अगर किसान से धोखा किया तो सरकार बदल देंगे, एमएसपी पर भारतीय किसान यूनियन की चेतावनी
Sanjay Srivastava 1 March 2018 11:30 AM GMT
नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने आगाह किया है कि अगर किसानों को लागत और उसपर 50 प्रतिशत का अतिरिक्त लाभ जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को तय करने के आम चुनाव के वादे को पूरा करने के संबंध में घोषणा नहीं की गई तो वर्ष 2019 के आम चुनाव में किसान भाजपा को पराजय का रास्ता दिखा सकते हैं।
संगठन ने भारतीय आंदोलन समन्वय समिति (आईसीसीएम) बैनर के तहत अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर 13 मार्च को किसानों की महापंचायत बुलाई है जिसमें बाकी मुद्दों के अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बारे में चर्चा की जाएगी।
बीकेयू के महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह ने कहा, देश में किसानों की स्थिति कभी भी इतनी दयनीय नहीं थी। भाजपा ने अपने चुनावी वायदे में कहा था कि लागत के अलावा 50 प्रतिशत के लाभ के साथ (सी2 जोड़ 50) एमएसपी को तय किया जाएगा। वर्ष 2018 के बजट में वित्तमंत्री ने ए-2 जोड़ एफएल का फार्मूला दिया है जो हम स्वीकार नहीं करेंगे। ए-2 जोड़ एफएल फार्मूले में भूमि के साथ-साथ अन्य लागत के बारे में विचार नहीं किया जाता है। इसलिए सरकार को एमएसपी निर्धारित करते समय सी-2 जोड़ 50 फार्मूले पर ध्यान देना चाहिए।
युद्धवीर सिंह ने सरकार से अपने चुनावी वायदे को सरलीकृत नहीं करने की अपील की। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) एक सरकारी निकाय है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को तय करने के संबंध में सिफारिश करता है। वह लागत का आकलन करते समय और एमएसपी निर्धारण के समय ठीक से काम नहीं कर रहा है।
बाकी मांगों में बीकेयू का मानना है कि सरकार को महज 24 फसलों का ही नहीं बल्कि सारी फसलों का एमएसपी निर्धारित करना चाहिए। उनकी मांग है कि जीन स्तर पर संवर्धित की गई फसलों को प्रतिबंधित किया जाए तथा किसानों के ऋणों को माफ किया जाए। उसने किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण सीमा को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख करने की भी मांग की है। इसके अलावा उनकी मांग है कि दीर्घावधिक कृषि ऋण पर ब्याजमुक्त ऋण का प्रावधान किया जाए और किसानों के लिए गारंटीशुदा न्यूनतम आय घोषित किया जाए।
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इनपुट भाषा
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