ऐसे तय किया देश की दूसरी महिला रक्षा मंत्री ने राजनीतिक सफर, 6 सितंबर को संभालेंगी कार्यभार

Mohit AsthanaMohit Asthana   4 Sep 2017 9:38 AM GMT

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ऐसे तय किया देश की दूसरी महिला रक्षा मंत्री ने राजनीतिक सफर, 6 सितंबर को संभालेंगी कार्यभारनिर्मला सीतारमण।

लखनऊ। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में हुए बड़े फेरबदल में निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है लेकिन अरूण जेटली आज जापान के साथ होने वाली एक प्रमुख सुरक्षा बात-चीत में बतौर सुरक्षा मंत्री शामिल रहेंगे।अरूण जेटली ने बताया कि बात-चीत खत्म होने के तुरंत बाद निर्मला अपना पद भार ग्रहण करेंगी।

सीतारमण 6 सितंबर को जेटली से डिफेंस मिनिस्ट्री का चार्ज लेंगी। इंदिरा गाँधी के बाद भारत के रक्षा मंत्रालय की कमान सम्हालने वाली स्वतंत्र भारत की दूसरी महिला नेत्री और स्वतंत्र रूप से पहली पूर्णकालिक महिला रक्षामंत्री हैं। आइये डालते हैं एक नजर निर्मला सीतारमण के राजनीतिक करियर पर....

देश की दूसरी महिला रक्षा मंत्री

रविवार को मोदी कैबिनेट के तीसरे विस्तार में चौंकाने वाला नाम निर्मला सीतारमण का रहा। वो देश की दूसरी महिला रक्षा मंत्री बन गई हैं। इससे पहले 2014 में मोदी सरकार में उनको कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर ऑफ स्टेट बनाया गया।

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आम जिंदगी से राजनीति तक का सफर

निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली में हुआ था। उनके पिता रेलवे में थे इस कारण से उनके पिता का तबादला भी जल्दी होता था। यही वजह रही कि उन्होंने अपने स्कूली जीवन में तमिलनाडु को बहुत करीब से जान लिया था। निर्मला सीतालक्ष्मी रामास्वामी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करके दिल्ली चली आईं। यहां आने के बाद इन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से टेक्सटाइल ट्रेड में एमफिल किया।

इसी दौरान स्टूडेंट यूनियन के चुनाव के लिए फ्री थिंकर्स के साथ जुड़ गई। यहां इनकी मुलाकात आंध्र प्रदेश के परकल प्रभाकर से हुई और साल 1986 में दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद दोनों ब्रिटेन चले गए। प्रभाकर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पीएचडी कर रहे थे उस वक्त निर्मला हैबिटेट कंपनी में सेल्स गर्ल थीं लेकिन जल्द ही नौकरी छोड़कर प्राइसवॉटरहाउस कूपर्स के साथ सीनियर मैनेजर के तौर पर जुड़ गई। साल 1991 में दोनों अपने वतन वापस लौट आए।

निर्मला ने 1991 में बेटी को जन्म दिया। उन्ही दिनों पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के कारण चेन्नई में माहौल तनावपूर्ण था। जिसकी वजह से निर्मला को तीन दिनों तक अस्पताल में ही रहना पड़ा। इसके बाद अस्पताल के डॅाक्टर ने अपनी गाड़ी में सफेद झंडा लगाकर उन्हें बचाया। भारत आने के बाद निर्मला शिक्षा के क्षेत्र में काम करने लगीं। साल 2003 से 2005 के बीच राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रहीं।

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2006 से राजनीति की शुरूआत

निर्मला का राजनीतिेक सफर 2006 में शुरू हुआ। उनके सास और ससुर दोनों ही कांग्रेस के विधायक रह चुके थे लेकिन निर्मला ने 2006 में भाजपा का दामन थाम लिया था। उसी के अगले साल यानि 2007 में निर्मला के पति ने चिरंजीवी की प्रजा राज्यम पार्टी ज्वाइन कर ली लेकिन जल्द ही वो भी भाजपा में शामिल हो गए। मौजूदा वक्त में वो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के कम्युनिकेशन एडवाइजर है।

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