National Health Profile 2019: दिल्ली में प्रदूषण के कारण तीन गुना बढ़ी मौतें, डेंगू, चिकनगुनिया स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती

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National Health Profile 2019: दिल्ली में प्रदूषण के कारण तीन गुना बढ़ी मौतें, डेंगू, चिकनगुनिया स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार मंत्रालय ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस (CBHI) की रिपोर्ट राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल 2019 को जारी कर दिया है। रिपोर्ट की मानें तो भारतीयों की संभावित आयु में बढ़ोतरी तो हुई है लेकिन डेंगू, चिकनगुनिया और वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आए हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीयों की आयु (Life Expectancy) 1970-75 में 49.7 वर्ष थी। जिसके बाद 2012 से 16 के बीच बढ़कर 68.7 वर्ष हो गई थी। इसके बाद अब वर्ष 2025 की संभावित आयु 70.2 वर्ष हो गई है। इसमें पुरुषों की संभावित आयु 67.4 वर्ष जबकि महिलाओं की आयु 70.2 वर्ष आंकी गई है।

अगर पिछले साल के सर्वेक्षण से तुलना की जाए तो संभावित आयु 1970-75 के समय 49.7 वर्ष से बढ़कर 2011-15 में 68.3 वर्ष बताई गई थी। इसी अवधि में महिलाओं के लिए जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष और पुरुषों के लिए 66.9 वर्ष आंकी गई। इस लिहाज से सामान्य रूप से और पुरुषों की संभावित आयु में वृद्धि दर्ज की गई है। जीवन प्रत्याशा एक दी गयी उम्र के बाद जीवन में शेष बचे वर्षों की औसत संख्या है। यह एक व्यक्ति के औसत जीवनकाल का अनुमान है।

नेशनल हेल्थ प्रोफाइल पूरे देश में जनसांख्यिकी, सामाजिक-आर्थिक स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी स्थिति, स्‍वास्‍थ्‍य वित्‍त के संकेतकों, स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं और मानव संसाधनों के स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित व्‍यापक जानकारियों को कवर करती है।

प्रदूषण खतरे की घंटी

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस रिपोर्ट की मानें तो प्रदूषण को लेकर देश में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। दिल्ली और हरियाणा और उससे सटे प्रदेशों की हालत खराब है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में सांस की बीमारी से हुई मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि आई है। दिल्ली में वर्ष 2016 से 2018 के बीच मौतों की संख्या में तीन गुना वृद्धि आई है। साथ ही रिपोर्ट के अनुसार कुल मौतों में 68.47 फीसदी हिस्सा एयर पॉल्यूशन से होने वाली मौतों का है।

लिंगानुपात हुआ बेहतर, जन्म और मृत्यु दर में भी कमी

नेशनल हेल्थ प्रोफाइल (एनएचपी) 2019 के मुताबिक देश में लिंगानुपात बेहतर हुआ है और साथ ही जन्म और मृत्यु दर में कमी आई है। देश के 12 राज्यों में कुल प्रजनन दर (एक महिला के जीवन काल में उसको होने वाले बच्चों की औसत संख्या) प्रति महिला दो बच्चों से कम रही है।

वहीं देश में लिंगानुपात (प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या) 2001 में 933 से बढ़कर 2011 में 943 पर पहुंच गया है। ग्रामीण इलाकों की स्थिति में भी सुधार आया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात 946 से बढ़कर 949 हो गया है। रिपोर्ट की मानें तो केरल का लिंगानुपात सबसे अधिक (1084) रहा, जबकि चण्डीगढ़ का लिंगानुपात सबसे कम (690) रहा। रिपोर्ट में यह भ बताया गया है कि जन्म दर, मृत्यु दर और जनसंख्या की विकास दर में गिरावट आ रही है।

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जन्म दर वर्ष 2000 में 25.8 से घटकर 2016 में 20.4 रही। इसी दौरान मृत्यु दर प्रति 1000 लोगों पर 8.5 से गिरकर 6.4 रही। जनसंख्या वृद्धि दर 2000 में 17.3 से घटकर 2016 में 14 रही।

रिपोर्ट में सार्वजनिक क्षेत्र के डॉक्टरों की संख्या के आंकड़े भी दिये गये हैं। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2018 तक देश में 11,54,686 पंजीकृत एलौपेथिक डॉक्टर थे। केंद्र/राज्य डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया में पंजीकृत डेंटल सर्जन की संख्या 2,54,283 है। वर्ष 2007 और 2018 के बीच केंद्र/राज्य डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ पंजीकृत हुए डेंटल सर्जन की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। एक जनवरी 2018 तक देश में पंजीकृत आयुष डॉक्टरों की संख्या 7,99,879 थी।


डेंगू और चिकनगुनिया स्वास्थ्य के लिए खतरा

डेंगू और चिकनगुनिया भारतीयों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं। मच्छरों से फैलने वाली इन बीमारियों के कारण हर साल सैकड़ों लोगों की मौत हो रही हे। भारत में 1950 के दशक से डेंगू का प्रकोप जारी है लेकिन पिछले दो दशकों में बीमारी ने विकराल रूप ले लिया है। हालांकि, देश में चिकनगुनिया के कथित मामलों में 2017 की तुलना में 2018 में 67,769 से 57,813 की मामूली कमी देखी गई है।

छत्तीसगढ़ में मलेरिया से सबसे ज्यादा मौत

रिपोर्ट में बताया गया है कि कम्युनिकेबल बीमारियों (Communicable Disease, संचारी रोग) से 2018 में छत्तीसगढ़ में मलेरिया के कारण अधिकतम मौतें हुई हैं। छत्तीसगढ़ में 77,140 मामले सामने आए और 26 मौतें हुई हैं।

स्वाइन फ्लू के मामले बढ़े

वर्ष 2012 और 2013 की तुलना में वर्ष 2014 में स्वाइन फ्लू के कारण हुई मौतों की संख्या में काफी कमी आई थी। लेकिन वर्ष 2015 में मामलों और मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उसके बाद 2016 में संख्या घट गई लेकिन 2017 और 2018 में फिर से काफी बढ़ गई।

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस (CBHI) की पूरी रिपोर्ट की पीडीएफ कॉपी यहां देखें


  

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