प्रेमचंद की कहानियां आज भी प्रासांगिक
Sanjay Srivastava 30 July 2017 7:01 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। मशहूर कहानीकार व उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का सोमवार को जन्मदिन (31 जुलाई 1880) है। प्रेमचंद की 137वीं जयंती है।
साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का स्थान उस ऊंचाई पर हैं जहां बिरले पहुंच पाए हैं। उनकी कहानियों में ग्रामीण भारत खासतौर पर किसानों की स्थिति का जो वर्णन है वह किसानों की आज की हालत से कोई खास भिन्न नहीं है।
सोमवार को प्रेमचंद की 137वीं जयंती है और उनके प्रशंसकों का मानना है कि उनके निधन के 80 वर्ष बाद भी उनकी रचनांए आज भी प्रासंगिक हैं।
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क्षेत्रीय साहित्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए अभियान शुरू करने वाले 'कथा कथन ' के संस्थापक जमील गुलरेस ने कहा, ' 'जब तक मानवीय संवेदना रहेंगी तब तक प्रेमचंद प्रासंगिक रहेंगे। ' उनकी जयंति पर संगठन एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है जिसमें उनके साहित्य को इस प्रकार से पढ़ा जाएगा कि उसके तमाम किरदार जिंदा हो जाएं। प्रेमचंद ने करीब 300 लघु कहानियां, 14 उपन्यास अनेक नाटक , पत्र और निबंध लिखे हैं।
निर्देशक- अभिनेता एमके रैना का मानना है कि प्रेमचंद ऐसे लेखक हैं जो आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं। रैना ने प्रेमचंद के 'कफन ' पर एक नाटक तैयार किया था और अब वह इसे कश्मीर की एक कहानी के साथ मिला कर मानवीय भावनाओं और अनुभवों पर एक अनोखी प्रस्तुति बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
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