रक्तरंजित पार्ट- 7: बलात्कार रोकने के लिए सिर्फ कड़े कानून काफी नहीं, जल्द कार्रवाई जरुरी

एनसीआरबी के 2017 के आंकड़े यह साफ दर्शाते हैं कि बच्चों के खिलाफ रेप और यौन शोषण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, 2016 की तुलना में 2017 में बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाओं में 82 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

Diti BajpaiDiti Bajpai   6 Dec 2019 6:26 AM GMT

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रक्तरंजित पार्ट- 7: बलात्कार रोकने के लिए सिर्फ कड़े कानून काफी नहीं,  जल्द कार्रवाई  जरुरी

देश में नाबालिगों के साथ बढ़ते यौन शोषण के मुद्दों को आप तक पहुंचाने के लिए गाँव कनेक्शन ने विशेष सीरीज रक्तरंजित शुरू की थी । इस सीरीज के सात भाग थे, जिनमें कुछ ऐसे मुद्दों पर लिखा गया, जो न तो अखबारों में सुर्खियां बन पाए और न ही हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर शेयर हुए। इस सीरीज में हमारी कोशिश रही कि हम आप तक महिलाओं और नाबालिगों के साथ होने वाले अपराधों की वजह को दर्शा सकें।

लखनऊ। देश में नाबालिगों के साथ बढ़ते बलात्कार को रोकने के लिए सिर्फ कड़े कानून काफ़ी नहीं है, इसके लिए शिक्षा और लोगों में जागरूकता होना बहुत जरूरी है, जिसके ज़रिये इन घटनाओं को कम किया जा सकता है।

"एक आदर्श गाँव सिर्फ बिजली, सड़क और पानी पहुंचाने से ही नहीं बनता है, एक आदर्श गाँव वहीं है, जहां इन सुविधाओं के साथ गाँव की महिलाओं और बच्चे सुरक्षित हों, जहां वो रोजमर्रा की ज़िंदगी में बिना किसी डर से बाहर निकल सकें।" महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा और भेदभाव को खत्म करने के लिए ब्रेकथ्रू संस्था की निदेशक सुनीता मेनन बताती हैं।

सुनीता आगे कहती हैं, "महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए पंचायत स्तर पर सार्वजनिक वाद-विवाद करने की जरूरत है। तभी ग्रामीणों क्षेत्रों में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा पर लोग सामने आ सकेंगे और वो खुलकर बोल सकेंगे। अभी लोग डरते हैं और ऐसे मामलों को छिपा ले जाते हैं।"


सुनीता का मानना हैं कि महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों को अभिभावक अपने स्तर से कम कर सकते हैं। "हम घरों में लड़कों को किस तरह की परवरिश दे रहे हैं। महिलाओं के प्रति उनका नजरिया बदलना होगा। लड़कियों को इस तरह से बड़ा करना है कि वो आगे चलकर किसी भी प्रकार की हिंसा न करें और न ही सहें। शैक्षणिक संस्थाओं, एनजीओ को साथ लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है।" सुनीता ने बताया।

यह भी पढ़ें- उन्राव: रेप के आरोपी को जमानत तो पीड़िता के सुरक्षा का इंतजाम क्यों नहीं ?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2017 के आंकड़े यह साफ दर्शाते हैं कि बच्चों के खिलाफ रेप और यौन शोषण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, 2016 की तुलना में 2017 में बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाओं में 82 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

कठुआ और उन्नाव मामले के बाद बलात्कार कानून को मजबूत बनाने की दिशा में पॉक्सो एक्ट में बदलाव किया गया। इस नए अध्यादेश के अनुसार, 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा दी जाएगी, जबकि, 16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप करने वाले को दी जाने वाली सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है।

नाबालिगों के साथ यौन हिंसा को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित आशा ज्योति केंद्र की केंद्र प्रभारी अर्चना सिंह बताती हैं, "बलात्कार को रोकने के लिए आजीवन कारावास या फांसी कोई समाधान नहीं है। इसका समाधान मौजूदा कानूनों को जमीनी स्तर पर मजबूत करना, मुकदमों की तुंरत करवाई और जागरूकता पैदा करना है। सरकार को बलात्कार और उससे जुड़े कानूनों को स्कूल के सिलेबस में शामिल करना चाहिए।"

"बलात्कार के कानूनों में जो भी संशोधन किया गया है अगर उस तरह ही पीड़िता को न्याय मिल जाए तो काफी हद तक बलात्कार की बढ़ती संख्या को कम किया जा सकेगा। अभी पीड़िता को न्याय के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ता है।" अर्चना ने बताया।

नए कानून के मुताबिक, नाबालिगों से बलात्कार के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की व्यवस्था की जाएगी। फॉरेंसिक जांच के जरिए सुबूतों को जुटाने की व्यवस्था को और मजबूत करने की व्यवस्था भी की जाएगी। इतना ही नहीं, दो महीने में ट्रायल पूरा करना होगा। अगर अपील दायर होती है तो 6 महीने में निपटारा करना होगा। नाबालिग के साथ बलात्कार के केस को कुल 10 महीने में खत्म करना होगा। लेकिन वर्तमान समय में अभी इस प्रक्रिया में काफी इंतजार करना पड़ता है।



