उत्‍तर प्रदेश: साढ़े तीन साल की बच्‍ची से किया रेप, दांत काटे-मारपीट की और छोड़ दिया मरने को

ये मामला उत्‍तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के एक गांव* का है। यहां के रहने वाले रामाश्रेय (काल्‍पनिक नाम) की 6 बेटियां और एक बेटा है। इन्‍हीं में सबसे छोटी बेटी जो कि साढ़े तीन साल की है उसका रेप हुआ है।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   19 Nov 2018 11:03 AM GMT

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उत्‍तर प्रदेश: साढ़े तीन साल की बच्‍ची से किया रेप, दांत काटे-मारपीट की और छोड़ दिया मरने को

लखनऊ. एक बच्‍ची के जननांग से खून रिस रहा है, चोट की वजह से दाईं आंख सूज गई है और उसमें खून जम गया है, गर्दन और गाल पर काटे का निशान है और पूरा शरीर गहरे ज़ख्मों से भरा हुआ। ये हाल साढ़े तीन साल की उस बच्‍ची का है जिसका रेप हुआ है और उसका पिता उसे कंधे पर लादकर अस्‍पताल के चक्‍कर लगा रहा है। मासूम से पूछो कि क्‍या हुआ? तो अपनी तोतली जबान में कहती है, ''राहुल दादा मारिन हैं।''

ये मामला उत्‍तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के एक गांव* का है। यहां के रहने वाले रामाश्रेय (काल्‍पनिक नाम) की 6 बेटियां और एक बेटा है। इन्‍हीं में सबसे छोटी बेटी जो कि साढ़े तीन साल की है उसका रेप हुआ है। आरोप है कि घर के पास ही रहने वाले राहुल चौहान (24 साल), जिसे बच्‍ची प्‍यार से 'राहुल दादा' कहती थी उसने इस घृणित काम को अंजाम दिया है। फिलहाल राहुल फरार है और पीड़ित बच्‍ची का परिवार उसके इलाज के लिए लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के चक्‍कर लगा रहा है।

पीड़ित बच्‍ची के पिता रामाश्रेय बताते हैं, ''मेरी बिटिया पूरी रात जंगल में पड़ी रही। सुबह मेरे दोस्‍त को मिली तो वो उसे लेकर आए। बच्‍ची पूरी तरह मिट्टी में सनी हुई थी और कांप रही थी। बच्‍ची ने बताया कि राहुल उसे जंगल में ले गया और फिर मारा है, पटका है और दांत से काटा भी है। मेरे बेटी के जननांग में चोट आई है जिससे लगातार खून रिस रहा है, अभी अस्‍पताल में उसी का इलाज करा रहे हैं।''

बच्‍ची के पूरे शरीर पर घाव हैं।

पीड़ित बच्‍ची को कंधे पर लिए रामाश्रेय कहते हैं, ''अगर हमार बिटिया गवाही न देत, अगर मर जाता तो हम इहो सोच न पात कि ऊ (राहुल) करेन है।'' (अगर मेरी बेटी गवाही न देती, मर जाती तो हम ये भी न सोच पाते कि वो ऐसा किया होगा।) रामाश्रेय ये बात भी कहते है कि उसे अंदाजा ही नहीं था कि राहुल ऐसा कर सकता है।

रामाश्रेय बताते हैं, ''जिस रात (17 नवंबर) ये घटना हुई राहुल मेरे साथ ही बैठा था। मेरे बटी आई और उसने मुझे पहनने के लिए 'माता जी' का कड़ा दिया। मैंने कहा कि अभी तुम पहन लो मैं सुबह पहन लूंगा। इसपर वो मान भी गई। पास ही बैठे राहुल ने भी उससे कड़ा लेने की कोशिश की, उसे चिढ़ाते हुए बात भी कर रहा था, लेकिन इस दौरान ऐसा नहीं लगा कि वो ये घटना कर देगा।''

इस सवाल पर कि आपकी बेटी पूरी रात गायब रही और आपने उसकी तलाश भी नहीं की? इसपर रामाश्रेय कहते हैं, ''घटना से दो दिन पहले मेरा परिवार अयोध्‍या परिक्रमा पर गया था। वहां से सब लौटकर बहुत थके हुए थे। इसलिए घटना की रात सब जल्‍दी सोने की तैयारी में थे। मेरी पत्‍नी ने बिटिया को सोने के लिए कहा तो वो मेरे साथ सोने की जिद करने लगी। बहुत मनाने पर मानी और कुछ देर बाद घर में जाने की बात कहने लगी। मेरे घर के पास ही एक मंदिर बन रहा है, मुझे वहां कुछ काम था। मैं वहां चला गया उसके बाद बेटी को कब राहुल लेकर चला गया पता नहीं। घर में सब थके हुए थे इस लिए जल्‍दी सो भी गए। वो तो सुबह मेरे दोस्‍त ने देख लिया नहीं तो मेरी बेटी एक-दो घंटे और जंगल में पड़ी रहती।''

