ध्यान दें ! न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने वाले खाताधारकों से गैर-वाजिब चार्ज की वसूली कर रहे ये बैंक  

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ध्यान दें ! न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने वाले खाताधारकों से गैर-वाजिब चार्ज की वसूली कर रहे ये बैंक  ग्रामीण बैंक।

आपका खाता निजी बैंक में हो या सरकारी में, ज्यादातर जगहों पर आपको अपने बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस रखना पड़ता है। यह दर खातों और बैंकों के मुताबिक अलग-अलग होती है, लेकिन कुछ बैंक आप से इसके नाम पर अनुचित शुल्क वसूल रहे हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटी-मुंबई) के एक प्रोफेसर ने यह दावा किया है। प्रोफेसर आशीष दास के मुताबिक देश के कुछ प्रमुख निजी और सरकारी बैंक अनुचित शुल्क वसूल रहे हैं। कुछ बैंक अपने ग्राहकों पर 100 फीसदी से ज्यादा का सालाना जुर्माना भी लगा रहे हैं।दास के अध्ययन के मुताबिक कुछ बैंक औसतन 78 फीसदी का वार्षिक जुर्माना लगा रहे हैं। ये बैंक आरबीआई की तरफ से न्यूनतम बैलेंस के लिए तय मानकों की दज्ज‍ियां उड़ा रहे हैं।

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न्यूनतम बैलेंस को लेकर आरबीआई ने साफ किया है कि न्यूनतम बैलेंस न रखने पर बैंक जो चार्ज लगा रहे हैं, वे किफायती हों। ये चार्ज सेवा मुहैया करने के लिए लगने वाली लागत से ज्यादा न हो।अध्ययन के मुताबिक मौजूदा समय में भारतीय स्टेट बैंक न्यूनतम बैलेंस न रखने पर 24.96 फीसदी का जुर्माना लगाता है। कहीं आपका बैंक भी आप से अनुचित चार्ज तो नहीं वसूल रहा, इसको लेकर सतर्क रहें।

न्यूनतम बैलेंस पर लगने वाले चार्ज को लेकर आप अपने बैंक से जानकारी हासिल कर सकते हैं। हमेशा ये जानकारी जरूर रखें कि आपको अपने खाते में न्यूनतम बैलेंस रखना है कि नहीं। अगर नहीं, तो आप से किसी भी तरह का चार्ज इसके लिए नहीं वसूला जा सकता।अगर न्यूनतम बैलेंस की शर्त आप पर लागू होती है, तो कोशिश करें कि आप इस शर्त को हमेशा पूरा करें, ताकि किसी भी तरह आपको एक्स्ट्रा चार्ज न देना पड़े। ऐसे मामलों में जानकारी रखना ही आपको नुकसान सहने से बचा सकता है।

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कौन से बैंक कितना चार्ज करते हैं?

इस अध्ययन के मुताबिक इंडियन ओवरसीज बैंक न्यूनतम पड़ रही राशि का 160 फीसदी सालाना चार्ज लगाता है।इसके अलावा यस बैंक 113 फीसदी, एचडीएफसी 84 फीसदी और एक्सिस बैंक 82 फीसदी चार्ज लगाता है। इनके साथ देश के सबसे बड़े व्यावसायिक बैंक एसबीआई के लिए यह आंकड़ा 25 फीसदी है। दूसरी ओर, न्यूनतम बैलेंस न होने पर चार्ज के बारे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के दिशानिर्देश के मुताबिक यह ग्राहकों को सेवा देने की औसत लागत से अधिक नहीं होना चाहिए।

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