विवादास्पद ऑडियो वायरल होने के बाद एमवायएच के मनोरोग विभाग का प्रमुख निलंबित  

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विवादास्पद ऑडियो वायरल होने के बाद एमवायएच के मनोरोग विभाग का प्रमुख निलंबित  महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय।

इंदौर (भाषा)। स्थानीय शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में ऑक्सीजन की आपूर्ति थोड़ी देर के लिए बंद होने से मरीजों की मौत की जानकारी साझा किये जाने से जुड़ी एक विवादास्पद ऑडियो क्लिप वायरल हो रही है। ऑडियो वायरल होने के बाद इस अस्पताल के मनोरोग विभाग के प्रमुख डॉ. रामगुलाम राजदान को आज निलंबित कर दिया गया। एमवायएच के डीन डॉ. शरद थोरा ने 'पीटीआई- भाषा ' से बातचीत में राजदान के निलंबन की पुष्टि की। हालांकि, वह इस बात की जानकारी नहीं दे सके कि मनोरोग विभाग के प्रमुख को किस आरोप में निलंबित किया गया है।

थोरा ने कहां, ' मैं राजदान के निलंबन का आदेश अब तक देख नहीं सका हूँ। ' बहरहाल, माना जा रहा है कि सोशल मीडिया पर वायरल विवादास्पद ऑडियो क्लिप के चलते ही स्वास्थ्य विभाग ने राजदान के खिलाफ यह कदम उठाया। रिकॉर्ड किये गए फोन कॉल की इस क्लिप में एक व्यक्ति यह कहता सुनाई पड़ता है, 'हाँ, डॉ. राजदान बोल रहा हूँ, नमस्ते। वह खबर मिल गयी होगी- एमवायएच में बच्चों की डेथ..यह कन्फर्म है...तीसरी मंजिल पर बच्चों वाले वॉर्ड में ऑक्सीजन खत्म हो गयी थी। इस कारण ऐसा हुआ। 'हालांकि, फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि क्लिप में सुनाई पडने वाली आवाज राजदान की ही थी या नहीं। कई प्रयासों के बावजूद इस सिलसिले में राजदान से संपर्क नहीं हो सका है।

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इस बीच, एमवायएच में बिस्तरों को ऑक्सीजन की आपूर्ति 22 जून को तड़के थोड़ी देर के लिए बंद होने से चार बच्चों समेत नौ मरीजों की मौत की खबरों का संज्ञान लेते हुए अस्पताल प्रशासन ने विशेषज्ञों की दो अलग-अलग जांच समितियां गठित की हैं। एमवायएच के डीन डॉ. शरद थोरा ने बताया कि इनमें से पहली समिति अस्पताल में बिस्तरों को ऑक्सीजन की आपूर्ति से जुड़े तंत्र को लेकर जांच करेगी, जबकि दूसरी समिति इस बात की छानबीन करेगी कि अस्पताल में पिछले कुछ दिनों में मरीजों की मौत किस बीमारी और किन हालात में हुई।

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थोरा ने बताया कि दोनों समितियां कल 24 जून तक जांच पूरी कर एमवायएच प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अपने पुराने रख पर कायम रहते हुए एमवायएच के अधीक्षक डॉ. वीएस पाल ने कहा कि अस्पताल के अलग-अलग वार्ड में 21 जून की सुबह आठ बजे से लेकर 22 जून की सुबह आठ बजे तक गंभीर बीमारियों से पीड़ित 17 मरीजों की मौत हुई थी, लेकिन इनमें से किसी भी मरीज ने ऑक्सीजन की आपूर्ति रकने से दम नहीं तोड़ा था। पाल ने कहा कि इस अवधि में जिन 17 मरीजों ने दम तोड़ा, उनमें से कई लोगों को ऑक्सीजन नहीं दी जा रही थी।

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