''राहुल मेरी बेटी को मरने के लिए जंगल में छोड़कर भाग गया। उसे लगा कि रात भर में उसे सियार नोच खाएंगे, लेकिन उसकी किस्‍मत अच्‍छी रही कि वो बच गई।''- पीड़ित बच्‍ची के पिता

रामाश्रेय बताते हैं, ''राहुल गुजरात में प्‍लंबर का काम करता था। जब वहां उत्‍तर भारतीयों के साथ मार पीट होने लगी तो वो गांव आ गया। यहां आने के बाद से ही वो मेरे घर आता जाता था। मेरी छोटी बेटी भी उसे राहुल दादा-राहुल दादा करके पुकारती थी। हमें कभी लगा ही नहीं कि वो ऐसा कर सकता है।''

बात करें बच्‍ची की तो वो सदमे की वजह से ज्‍यादातर खमोश ही रहती है। बच्‍ची की मां कहती हैं, ''मेरी बेटी हमेशा हंसती रहती थी, जबसे ये हुआ ज्‍यादा बोलती नहीं।'' उन्‍हें अपनी बच्‍ची के खाने की भी चिंता है। वो कहती हैं, ''डॉक्‍टर लोग कुछ पिलाने और खिलाने से भी मना किए हैं। सुबह से कुछ खाई भी नहीं है।''

पीड़ित बच्‍ची का परिवार उसके इलाज के लिए अस्‍पताल के चक्‍कर लगा रहा।

फिलहाल बच्‍ची के ऊपरी जख्‍मों को मलहम से भरने की कोशिश जारी है, लेकिन जो घाव उसके मन में लगे हैं उसका इलाज होते नहीं दिखता। इस घटना की वजह से अपने पिता से लिपटकर सोते हुए भी उसे डरावने ख्‍वाब ही आते होंगे।

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इस मामले पर बाराबंकी के सफदरगंज थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह कहते हैं, ''आरोपी फरार चल रहा है। उसकी तलाश जारी है। हमने आईपीसी की धारा 376, 363, 323, पॉक्सो एक्‍ट, एससीएसटी एक्‍ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।'' बता दें, पॉक्‍सो का पूरा नाम 'प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट' है। इस मामले में ही आरोपी को 7 से 8 साल की सजा हो सकती है। वहीं, धारा 376 रेप के लिए लगती है। इसमें भी 8 साल तक की जेल का प्रावधान है।

इसी तरह का एक मामला दिल्‍ली में भी सामने आया है। दिल्‍ली में शीशगंज गुरुद्वारा के पास दो साल की मासूम माता-पिता के साथ शुक्रवार की रात फुटपाथ पर सो रही थी। उसे नींद में ही अगवाकर उसके साथ रेप किया और फिर उसे मरने के लिए खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया गया। मासूम बच्ची का अभी इलाज चल रहा है। वहीं, पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने माना है कि उसने इस घटना को अंजाम दिया है।

बच्चों के प्रति होने वाले अपराध पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा।


बच्‍चों के साथ इस तरह की घटना अब आम हो गई हैं। रोजाना अखबारों की सुर्खियों में ये शामिल रहती हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2014 से 2016 तक के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 में 89423 केस सामने आए, 2015 में 94172 केस और 2016 में 106958 केस दर्ज किए गए। मतलब 2014 से 2015 में बच्चों के प्रति होने वाले अपराध 5.3 प्रतिशत की दर सेे बढ़े तो वहीं 2015 से 2016 के बीच ये बढ़कर 13.6 प्रतिशत हो गया।

भारत में वर्ष 2001 से 2016 के बीच बच्चों के प्रति होने वाले अपराध 10,814 से बढ़कर 1,06,958 हो गए। इन सोलह साल के बीच बच्चों के बलात्कार और यौन अपराध के कुल 1,53,701 मामले दर्ज किए गए. इसमें बच्चों से बलात्कार और पॉक्सो के तहत सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए गए। इन आंकाड़ों से जाहिर है कि बच्चों के प्रति दुराचार, उनका शोषण, तस्करी, हिंसा और उत्पीड़न बढ़ता ही जा रहा है।

* पीड़िता की पहचान छिपाने के लिए हमने गांव का नाम दर्ज नहीं किया है।

 

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