कैबिनेट ने दी कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड के पुनर्गठन को मंजूरी, वैज्ञानिकों की भर्ती में आएगी पारदर्शिता

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कैबिनेट ने दी कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड के पुनर्गठन को मंजूरी, वैज्ञानिकों की भर्ती में आएगी पारदर्शिता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने बुधवार को कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) के पुनर्गठन को मंजूरी दी है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में वैज्ञानिकों की भर्ती प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने और उसमें पारदर्शिता लाने में इससे मदद मिलेगी।

नई व्यवस्था में एएसआरबी की स्वायत्ता, गोपनीयता और जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए उसे आईसीएआर से अलग कर दिया है । अब एएसआरबी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) से संबद्ध रहेगा। एएसआरबी का बजट भी आईसीएआर से अलग करके कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया गया है। अब एएसआरबी का सचिवालय में अपना प्रशासनिक स्टाफ होगा और उसका स्वतंत्र प्रशासनिक नियंत्रण होगा।



कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) में अब तीन सदस्यों के स्थान पर चार सदस्य होंगे। ऐसा माना जा रहा है कि इस पुनर्गठन से एएसआरबी का कामकाज दुरूस्तब हो जाएगा। इसके कारण भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी, जो कृषि समुदाय और कृषि के लिए फायदेमंद होगी।

नवम्बर 1973 में सरकार ने कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड की स्थापना को मंजूरी दी थी, जिसमें एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति शामिल थी। इसके तहत कृषि अनुसंधान सेवा एवं अनुसंधान पदों पर विभिन्न वैज्ञानिकों की नियुक्ति के संबंध में स्वतंत्र भर्ती एजेंसी के रूप में काम करना तय किया गया था। एएसआरबी के कामकाज में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड के पुनर्गठन का प्रस्ताव किया गया था। इस प्रस्ताव को अक्टूबर 1986 में मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी जिसके तहत सदस्यता एक से बढ़ाकर तीन कर दी गई थी। 1986 में हुए एएसआरबी के पुनर्गठन के बाद से बोर्ड का कामकाज बढ़ता गया और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में उसकी भूमिका भी बढ़ गई। तदनुसार बोर्ड के दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गई, जिसके मद्देनज़र अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को विशेषज्ञता के आधार पर शामिल किया जाना तय हुआ।

    

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