होटल ताज पर ढका कपड़ा या भारत पर आतंक का दाग

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होटल ताज पर ढका कपड़ा या भारत पर आतंक का दागमुंबई। होटल ताज को वो हिस्सा जो आंतकी हमले में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था।

मुंबई से लौट कर ऋषि मिश्र

लखनऊ। किसी भी शहर के पांच सितारा होटल उसके समृद्धि का एक प्रतीक होते हैं। मुंबई शहर की वैभवशाली परंपरा का हिस्सा है, पुराना होटल ताज। गेटवे ऑफ इंडिया जिसको अंग्रेजी साम्राज्य के प्रमुख जार्ज पंचम के भारत आने की याद में बनवाया गया था, उसके सामने स्थित ये होटल अपने पुराने वैभव में आज भी रचा-बसा है।

मगर इसके बायें कोने पर ऊपर से नीचे तक ढका हुआ तिरपालनुमा कपड़े का कवर आज भी करीब नौ साल पुराने उस वारदात की याद दिलाता है, जिसमें पूरी दुनिया को हिला दिया था। 26 नवंबर 2008 को होटल ताज के जिस हिस्से को पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था, वह हिस्सा आज भी निर्माणाधीन है। ताज होटल पर लगा ये पैबंद आज भी मुंबईवासियों को उस हमले और उसकी विभीषिका को आज भी याद दिला देता है। मुंबई उस हादसे के बाद अब तक नहीं उबर सका है। अब भी मुंबईकरों के दिल के एक कोने में उस हादसे की यादें हैं। मुंबई में जगह जगह अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था उसकी एक बानगी है।

मेरी हाल की मुंबई यात्रा ने मुझको ऐसे ही कुछ नजारों से दो-चार करवाया। 26 नवंबर के उस हादसे सैकड़ों लोगों की जान गई थी। कई बड़े पुलिस अफसर, एनसजी कमांडो और मुंबई पुलिस के जवान इस हमले में शहीद हुए थे। समुद्र के रास्ते से मुंबई में घुसे 10 आतंकियों ने ताज होटल, सीएसटी रेलवे स्टेशन, नारीमन हाउस, होटल ट्राइडेंट, बीकाजी कामा रुग्णालय सहित कुछ अन्य स्थलों पर हमला किया था। जिसमें सबसे बड़ा हमला होटल ताज पर ही हुआ ।

नवी मुंबई के वासी में रहने वाले निजी कंपनी में इंजीनियर गुरुप्रीत सिंह बताते हैं कि, अब काफी देर तक अगर ताज होटल की ओर एकटक देखता है तो उसको भी शक की निगाह से देखा जाता है। होटल अंदर प्रवेश करने के लिए भी कड़ी सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है। होटल के बाहर कए किनारे को नीचे से ऊपरी मंजिल तक को कपड़े से ढंका गया है। यहां अब तक मरम्मत जारी है। बम विस्फोटों के जरिये इसी हिस्से को सबसे अधिक नुकसान आतंकवादियों ने पहुंचाया था।

गेटवे ऑफ इंडिया जहां पहले लोग आराम से बिना किसी रुकावट के अंदर जाया करते थे। वहां मेटल डिटेक्टर और स्कैनर जैसी कड़ी जांचों से गुजर कर ही लोग अंदर जा पाते हैं। इसके अलावा यहां समुद्र भी अब कड़ी निगहबानी में है। नेवी के जहाज और हेलीकॉप्टर से भी समुद्र पर नजर रखी जाती है। सीएसटी से टैक्सी चलाने वाले जावेद बताते हैं कि, “सेठ अब सबकुछ पहले जैसा आसान नहीं रहा मुंबई में। हर जगह जांच है। सब जगह पहुंच पाना आसान नहीं है। आप अगर सड़क पर खड़े फोटो भी खींचेंगे तो आप पर नजर रहती है।”

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महालक्ष्मी मंदिर जहां रोज हजारों दर्शन करने के लिए जाते हैं। पहले पर्यटक मंदिर के पीछे समुद्र के किनारे जाकर काले पत्थरों पर बैठ कर घंटों समुद्र की लहरों का आनंद लिया करते थे। मगर महालक्ष्मी मंदिर के तट को भी अब बंद कर दिया गया है। यहां प्रसाद की दुकान लगाने वाले लक्ष्मण तावड़े का कहना है कि “इस संबंध में मुंबई पुलिस के दिशा निर्देश हैं। ऐसे सारे तट बंद करने के लिए क गया है। हर तट पर कड़ी सुरक्षा है। यहां अधिक सुरक्षा नहीं हो सकती है। इसलिए इसको बंद कर दिया गया है।”

नेवी एरिया और कोलाबा सबसे अधिक संवेदनशील

कोलाबा के पास कोलीवाड़ा का वह क्षेत्र जहां से आतंकवादी मुंबई में प्रवेश कर गए थे, वहां नेवी मुख्यालय के आसपास के इलाके में तो मुंबई पुलिस इस कदर सख्त है कि, यहां फोटोग्राफी करना तक मना है। मुंबई में कपड़ों के व्यवसाय में लगे जफर बताते हैं कि “कई ऐसे इलाके हैं जिनको देख कर लगता है कि अब तक यहां उस आतंकी घटना का असर खत्म नहीं हुआ है। अभी महसूस यहां नागरिकों पर अनेक तरह की पाबंदियां हैं। मुंबई उस हादसे के बाद बदल गया है। कब तक बदला रहेगा कोई नहीं जानता है।”

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