भारत में हर साल प्राकृतिक आपदाओं में बह जाते हैं 6 खरब रुपए

Kushal MishraKushal Mishra   6 Jan 2018 5:14 PM GMT

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भारत में हर साल प्राकृतिक आपदाओं में बह जाते हैं 6 खरब रुपएसभी फोटो साभार: इंटरनेट

तारीख: 05 जनवरी, 2018, जगह: जम्मू-कश्मीर का तंगधार क्षेत्र, इस क्षेत्र में एक कार में सवार 7 लोग भारी बर्फबारी के बाद हिमस्खलन का शिकार बने, इसके अलावा दो और लोगों के फंसे की संभावना जताई गई। सेना ने रेस्कयू ऑपरेशन चलाया और 5 लोगों का शवों को खोज निकाला, हालांकि 4 लोगों के लिए तलाशी अभियान जारी रहा।

इससे एक महीने पहले यानि दिसंबर 2017 में कश्मीर के गुरेज सेक्टर में हिमस्खलन होने के कारण 3 जवान शहीद हो गए थे। वहीं पिछले साल जनवरी में ही इसी क्षेत्र में हिमस्खलन में भारत ने अपने 15 जवानों को खो दिया था, इसमें एक मेजर भी शामिल थे।

यह बहुत छोटी सी तस्वीर हैं…

भारत में प्राकृतिक आपदाओं की यह तस्वीर बहुत छोटी हैं, आप जानकर हैरान होंगे कि भारत को हर साल प्राकृतिक आपदाओं की वजह से 6 खरब से ज्यादा की कीमत चुकानी पड़ती है। दुनिया में प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान पर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुदरती हादसों की वजह से भारत को 9.8 अरब डॉलर यानि करीब 6.33 खरब का नुकसान उठाना पड़ता है।

कैसी-कैसी प्राकृतिक आपदाओं से घिरा भारत

भारत में नदी में बाढ़, भूकंप, तेज बारिश, ओलावृष्टि, तूफान, चक्रवात, भूस्खलन, हिमस्खलन, बिजली गिरना, वनों में आग लगने जैसी अनेक प्राकृतिक आपदाएं हैं। इनमें से अधिकतर प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, मगर इनको नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे नदी में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं। बाढ़ से हर साल भारत में लाखों लोग प्रभावित होते हैं।

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प्राकृतिक आपदाओं में सबसे संवेदनशील है भारत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार, भू जलवायु परिस्थितियों के कारण प्राकृतिक आपदाओं में भारत सबसे अधिक संवेदनशील देश हैं और यहां पर बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप, भूस्खलन जैसी घटनाओं का खतरा बना रहना आम है। इतना ही नहीं, भारत की लगभग 60 प्रतिशत भू-भाग में विभिन्नताओं के कारण भूकंप का खतरा बना रहता है।

वहीं, एक तरफ जहां भारत की 400 लाख हेक्टेयर जमीन पर बाढ़ का खतरा बना रहता है, वहीं दूसरी तरफ दूसरी ओर खेती योग्य भूमि का करीब 68 प्रतिशत भाग सूखे के प्रति संवेदनशील रहती है। इसके अलावा कुल 7,516 किलोमीटर लंबी तटरेखा में से 5700 किलोमीटर तटरेखा में चक्रवात का खतरा रहता है। वहीं हिमालयी क्षेत्रों में हिमस्खलन और भू-स्खलन जैसे खतरे हमेशा बने रहते हैं।

हर साल कुदरती हादसे लील लेती हैं लाखों जानें

संयुक्त राष्ट्र की यूएनजीएआर, 2015 ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत में हर साल प्राकृतिक आपदाओं की वजह से करीब 48 लाख से लोग प्रभावित होते हैं। इनमें से बड़ी संख्या में लोगों को जान चली जाती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं की वजह से शिकार होने वाले लोगों का यह आंकड़ा साल 2030 तक 1 करोड़ 90 लाख तक पहुंचने की संभावना है। यह आंकड़ा प्राकृतिक हादसों के समय और उसके बाद फैलने वाली बीमारियों से प्रभावित लोगों तक का है।

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प्राकतिक आपदाओं में कितना सजग है अपना देश

पर्यावरण को लगातार क्षति पहुंचाए जाने से प्राकृतिक आपदाओं से सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने संकट खड़ा है। कई देशों ने प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान को लेकर कई तैयारियां भी की हैं, मगर भारत ऐसे कुदरती हादसों को लेकर सजग नहीं है।

प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए साल 2007 में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बनाई गई। मगर इन प्राधिकरणों पर नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (CAG) ने मार्च 2013 में अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारतीय राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने साल 2008 से लेकर 2012 तक प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में किसी भी उपायों और सुझावों को लेकर कोई संयुक्त बैठक नहीं की। इतना ही नहीं, इस प्राधिकरण को मिलने वाली राज्य आपदा राहत निधि में भी सीएजी ने बड़ी अनियमितताओं की बात स्वीकारी।

हम नुकसान से काफी हद तक बच सकते हैं

प्राकृतिक आपदाओं को रोक नहीं सकते हैं, मगर इससे होने वाले नुकसान को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन और यूएनजीएआर की रिपोर्ट के अनुसार, आपदा से जुड़े खतरों से निपटने और प्रबंधन के लिए हर साल 6 अरब डॉलर वैश्विक स्तर पर निवेश की जरुरत है। इससे करीब 360 अरब डॉलर का नुकसान रोका जा सकता है। इधर अपने देश की बात करें तो भारत ने इन कुदरती हादसों से निपटने के लिए पांच सालों के लिए सिर्फ 9 अरब डॉलर ही देना का वादा किया है।

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कब-कब कुदरती हादसों का शिकार बना भारत

ओखी चक्रवात: नवंबर, 2017 में दक्षिण भारत से शुरू हुए ओखी चक्रवात ने तमिलनाडु और केरल के दक्षिणी जिलों समेत महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई राज्यों में भारी क्षति पहुंचाने के साथ 218 लोगों की जान ले ली।

बिहार में बाढ़: अगस्त, 2017 में ही नेपाल और बिहार के पूर्वी जिलों में भारी बारिश की वजह से अचानक बाढ़ आने से बिहार के 19 जिले काफी प्रभावित हुए। इस बाढ़ की वजह से 1 करोड़ 71 लाख लोग प्रभावित हुए और करीब 514 लोगों की जान गई।

गुजरात में बाढ़: जुलाई, 2017 में गुजरात के लोग भी भारी बारिश के कारण बाढ़ का शिकार हुए। इस वजह से करीब 70 लोग मारे गए, जबकि राहत कार्यों में लगी टीमों ने करीब 25,000 लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।

त्रिपुरा में भूकंप: इसी साल त्रिपुरा में 5.7 तीव्रता का भूकंप आने से हजारों लोग प्रभावित हुए। वहीं दिसंबर में ही पूर्वोत्तर राज्यों में भी भूकंप आया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई और पांच लोग घायल हुए। हालांकि भूकंप की वजह से करीब 50 घर पूरी तरह तबाह हो गए।

कश्मीर में बाढ़: साल 2014 में कश्मीर में बाढ़ आने की वजह से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे, जिसमें करीब 500 लोगों की जान गंवानी पड़ी। इस बाढ़ से 2600 गाँव प्रभावित हुए थे।

उत्तराखंड में बाढ़: उत्तराखंड राज्य को साल 2013 में बड़ी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा था। गंगा नदी में बाढ़ आने और भूस्खलन होने की वजह से करीब 5700 लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था, जबकि कई लापता हो गए थे।

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