दक्षिण एशिया संचार उपग्रह GSAT-9 लॉन्च, पाकिस्तान को नहीं मिलेगा फायदा

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दक्षिण एशिया संचार उपग्रह GSAT-9 लॉन्च, पाकिस्तान को नहीं मिलेगा फायदासाउथ एशिया सैटेलाइट

श्रीहरिकोटा । भारत की स्पेस डिप्लोमैसी के तहत तैयार हुई साउथ एशिया सैटेलाइट को इसरो ने लॉन्‍च कर दिया है। इसे आज शाम 4:57 मिनट पर श्रीहरिकोटा से लॉन्‍च किया गया। 50 मीटर ऊंचे रॉकेट के जरिए भेजा गया यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में शांतिदूत की भूमिका निभाएगा। गौरतलब है कि जीएसएलवी रॉकेट की यह 11वीं उड़ान है।

पहले इसे सार्क सैटेलाइट का नाम दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान ने भारत के इस तोहफे का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया था। भारत के इस कदम को चीन की स्पेस डिप्लोमैसी के जवाब के तौर पर देखा जा रहा। भारत का ये शांति दूत स्पेस में जाकर कई काम करेगा। यह एक संचार उपग्रह है, जो नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, श्रीलंका और अफगानिस्तान को दूरसंचार की सुविधाएं मुहैया कराएगा। सार्क देशों में पाकिस्तान को छोड़ बाकी सभी देशों को इस उपग्रह का फायदा मिलेगा। जानकारों के मुताबिक- भारत का यह कदम पड़ोसी देशों पर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुक़ाबला करने में काम आएगा।

अब सवाल ये है कि अंतरिक्ष में भारत का ये शांतिदूत क्या-क्या भूमिकाएं निभाएगा। इसरो के मुताबिक-इसके ज़रिए सभी सहयोगी देश अपने-अपने टीवी कार्यक्रमों का प्रसारण कर सकेंगे। किसी भी आपदा के दौरान उनकी संचार सुविधाएं बेहतर होंगी। इससे देशों के बीच हॉट लाइन की सुविधा दी जा सकेगी और टेली मेडिसिन सुविधाओं को भी बढ़ावा मिलेगा।

प्रोजेक्ट से जुड़ी खास बातें

  1. इस मिशन में अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव और श्रीलंका शामिल हैं.
  2. इससे दक्षिण एशिया के देशों को कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का फायदा मिलेगा। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कम्युनिकेशन में मददगार होगा।
  3. इस सैटेलाइट का नाम पहले सार्क रखा गया लेकिन पाकिस्तान के बाहर होने के बाद इसका नाम साउथ ईस्ट सैटेलाइट कर दिया गया। पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है।
  4. मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से दक्षेस उपग्रह बनाने के लिए कहा था वह पड़ोसी देशों को ‘भारत की ओर से उपहार’
  5. इस उपग्रह की लागत करीब 235 करोड़ रुपए है और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा सहयोग मुहैया कराना है।

       

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