मुन्ना बजरंगी : 20 बरस में कीं 40 हत्याएं, खुद हुआ जेल में गोली का शिकार

पिछले 40 बरस में यूपी के अपराध जगत में मुन्ना बजरंगी का दबदबा था। कहा जाता है कि वह फिल्मों की तरह गैंगस्टर बनना चाहता था, उसका अंत भी ऐसा कुछ फिल्मी नाटकीयता भरा होगा यह उसने भी नहीं सोचा होगा।

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मुन्ना बजरंगी : 20 बरस में कीं 40 हत्याएं, खुद हुआ जेल में गोली का शिकार

यूपी के कुख्यात गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की सोमवार सुबह बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई। सोमवार को एक मामले में उसकी पेशी थी, इसीलिए उसे झांसी जेल से यहां लाया गया था। मुन्ना की हत्या से कुछ समय पहले उसकी पत्नी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आशंका भी जताई थी कि मुन्ना की जेल में हत्या की जा सकती है। पिछले 40 बरस में यूपी के अपराध जगत में मुन्ना बजरंगी का दबदबा था। कहा जाता है कि वह फिल्मों की तरह गैंगस्टर बनना चाहता था, उसका अंत भी ऐसा कुछ फिल्मी नाटकीयता भरा होगा यह उसने भी नहीं सोचा होगा।

बस पांचवी पास था गैंगस्टर

1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में जन्मे मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। पांचवी कक्षा के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और बहुत कम उम्र में ही उसे अपराध की दुनिया की चमक-दमक और रौब ने अपनी ओर खींच लिया। मुन्ना को हथियार रखने का शौक था, महज 17 साल की उम्र पुलिस ने उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहे रखने का केस दर्ज कर लिया।

पहला मर्डर 1984 में

मुन्ना को जल्द ही जौनपुर के ही एक माफिया गजराज सिंह का संरक्षण मिल गया। 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। कहा जाता है कि इसके बाद गजराज सिंह के ही कहने पर मुन्ना ने जौनपुर के बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह का भी मर्डर कर दिया। इसके बाद उसने कई हत्याएं कीं। मुन्ना बजरंगी ने एक बार दावा किया था कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की हैं।



मिला मुख्तार अंसारी का साथ

90 के दशक में मुन्ना पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और नेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। मुख्तार अंसारी 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक बने। इसके बाद मुन्ना सरकारी ठेकों पर अपनी नजर रखने लगा। पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और रंगदारी के कारोबार में मुख्तार अंसारी की चलती थी। इसी बीच बीजेपी के तेजी से उभरते विधायक कृष्णानंद राय मुख्तार के लिए चुनौती बनने लगे, कहा जाता है कि उन पर मुख्तार के विरोधी बृजेश सिंह का हाथ था।

बीजेपी विधायक की हत्या

दोनों में टकराव हुआ और मुख्तार के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने 29 नवंबर 2005 को लखनऊ हाईवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर AK47 से 400 गोलियां बरसा कर उनकी हत्या कर दी। गोलीबारी में कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए। इस घटना के बाद मुन्ना बजरंगी पुलिस के लिए मोस्ट वॉन्टेड अपराधी बन गया था। इस हत्या के अलावा भी कई मामलों में पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को उसकी तलाश थी। उस पर सात लाख रुपयों का इनाम भी घोषित किया गया।

मुंबई को बनाया ठिकाना

पुलिस मुन्ना बजरंगी को पकड़ने की अपनी कोशिशें तेज कर रही थी, इसलिए गिरफ्तारी से बचने के लिए वह मुंबई चला गया। यहां उसके अंडरवर्ल्ड से रिश्ते और मजबूत हो गए। वह काफी समय मुंबई रहा, इस बीच विदेश भी आता-जाता रहा। वह अपने गैंग को फोन से ही संचालित करने लगा था।

राजनीति में एंट्री की नाकाम कोशिश

मुन्ना ने गाजीपुर लोकसभा चुनावों में एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली उलटे मुख्तार अंसारी से संबंध और खराब हो गए।

2009 में हुई गिरफ्तारी

29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना बजरंगी को मुंबई के मलाड इलाके से अरेस्ट किया। ऐसी चर्चा है कि अपने एनकाउंटर के डर मुन्ना ने खुद ही अपनी गिरफ्तारी करवाई। दिल्ली पुलिस को शक था कि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या के मामले में मुन्ना बजरंगी का हाथ था। इसके बाद से उसे अलग-अलग जेल में रखा जाता रहा।

यह भी देखें: पूर्वांचल के डॉन मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में गोली मारकर हत्या

       

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