बनारस स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्री प्रोफेसर जय कांत तिवारी ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "कानून पहले भी सख्त था, उसके बाद और सख्त हुआ, लेकिन घटनाएं नहीं रुकीं। सिर्फ कानून और प्राशासनिक व्यवस्था से ही इन घटनाओं को नहीं रोका जा सकता है। इसके लिए समाज में भी बदलाव और महिलाओं के प्रति लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है।"

वह आगे बताते हैं, "पुलिस प्रशासन से लेकर ग्राम पंचायत में जन जागरण का ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है, जिसमें अपराधी को अपराध करने से पहले यह अहसास होना चाहिए कि इस अपराध के दुष्परिणाम बहुत बुरे होंगे।"

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रेप की घटनाओं को रोकने के बारे में बाराबंकी जिले में वकील किस्मत अली बताते हैं, "अपराधों को रोकने के लिए कड़े कानूनों तो जरूरी हैं। इसके साथ ही लोगों में जागरूकता होना बहुत जरूरी है। पीड़िता को मेडिकल की रिपोर्ट के लिए बहुत समय तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में थानों और अस्पतालों में बलात्कार पीड़िता के लिए फॉरेंसिक किट उपलब्ध कराए जाएंगे। ताकि मेडिकल होने में जो देरी होती है, वो कम हो। इसके अलावा बलात्कार से जुड़े मामलों को समय से निपटाने के लिए विशेष तौर पर अधिकारियों-कर्मचारियों की नियुक्ति करनी चाहिए।"

दुनिया के दूसरे देशों में इस तरह दी जाती है सजा

उत्तर कोरिया: बलात्कार का सख्त कानून, सरेआम मार दी जाती है गोली

उत्तर कोरिया कानून को लेकर एक सख्त देश के रूप में जाना जाता है। वैसे भी कभी भी यह देश अपराधियों के प्रति दया या सहानुभूति नहीं दिखाता है। यहां रेप के लिए केवल एक ही सजा है और वो है मौत। यहां बलात्कारी को सरेआम सिर में गोली मार दी जाती है।

संयुक्त अरब अमीरात: सात दिन के अंदर दी जाती है फांसी

संयुक्त अरब अमीरत में बलात्कारी को सीधे मौत की सजा सुनाई जाती है। यूएई के कानून के मुताबिक यदि किसी ने सेक्स से जुड़ा अपराध किया है तो उसे सात दिनों के अंदर ही फांसी दे दी जाती है।

सऊदी अरब: काट दिया जाता है प्राइवेट पार्ट

सऊदी अरब में इस्लामिक कानून शरिया को मान्यता दी गई है। अगर कोई भी शख्स बलात्कार का दोषी पाया जाता है तो अपराधी को फांसी पर टांगने, सिर कलम करने के साथ-साथ उसके यौनांगों को काटने की सजा सुनाई जा सकती है।

इराक: पत्थरों से मार-मार कर हत्या

इराक में बलात्कार करने वालों को मौत की सजा दी जाती है, लेकिन सजा देने का तरीका थोड़ा अलग होता है। रेप के गुनाहार को तब तक पत्थर मारे जाते हैं, जब तक की वो मर ना जाए। बलात्कार जैसे जुर्म करने वालों की मौत आसान नहीं होती है क्योंकि गुनाहगार पूरी पीड़ा और यातना से भी गुजरना पड़ता है।

पोलैंड: सुअरों से कटवाकर मौत की सजा

पोलैंड में बलात्कार के आरोपी को सुअरों से कटवाया जाता है। हालांकि अब एक नया कानून आ चुका है जिसमें आरोपी को नपुंसक बना दिया जाता है।

इंडोनेशिया: डाल दिए जाते हैं महिला के हॉर्मोन्स

इंडोनेशिया में बलात्कार करने वालों की भी अलग ही सजा है। यहां बलात्कार के आरोपियों को नपुंसक बनाने के साथ ही साथ उनमें महिलाओं के हॉर्मोन्स डाल दिए जाते हैं।

चीन: मेडिकल जांच की पुष्टि के बाद सीधे मौत की सजा

चीन उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां रेप के विशेष मामले में मौत की सजा का प्रावधान है। यहां पर अब तक रेप की सजा में कई लोगों को मौत के घाट उतारा भी जा चुका है। चीन में इस जुर्म की सजा जल्द-जल्द दे दी जाती है। साफ शब्दों में कहें तो नो ट्रायल, मेडिकल जांच में प्रमाणित होने के बाद मृत्यु दंड। कई बार फांसी के बाद पता चलता है कि जिसे सजा दी गई, उसनें कोई गुनाह ही नहीं किया था।

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