भोपाल में कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल तुरंत बंद करे सरकार, 40 से ज्यादा संगठनों ने उठाई आवाज

भोपाल में गैस कांड के पीड़ितों पर कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल किये जाने को लेकर विवाद अब और भी ज्यादा गहराता जा रहा है। अब 40 से ज्यादा संगठनों ने भोपाल के पीपल्स अस्पताल में चल रहे क्लिनिकल ट्रायल को तुरंत रोके जाने की मांग की है।

Kushal MishraKushal Mishra   14 Jan 2021 1:22 PM GMT

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भोपाल में कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल तुरंत बंद करे सरकार, 40 से ज्यादा संगठनों ने उठाई आवाज(प्रतीकात्मक तस्वीर) फोटो साभार : एआईआर न्यूज़

भारत बायोटेक कंपनी के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल भोपाल के गैस कांड के पीड़ितों पर किये जाने को लेकर विवाद और भी गहराता जा रहा है। अब 40 से ज्यादा सिविल सोसाइटी संगठनों ने केंद्र सरकार से भोपाल के पीपल्स अस्पताल द्वारा गैस पीड़ितों पर किये गए क्लिनिकल ट्रायल को तुरंत बंद किये जाने और इसकी निष्पक्ष जांच किये जाने की मांग की है।

भोपाल के पीपल्स अस्पताल पर गैस कांड पीड़ितों को बिना सही जानकारी दिए उन पर कोवैक्सीन के थर्ड फेज के क्लिनिकल ट्रायल किये जाने को लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं। दिसंबर में हुए इन क्लिनिकल ट्रायल के बीच 21 दिसंबर को एक वालंटियर दीपक मरावी की मौत हो गयी थी। इसके अलावा कई गैस कांड पीड़ितों को ट्रायल में शामिल किया गया जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ने का मामला भी सामने आया।

इस क्लिनिकल ट्रायल में ट्रायल से जुड़े नियमों और कानूनों की अनदेखी किये जाने को लेकर इन सभी संगठनों की मांग है कि भोपाल में इस क्लिनिकल ट्रायल को तुरंत बंद किया जाना चाहिए। इसके अलावा क्लिनिकल ट्रायल की निष्पक्ष जांच किये जाने और साथ जुड़े अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के साथ पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग की गयी है।

फोटो साभार : भारत बायोटेक

इससे पहले 10 जनवरी को भोपाल गैस कांड से जुड़े चार संगठनों ने गरीब, अनपढ़ और मजदूर परिवार से जुड़े इन वालंटियर को साथ लेकर मीडिया के साथ चर्चा की। इस दौरान कई वालंटियर ने बताया कि उन्हें कोरोना का टीका लगाने और इसके एवज में 750 रुपये दिए जाने की बात कही गयी। ट्रायल के बाद इंजेक्शन लगने पर कई वालंटियर की सेहत बिगड़ गयी।

पीड़ित परिवारों के सामने आने के बाद भोपाल गैस पीड़ित संगठनों के अलावा कई सिविल सोसाइटी ने भी माना है कि इस क्लिनिकल ट्रायल में व्यापक अनियमितता बरती गयी है। कई वालंटियर ने कहा कि उन्हें ट्रायल से जुड़े सहमति पत्र की कॉपी भी नहीं दी गयी और न ही कोई विडियो रिकॉर्डिंग की गयी। इसलिए हमारी मांग है कि इन वालंटियर से जुड़ी पूरी जानकारी दी जाए।

मालिनी असोला, सह संयोजक, आल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क

इस बारे में आल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क की सह संयोजक मालिनी असोला 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "पीड़ित परिवारों के सामने आने के बाद भोपाल गैस पीड़ित संगठनों के अलावा कई सिविल सोसाइटी ने भी माना है कि इस क्लिनिकल ट्रायल में व्यापक अनियमितता बरती गयी है। कई वालंटियर ने कहा कि उन्हें ट्रायल से जुड़े सहमति पत्र की कॉपी भी नहीं दी गयी और न ही कोई विडियो रिकॉर्डिंग की गयी। इसलिए हमारी मांग है कि इन वालंटियर से जुड़ी पूरी जानकारी दी जाए।"

मालिनी बताती हैं, "कुल मिलाकर वालंटियर के अनुसार पीपुल्स अस्पताल में कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में आईसीएमआर के नियमों से समझौता किया गया है। इसलिए इस ट्रायल के डेटा को उस डेटा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए जिसका तीसरे चरण के लिए विश्लेषण किया जाएगा। संगठनों की मांग है कि वैक्सीन के प्रति जनता के विश्वास को बनाए रखने की दिशा में जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।"

इतना ही नहीं, ट्रायल के बाद जब कई वालंटियर को सेहत से जुड़ी समस्याएं सामने आयीं तो कई वालंटियर ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें अस्पताल प्रशासन की ओर से से कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिला। ऐसे में भोपाल गैस पीड़ित परिवारों से जुड़े चार संगठनों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिख कर ट्रायल रोके जाने की मांग की थी।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन से जुड़ीं और सामाजिक कार्यकर्त्ता रचना ढींगरा बताती हैं, "क्लिनिकल ट्रायल में भोपाल गैस पीड़ितों के साथ जो हुआ, उसके लिए अब न सिर्फ 42 संगठनों ने आवाज उठाई है, बल्कि देश के करीब 190 डॉक्टर, शिक्षाविदों और शोधकर्ता भी क्लिनिकल ट्रायल में किये गए उल्लंघनों को उजागर करने के लिए हमारे साथ आये हैं। हमारी सरकार से मांग है कि इन ट्रायल को तुरंत रोक कर इन पीड़ितों को न्याय दिलाया जाए।"

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