अनिल माधव दवे : नदी संरक्षण के लिए जुनून रखने वाले व्यक्ति थे 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   18 May 2017 1:47 PM GMT

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अनिल माधव दवे : नदी संरक्षण के लिए जुनून रखने वाले व्यक्ति थे पर्यावरण मंत्री बने अनिल माधव दवे नहीं रहे।

नई दिल्ली (भाषा)। पिछले साल पर्यावरण मंत्री बने अनिल माधव दवे नदी संरक्षण के विशेषज्ञ और ग्लोबल वार्मिंग पर बने संसदीय मंच के सदस्य थे। पर्यावरण एक ऐसा विषय था, जो उनके दिल के बेहद करीब था। केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे का आज निधन हो गया, जिसके बाद देशभर में राष्ट्रीय ध्वज को उनके सम्मान में आधा झुकाया जाएगा।

अपने जीवन के शुरुआती दिनों से ही अनिल माधव दवे सामाजिक कार्यों से जुड़े थे। नदी संरक्षण के लिए उन्होंने ‘नर्मदा समग्र' नामक गैर सरकारी संगठन की स्थापना की थी।

मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की हार से चर्चा में आए अनिल माधव दवे

मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सांसद रहे अनिल माधव दवे को भाजपा में त्रुटिहीन सांगठनिक कौशल वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था। वह लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। वह वर्ष 2003 में तब सुर्खियों में आए जब उनकी रणनीति उस समय के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की हार का सबब बनी। इसके बाद मुख्यमंत्री बनी उमा भारती ने दवे को अपना सलाहकार बनाया।

एनसीसी एयर विंग कैडेट के तौर पर उन्होंने उड़ान संबंधी शुरुआती प्रशिक्षण लिया और इसमें जीवनभर का जुनून तलाश लिया। वह निजी पायलट लाइसेंस धारक थे और एक बार उन्होंने नर्मदा के तट के आसपास 18 घंटे तक सेना का विमान उड़ाया था।

राज्यसभा सांसद के तौर पर वह ‘ग्लोबल वार्मिंग एंड क्लाइमेट चेंज' के मुद्दे पर बने संसदीय मंच के सदस्य रहे। इंदौर के गुजराती कॉलेज से कॉमर्स में परास्नातक करने वाले अनिल माधव दवे की साहित्य में गहरी रुचि थी और उन्होंने कई किताबें भी लिखीं।

उज्जैन में हुआ था जन्म

अनिल माधव दवे का जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बारनगर में छह जुलाई 1956 को हुआ था। उनकी माता का नाम पुष्पा और पिता का नाम माधव दवे था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विरासत उन्हें अपने दादा दादासाहेब दवे से मिली थी। उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस का प्रचारक बनने का फैसला किया। वह वर्षों तक संघ के समूहों के बीच बड़े हुए।

भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार थे दवे

वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा में शामिल किया गया। दवे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार थे और वर्ष 2003, 2008 और 2013 में विधानसभा चुनाव के दौरान और वर्ष 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख रहे। उन्हें बूथ स्तरीय प्रबंधन एवं नियोजन के लिए जाना जाता था।

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अनिल माधव दवे को वर्ष 2009 में राज्यसभा का सदस्य चुना गया। वह विभिन्न समितियों में शामिल रहे और भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2013 पर बनी प्रवर समिति के अध्यक्ष भी रहे। दवे ने भोपाल में वैश्विक हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया था। उन्होंने सिंहस्थ :कुंभ: मेला के अवसर पर उज्जैन में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था।

          

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