मनरेगा मजदूरों की मजदूरी बढ़ी, जानिए किस राज्य में मिल रहे हैं कितने रुपए 

Ashwani Kumar DwivediAshwani Kumar Dwivedi   16 April 2018 4:29 PM GMT

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मनरेगा मजदूरों की मजदूरी बढ़ी, जानिए किस राज्य में मिल रहे हैं कितने रुपए मनरेगा मजूदरों के लिए अच्छी ख़बर है। फोटो- अभिषेक वर्मा।

मनरेगा मजदूरों के लिए खुशखबरी है। एक अप्रैल 2018 से केंद्र सरकार ने देश के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी में बढ़ोत्तरी कर दी है।

इस संदर्भ में ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार ने 28 मार्च 2018 को अधिसूचना जारी की थी, जो की 1 अप्रैल से पूरे देश में लागू कर दी गई है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में मनरेगा मजदूरों को बढ़ी हुई दर से मजदूरी का भुगतान किया जाएगा।

जानें… किन राज्यों में एक अप्रैल से क्या होगी मजदूरी दर

राज्य ------ मजदूरी (रुपए प्रतिदिन)

आंध्र प्रदेश ------ 205

अरुणाचल प्रदेश ----- 177

असम ------ 189

बिहार ------ 168

छत्तीसगढ़ ------ 174

गोवा ------- 254

गुजरात ------ 194

हरियाणा ------- 281

हिमाचल प्रदेश ------ 184 (गैर अनुसूचित क्षेत्र)

हिमाचल प्रदेश ------- 230 (अनुसूचित क्षेत्र)

जम्मू-कश्मीर -------- 186

झारखण्ड --------- 168

कर्नाटक ------- 249

केरल ---------- 271

मध्य प्रदेश -------- 174

महारास्ट्र ------- 203

मणिपुर ------ 209

मेघालय ------ 181

मिजोरम ------- 194

नागालैंड ------ 177

ओडिशा ------ 182

पंजाब ------ 240

राजस्थान ------- 192

सिक्किम -------- 177

तमिलनाडु ------ 224

तेलंगाना ------- 205

त्रिपुरा -------- 177

उत्तर प्रदेश ------- 175

उत्तराखंड -------- 175

पश्चिमी बंगाल ------- 191

अंडमान और निकोबार -------- 250 (अंडमान जिला)

अंडमान और निकोबार---------------- 264 (निकोबार जिला)

चंडीगढ़ --------- 273

दादरा और नागर हवेली ---------- 220

दमन और दीव -------- 197

लक्ष्यद्वीप ------ 248

पंडूचेरी ------ 224

न्यूनतम खेतिहर मजदूरों से भी कम है मनरेगा मजदूरों की मजदूरी

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मनरेगा मजदूरों का वर्तमान मेहनताना 175 रुपए है और बिहार में मनरेगा मजदूरों की एक दिन की मजदूरी 168 रुपए है, जबकि वेबसाइट PAYCHECK.IN के अनुसार उत्तर प्रदेश में अकुशल मजदूर के लिए 246 रुपए प्रतिदिन और कुशल श्रमिक के 303 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी निर्धारित है।

लखनऊ जनपद के ग्राम पंचायत सोनवा के धिन्गुरपुर के निवासी सुशील बताते हैं, "मेरा जॉब कार्ड संख्या 77 है और परिवार में चार लोग हैं। कुल मिलाकर मेरे परिवार को एक साल में 100 दिन का रोजगार मिलना चाहिए, लेकिन पिछले एक वर्ष में मात्र 55 दिन ही काम मिला है। मनरेगा की मजदूरी कभी वक्त जरुरत पर नहीं मिल पाती तो गाँव क्षेत्र में ही मैं और मेरी पत्नी मजदूरी करने निकल जाते हैं।” वो आगे बताते हैं, “ मज़बूरी में 120 से 150 रुपए प्रतिदिन पर मजदूरी करके बच्चों को पाल रहे हैं। एक साल में सरकार अगर सौ दिन काम दे भी रही है तो पूरे साल का 17500 मेहनताना बनता है, इतने पैसे में कितना भी मन मार कर खर्च चलाए फिर भी खर्चा पूरा नहीं हो सकता।"

वहीं, ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के उपसचिव एके सुम्बली ने ‘गाँव कनेक्शन’ को फोन पर बताया, “1 अप्रैल से मनरेगा मजदूरों की बढ़ी हुई मजदूरी गजट के अनुसार भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू कर दी गई है।“

मनरेगा मजदूरों की मजदूरी न्यूनतम खेतिहर मजदूर की मजदूरी से कम होने की बात पर उपसचिव ने बताया, “कई राज्यों में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी न्यूनतम खेतिहर मजदूरों से कम है और कई राज्यों में यह खेतिहर मजदूरों से ज्यादा भी है, मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का निर्धारण महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ,2005(2005 का 42 )की धारा 6 की उपधारा (1) के अनुसार किया जाता है, जो भी संशोधन अब तक किये गये हैं, उनका गजट कर दिया गया है।“

मनरेगा योजना : वैधानिक अनिवार्यता से ज्यादा रही है महिलाओं की भागीदारी

नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि मनरेगा के तहत महिलाओं की भागीदारी वित्त वर्ष 2016-17 में 56 प्रतिशत और 2017-18 में 54 प्रतिशत रही जो योजना की एक तिहाई भागीदारी की वैधानिक अनिवार्यता से ज्यादा है।

ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राम कृपाल यादव ने हरिवंश के एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि उनका मंत्रालय राज्यों के साथ मिलकर मनरेगा योजना के तहत महिलाओं की भागीदारी में सुधार करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार मौजूदा वत्ति वर्ष 2017-18 में रोजगार प्राप्त करने वाले 7.45 करोड़ व्यक्तियों में 3.81 करोड़ महिलाएं थीं। (भाषा इनपुट)

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