प्रधानमंत्री आवास योजना : सस्ते घरों पर जोर, शहरी विकास मंत्रालय की बजट बढ़ाने की मांग

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प्रधानमंत्री आवास योजना : सस्ते घरों पर जोर, शहरी विकास मंत्रालय की बजट बढ़ाने की मांगप्रधानमंत्री आवास योजना। प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली। 'सबके लिये आवास' योजना (PMA-पीएमए योजना) के तहत, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय की एक करोड़ से ज्यादा घरों के निर्माण की योजना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बजट आवंटन में तीन गुना तक इजाफा करने की मांग वित्त मंत्रालय को भेजी गई है। मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्रालय को भेजे गये बजट मांग प्रस्ताव में 'सबके लिये आवास' योजना पर ही इस बार पूरा जोर दिया गया है। इस योजना के तहत देश के सभी नागरिकों को 2022 तक पक्का घर मुहैया कराने का वादा केंद्र की मोदी सरकार ने किया है, जिसके लिए निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को सरकार द्वारा लोन लेने पर 2.67 लाख रूपये की ब्याज सब्सिडी दी जाती है।

सस्ते घरों के लिए 20 हजार करोड़ की मांग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'प्रधानमंत्री आवास योजना' को कामयाब बनाने के लिए इस बार आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से 20 हजार करोड़ रुपये की सहायता मांगी है। हालांकि, पिछले बजट में उसे महज 6,000 करोड़ रुपये ही मिले थे। लेकिन मंत्रालय का तर्क है कि अगर प्रधानमंत्री के सभी को छत मुहैया कराने वाले मिशन को तय वक्त पर पूरा करना है तो उसे इस मद में मोटी रकम की जरूरत होगी।

अब तक सिर्फ 12 हजार करोड़ रुपये की सहायता

मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए वित्त मंत्रालय से लगभग 20,000 करोड़ रुपये की मांग की गई है, ताकि जल्द से जल्द प्रोजेक्ट को मंजूर किया जाए और निर्माण कार्य शुरू करके 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, सभी को घर मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार को एक लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध करानी है, लेकिन अब तक सिर्फ 12 हजार करोड़ रुपये की सहायता ही दी गई है।

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इसलिए अब बचे वर्षों में केंद्र सरकार को ज्यादा राशि उपलब्ध करानी होगी। यही वजह है कि मंत्रालय चाहता है कि इस बार उसे कम-से-कम 20 हजार करोड़ रुपये मुहैया कराए जाएं, ताकि वह इस प्रॉजेक्ट को रफ्तार दे सके और राज्यों पर दबाव बना सके कि वे जल्द-से-जल्द हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स को पूरा कराएं। हालांकि, अधिकारियों का यह भी कहना है कि भले ही केंद्र सरकार वित्तीय सहायता दे रही हो, लेकिन हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स पर अमल राज्यों को ही करना है। ऐसे में उन्हें भी इसमें रुचि दिखानी होगी।

स्मार्ट सिटी पर भी जोर

मंत्रालय ने स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट के लिए भी इस बार 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि मांगी है। हालांकि, पिछले बजट में इस मद में 4,000 करोड़ रुपये की राशि मिली थी। अब मंत्रालय का कहना है कि एक तो अब स्मार्ट सिटी के लिए चुने गए शहरों की संख्या बढ़कर 90 हो चुकी है और दूसरा यह भी है कि अब स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्टस में से अधिकांश फाइलों से निकल कर जमीन पर आ गए हैं। ऐसे में अब उनपर खर्च तेजी से बढ़ेगा। ऐसे में इस बार उसे ज्यादा रकम की जरूरत है। वैसे भी सरकार की चिंता रही है कि स्मार्ट सिटी परियाजेनाओं पर तेजी से काम हो, ताकि उसमें लोगों को मोदी सरकार की छवि नजर आए। मंत्रालय का मानना है कि अब 2019 से पहले यही मौका है, जबकि इस मद में ज्यादा रकम देकर स्मार्ट शहरों में तेजी से विकास काम नजर आएं।

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अभी तक योजना में बने करीब तीन लाख घर

कामयाब कंपनियों को इस योजना के तहत तमाम इलाकों में सस्ते घर बनाने का काम दिया जायेगा। इससे पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिये भी ब्लूमबर्ग ने बतौर नॉलेज पार्टनर 'ग्लोबल चेलैंज' आयोजित किया था। 'प्रधानमंत्री आवास योजना' के तहत चार साल पहले शुरू किये गये 'सबके लिये घर' अभियान में अब तक सिर्फ 2.91 लाख घर बन पाये हैं।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2017-18 तक इस योजना के तहत राज्यों को 11, 899 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं। हालांकि इस योजना में घरों के निर्माण की धीमी गति के बाद पिछले दो साल में घरों के निर्माण में इजाफा हुआ है। साल 2014-15 में देश भर में मात्र 2506 घर बन सके थे। इसके बाद 2015-16 में यह संख्या बढ़कर 18,706, साल 2016-17 में 66985 और साल 2017-18 में 203094 घरों तक पहुंच गयी।

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