पंजाब में साहूकारों के लिए बनेगा कड़ा कानून, एमएसपी के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष
पंजाब में किसानों को प्रति एकड़ कितना लोन मिलेगा ये सरकार तय करेगी, इसके साथ ही किसानों को एमएसपी से नीचे फसल ने बेचनी पड़े,इसके लिए भी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।
गाँव कनेक्शन 24 Aug 2018 7:49 AM GMT
चंडीगढ़ (पंजाब)। पंजाब के किसानों के लिए दो राहत देने वाली ख़बरें हैं। पंजाब सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र से पहले किसानों से जुड़े दो बड़े फैसले लिए हैं। कैबिनेट किसानों को कर्ज़ के जाल से बचाने के लिए निजी साहूकारों के लिए लाइसेंस अनिवार्य करने का फैसला किया। इसके साथ ही किसानों को एसएमसपी मिले इसके लिए मूल्य स्थिरीकरण निधि बनाने का फैसला किया है।
शुक्रवार से शुरु हो रहे पंजाब विधानसभा के मानसून सत्र से पहले मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता पंजाब कृषि ऋणग्रस्तता निस्तारण अधिनियम, 2016 में संशोधन कर ये और अन्य कृषक समर्थक उपाय प्रदान करने का फैसला किया। इसके तहत निजी साहूकारों के लिए अपना कारोबार चलाने के लिए लाइसेंस हासिल करना और किसानों के लिए ऋण की राशि की सीमा तय करना अनिवार्य बनाने का फैसला किया।
बृहस्पतिवार को हुई मंत्रिमंडल बैठक में मंत्रिमंडल ने 2016 के कानून में संशोधन करने के लिए विधेयक को मंजूरी दी और विधानसभा सत्र में पेश करने का निर्णय लिया। पंजाब कृषि ऋणग्रस्तता निस्तारण (संशोधन) विधेयक, 2018 में ऋण की राशि की सीमा तय करने का प्रावधान है जो किसान प्रति एकड़ जमीन के लिए मांग सकता है। यानि अब सरकार तय करेगी कि किसान प्रति एकड़ कितना कर्ज ले सकेंगे। ये नियम किसान और मजदूर दोनों पर लागू होंगे।
नये कानून के तहत सरकार को साहूकारों द्वारा किसानों को दिये जाने वाले ऋण पर ब्याजदर को विनियमित करने का अधिकार होगा। साहूकार को अपने कारोबार के लिए लाइसेंस हासिल करना होगा। बिना लाइसेंस वाले साहूकारों के कारोबार को गैरकानूनी माना जाएगा और वह अपने ऋण को पुनः प्राप्त करने के लिए मामले को ऋण निपटान मंचों को स्थानांतरित करने के अधिकारी नहीं होंगे।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार कर्ज निपटान फोरम की कुल संख्या घटाने का फैसला किया गया है। साल 2016 में पास किए एक्ट के अनुसार संख्या 22 है, जो 5 की जाएगी। नए अधिनयम के तहत प्रदेस में एक फोरम बनेगा। जिसमें इसमें एक जज, राजस्व विभाग और कृषि से सबंधित व्यक्ति शामिल होगा, जिसके तहत हर जिले में किसान अदालत बनाने की व्यवस्था है। हालांकि शुरुआत में सरकार ने तय किया है किस सिर्फ 3 जिलों में किसान अदालतों का गठन होगा। वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने गुरुवार को मीडिया को बताया था कि जस्टिस रणजीत आयोग की रिपोर्ट विधानसभा सत्र में रखी जाएगी और स्पीकर ने इजाजत दी तो इस पर बहस भी होगी।
पंजाब में करीब 15 लाख किसान और कृषि मजदूर कर्ज़ के जाल में फंसे हुए हैं। इनमें से 10 लाख किसानों को बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को 9,500 करोड़ रुपये देना है, इसी लोन को सरकार ने माफ करने का वादा किया है, हालांकि अभी ये पता नहीं है कि किसानों पर साहूकारों का लोन कितना है।
प्रदेश के किसानों को उनके उत्पादन के बदले न्यूनमतम समर्थन मूल्य जरुर मिले इसके लिए कैबिनेट ने मूल्य स्थिरीकरण निधि बनाने का फैसला किया है। इस बिल के द्वारा 'द पंजाब एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्कीट्स एक्ट-1961' की धारा 25-ए और 26 और 28 में संशोधन किया जाएगा।
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