2जी घोटाले के बाद आदर्श सोसाइटी घोटाले में आए फैसले में एक और बड़े नेता अशोक चव्हाण को राहत, नहीं चलेगा मुकदमा

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   22 Dec 2017 3:46 PM GMT

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2जी घोटाले के बाद आदर्श सोसाइटी घोटाले में आए फैसले में एक और बड़े नेता अशोक चव्हाण को राहत, नहीं चलेगा मुकदमा

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण 

मुंबई (भाषा)। 2जी घोटाले के फैसले के बाद आज एक और मामले में आए फैसले में आरोपी को बरी कर दिया गया। मामला आदर्श सोसाइटी घोटाले का है जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को बंबई हाईकोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिली है। बंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आदर्श घोटाले में चव्हाण पर मुकदमा चलाने के राज्यपाल सी.वी. राव के आदेश पर रोक लगा दी है।

न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति साधना जाधव की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि हालांकि सीबीआई ने मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगते वक्त दावा किया था कि उसके पास अशोक चव्हाण के खिलाफ नए सबूत हैं, लेकिन वह कोई नया सबूत पेश करने में असफल रही।

पीठ ने कहा कि सीबीआई ने राज्यपाल सी विद्यासागर राव के समक्ष जो सामग्री पेश की है, उसे अशोक चव्हाण के खिलाफ नए प्रामाणिक सबूत के तौर पर नहीं माना जा सकता। अदालत ने कहा, स्वीकृति प्राधिकार एक स्वतंत्र इकाई है जो कि किसी की राय से खुद को प्रभावित नहीं होने दे सकती।

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अशोक चव्हाण ने राव के आदेश को चुनौती देते हुए इसे मनमाना, अवैध और औचित्यहीन करार दिया था तथा कहा था कि यह दुर्भावनापूर्ण इरादे से पारित किया गया है।

फरवरी 2016 में राज्यपाल राव ने आदर्श सोसायटी घोटाले में आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और शक्तियों के दुरुपयोग सहित विभिन्न आरोपों में चव्हाण पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।

गौरतलब है कि राज्य के पूर्ववर्ती राज्यपाल के. शंकरनारायणन ने 2013 में अशोक चव्हाण पर मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी थी लेकिन तीन साल बाद राव ने इसे मंजूरी दे दी। आदर्श घोटाला उजागर होने के बाद अशोक चव्हाण ने नवंबर 2010 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

घटनाक्रम जानें

  1. नवंबर 2010 :- आदर्श घोटाला सामने आया. सीबीआई जांच शुरू।
  2. 29 जनवरी, 2011 :- सीबीआई ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सहित 14 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया।
  3. चार जुलाई, 2012 :- सीबीआई ने इस मामले में पहला आरोपपत्र सीबीआई की विशेष अदालत में दायर किया।
  4. दिसंबर 2013 :- महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार किया।
  5. जनवरी 2014 :- सत्र अदालत ने सीबीआई के अनुरोध पर बतौर आरोपी अशोक चव्हाण का नाम मुकदमे से हटाने से इनकार किया।
  6. मार्च 2015 :- बंबई उच्च न्यायालय ने मुकदमे से नाम हटाने का अनुरोध करने वाली अशोक चव्हाण की याचिका को खारिज किया।
  7. अक्तूबर 2015 :- सीबीआई ने चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी प्राप्त करने के वास्ते महाराष्ट्र के राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव को और सबूत सौंपे।
  8. फरवरी 2016 :- राज्यपाल राव ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति सीबीआई को दी. राज्यपाल के आदेश के खिलाफ चव्हाण उच्च न्यायालय पहुंचे।
  9. 22 दिसंबर, 2017 :- उच्च न्यायालय ने चव्हाण की याचिका स्वीकार की. उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के राज्यपाल के आदेश को खारिज किया।

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