पांच में से तीन बच्चे जन्म के पहले घंटे में कोलोस्ट्रम से रह जाते हैं वंचित : अध्ययन

बच्चे के जन्म के तत्काल बाद मां के दूध के रूप में कोलेास्ट्रम का उत्पादन होता है, कोलोस्ट्रम में नवजात शिशु को कई बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी एंटीबॉडी पाए जाते हैं।

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पांच में से तीन बच्चे जन्म के पहले घंटे में कोलोस्ट्रम से रह जाते हैं वंचित : अध्ययनप्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

नई दिल्ली। भारत में तीन साल से कम उम्र के करीब 60 फीसदी बच्चे अपनी मां के पहले दूध के रूप में मिलने वाले प्रथम टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं। बाल अधिकार निकाय सीआरवाई की एक नवीनतम रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

बच्चे के जन्म के तत्काल बाद मां के दूध के रूप में कोलेास्ट्रम का उत्पादन होता है। कोलोस्ट्रम में नवजात शिशु को कई बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी एंटीबॉडी पाए जाते हैं। इसे स्वाभाविक तौर पर उपलब्ध, बेहद प्रभावी तथा किफायती जीवन रक्षक माना जाता है। चाइल्ड राइट्स एंड यू की तैयार रिपोर्ट में 2015-16 में हुए एनएफएचएस के नवीनतम सर्वे के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि भारत में प्रति पांच में से तीन बच्चे जन्म के पहले घंटे में जीवनरक्षक कोलोस्ट्रम से वंचित रह जाते हैं।

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इस रिपोर्ट में बताया गया है भारत में तीन साल से कम उम्र के करीब 60 फीसदी बच्चे अपनी मां के पहले दूध के रूप में मिलने वाले प्रथम टीकाकरण यानी कोलोस्ट्रम से वंचित रह जाते हैं। चिकित्सकीय संदर्भ में इसे स्वाभाविक तौर पर उपलब्ध, बेहद प्रभावी तथा किफायती जीवन रक्षक माना जाता है।

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यह रिपोर्ट विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान जारी की गई। हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है भारत में स्तनपान करने वाले बच्चों की स्थिति वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए। हालांकि देश भर में स्तनपान बेहतर हुआ है लेकिन तीन साल से कम उम्र के प्रति पांच में से दो बच्चे ही जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कर पाते हैं।

प्रतिकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

इसमें बच्चों को मां के दूध के साथ साथ पूरक आहार दिए जाने के चलन का भी जिक्र है। रिपोर्ट में कहा गया है, समझा जाता है कि 2005-06 के दौरान छह से आठ माह की उम्र के 52 फीसदी से अधिक बच्चों को स्तनपान के साथ साथ पूरक आहार दिया गया। लेकिन 2015-16 में यह संख्या घट कर 42.7 फीसदी हो गई।

इसमें यह भी कहा गया है कि आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण इलाकों के 56 फीसदी बच्चे अपने शुरूआती छह माह के दौरान स्तनपान करते हैं वहीं शहरी क्षेत्र में यह प्रतिशत 52 है। सीआरवाई की सीईओ पूजा मारवाह ने बताया, नवजात शिशु के संपूर्ण विकास के लिए उसके जन्म के शुरूआती छह माह के दौरान स्तनपान अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा मां का दूध बच्चे की शुरूआती प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए बहुत जरूरी है। यही वजह इसे बच्चे के लिए आवश्यक आहार बनाती है। इससे बच्चे को पर्याप्त ऊर्जा और प्रोटीन मिलते हैं और बच्चे की शुरूआती छह माह की जरूरत पूरी होती है।

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