1993 मुंबई ब्लास्ट और अबू सलेम के बारे में वो सब जो आप जानना चाहते हैं

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1993 मुंबई ब्लास्ट और अबू सलेम के बारे में वो सब जो आप जानना चाहते हैंअबू सलेम।

लखनऊ। 1993 मुंबई ब्लास्ट मामले में आज फैसले की घड़ी है। स्पेशल टाडा कोर्ट अबू सलेम समेत 5 दोषियों को सजा सुनाई जाएगी। 24 साल पहले इन धमाकों को अंजाम दिया गया था, जिसमें 257 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 700 से ज्यादा घायल हुए थे। साथ ही 27 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट भी नष्ट थी। एक नजर मामले से जुड़ी बड़ी तारीखों पर -

  • 12 मार्च 1993: मुंबई में 12 जगहों पर एक के बाद एक धमाके किए गए थे।
  • 4 नवंबर 1993: 189 लोगों के खिलाफ केस दायर हुआ और फिर 10,000 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की गई।
  • 19 नवंबर 1993: मालमे की जांच सीबीआई को सौंपी गई।
  • 19 अप्रैल 1995: मुंबई की टाडा अदालत में सुनवाई शुरू।
  • अक्टूबर 2000: गवाहों के बयान लेने का काम पूरा हुआ।
  • सितंबर 2003: सुनवाई पूरी हुई। फैसला सुनाया जाना बाकी।
  • सितंबर 2006: अदालत ने फैसला सुनाना शुरू किया। 123 आरोपियों में से 12 को फांसी हुई। 20 को उम्र कैद हुई, जिनमें से दो की मौत हो चुकी थी। 68 लोगों को अलग-अलग उम्र कैद हुई। 23 लोगों को निर्दोष माना गया था।
  • नवंबर 2006: अभिनेता संजय दत्त को एके-56 राइफल रखने का दोषी पाया गया।
  • 27 जुलाई 2007: स्पेशल कोर्ट ने याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाई।
  • 21 मार्च 2013: सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त पर फैसला बरकरार रखा। अभिनेता को जेल भेज दिया गया।
  • 5 अगस्त 2013: सुप्रीम कोर्ट ने अबु सलेम के प्रत्यर्पण को सही ठहराते हुए उसके खिलाफ इस बम कांड में भी केस चलाने की अनुमति दी।
  • 30 जुलाई 2015: याकूब मेमन को फांसी दी गई।
  • 16 जून 2017: मुस्तफा दौसा और अबु सलेम समेत छह लोगों को दोषी ठहराया गया।

अबू सलेम को भी जानिए

नवीं पास अबू सलेम ने जांच अधिकारियों को बताया था कि वह मूल रूप से यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला है। 1984 में काम की तलाश में वह अपने एक दोस्त शमी के साथ मुंबई आया था। उसका एक भाई, जिसका मालाड पश्चिम में होटल का बिजनस था, उसके जोगेश्वरी स्थित घर में वह करीब चार साल तक रहा था। सलेम ने 1986 में अंधेरी के एक शॉपिंग सेंटर में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोली, जहां उसने सन 1992 तक कारोबार किया। उन दिनों माहिम का कोई अजीज इंर्पोटेड सामान के बिजनस से जुड़ा हुआ था। उसके आदमी बैंकॉक, हॉन्ग कॉन्ग, दुबई जाते थे। अबू सलेम अजीज से सामान लेता था।

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सलेम के एक रिश्तेदार अब्दुल वकील सऊदी अरब में काम करते थे। वह 1992 में मुंबई आए। उन्होंने अंधेरी में हंसनाबाद लेन में पासपोर्ट एजेंट और जॉब रिक्रूटमेंट एजेंसी के तौर पर अपना बिजनस शुरू किया। उसी दौरान मेंहदी हसन, जो खुद एक पासपोर्ट एजेंट था, उसने अब्दुल वकील के साथ काम करना शुरू कर दिया। मेंहदी उन दिनों सलेम के पास भी आता- जाता रहता था।

गोल्ड, सिल्वर की तस्करी

सलेम के अनुसार, सन 1992-93 में अजीज गोल्ड और सिल्वर स्मगलिंग के अवैध धंधे में शामिल हो गया। सलेम उससे गोल्ड और सिल्वर खरीदने लगा और उन्हें कांदिवली, मालाड के दो व्यापारियों और अंधेरी की दो दुकानों में बेचने लगा। दिसंबर, 1992 के आखिरी सप्ताह में अजीज ने सलेम को सिल्वर लाने का लालच देकर भरूच चलने का ऑफर दिया और मेंहदी हसन व कुछ अन्य को भी अजीज ने अपने साथ रख लिया। अजीज सभी को पहले बताई गई जगह से करीब 50 किलोमीटर दूर ले गया। वहां अजीज को एक मारुति वैन दी गई।

सलेम के अनुसार, उसने देखा कि गाड़ी में पीछे साइड नीचे की ओर कोई लकड़ी का बॉक्स रखा हुआ था। वह मानकर चल रहा था कि इस बॉक्स में सिल्वर रखा हुआ होगा, इसलिए उसने अजीज से कोई सवाल नहीं किया। सलेम के अनुसार, हम यह मारुति वैन लेकर अंधेरी में अपनी दुकान के पास आ गए। सलेम, ने जैसा कि जांच एजेंसियों का दावा है कि उन्हें बताया कि वहां कोई बाबा चव्हाण आया और इस मारुति वैन में उसे बैठाकर बांद्रा में हनीफ और समीर के पास ले गया। वहां से हनीफ इसी मारुति वैन में सभी को बैठाकर बांद्रा में संजय दत्त के बंगले ले गया।

बंगले में खुला एके-47 का बॉक्स

हनीफ और बाबा चव्हाण ने पेचकस से मारुति वैन में रखा बॉक्स खोला। सलेम के अनुसार, उस बॉक्स में 6 से 8 एके-47 राइफल्स दिख रही थीं। इन एके-47 को देखकर, उसने बाबा चव्हाण से पूछताछ की। जवाब में चव्हाण ने कहा कि तुम चिंता न करो। इन राइफल्स में से तीन संजय दत्त ने अपने पास रख लीं, जबकि शेष हनीफ, समीर व बाबा चव्हाण ने अपने पास सुरक्षित रखीं।

           

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