भी हमारे संस्थान द्धारा ही दी जाती थी।" इस संस्थान में फ्रीजवाल नस्ल के टीके तैयार करके देश भर के सैन्य फार्मों में भेजे जाते थे। पूरे देशभर में 70 से 80 हजार टीके जाते थे। सेना के जवानों को पौष्टिक दूध मिले, इसके लिए अंग्रेजों ने ऐसा पहला प्रयोग गोपालन फार्म के नाम से वर्ष 1889 में इलाहाबाद में शुरु किया था इसे सैन्य फार्म का नाम दिया गया।


       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.