बजट 2018 में विशेषज्ञों की उम्मीदें मिल सकता हैं आय कर में छूट का तोहफा
Sanjay Srivastava 31 Jan 2018 2:48 PM GMT
नयी दिल्ली। एक फरवरी को आम बजट आने वाला है, उद्योग व आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों की उम्मीद है कि बजट 2018 में कर मुक्त आय की सीमा तीन लाख रुपए की जा सकती है और कंपनी कर की दर को घटाकर 28 प्रतिशत पर लाया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी बजट में कृषि क्षेत्र में निवेश और बड़ी ढांचागत परियोजनाओं पर खर्च बढ़ाने पर जोर होगा ताकि रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकें। संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में भी युवाओं के लिए बेहतर रोजगार सृजन पर जोर दिया गया है।
बजट 2017 में कर मुक्त आय की सीमा ढाई लाख रुपए है और कंपनी कर की मौजूदा दर 30-34 प्रतिशत है।
उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर के कर विशेषज्ञ बिमल जैन के अनुसार वित्त मंत्री आयकर स्लैब में कुछ बदलाव कर सकते हैं। तीन लाख रुपए तक की आय को पूरी तरह से कर मुक्त किया जा सकता है। इस वक्त ढाई से पांच लाख रुपए की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगता है। संभवत: वित्त मंत्री इस स्लैब को तीन से पांच लाख रुपए कर सकते हैं। इसके बाद पांच से दस लाख रुपए की आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपए से अधिक की आय पर तीस प्रतिशत दर से कर देय होगा। अधिभार दर में भी कुछ बदलाव किया जा सकता है।
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दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष एवं ग्लोब कैपिटल लिमिटेड के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल का कहना है कि सरकार को पूंजीगत लाभकर में कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। इस समय दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर मुक्त है जबकि अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर 15 प्रतिशत की दर से कर लगता है। उन्होंने कहा कि सरकार इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी ऐसी उम्मीद है।
शेयर कारोबार पर लगने वाले प्रतिभूति कारोबार कर (एसटीटी) में शेयर कारोबारियों को राहत देने पर जोर देते हुए अशोक अग्रवाल ने कहा कि बाजार में ट्रेड करने पर जो एसटीटी दिया जाता है उसपर उन्हें आयकर में छूट मिलनी चाहिए। ट्रेडर बाजार में तरलता बढ़ाने में मदद करते हैं इसलिए उन्हें एसटीटी पर कर राहत दी जानी चाहिए।
वित्त मंत्री अरूण जेटली एक फरवरी को मोदी सरकार का पांचवां व अंतिम पूर्ण बजट पेश करेंगे।
पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क पर एसोचैम अप्रत्यक्ष कर समिति के चेयरमैन निहाल कोठारी ने कहा कि सरकार कटौती कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के साथ ही घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीजल के दाम चढ़ गए हैं। ऐसे में खुद पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद शुल्क घटाने की मांग की है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कच्चे तेल के बढ़ते दाम और शेयर बाजार की तेजी में अचानक आने वाली कोई भी गिरावट को जोखिम बताया है। भारत के कच्चे तेल के औसत आयात मूल्य में चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक 14 फीसद वृद्धि हो चुकी है और 2018-19 में इसमें 10-15 फीसद और वृद्धि का अनुमान है।
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सुब्रमणियम ने कहा यदि कच्चे तेल के दाम 10 डॉलर प्रति बैरल तक और बढ़ते हैं तो जीडीपी पर 0.2-0.3 फीसद तक असर पड़ सकता है। मुद्रास्फीति भी इतनी ही बढ़ सकती है। इससे चालू खाते का घाटा भी बढ़ सकता है।
कार्पेारेट कर की दर कम करने की उम्मीद
बिमल जैन ने कहा कि कार्पेारेट कर की दर को मौजूदा 30 से 34 प्रतिशत के बजाय कम कर 25 से 28 प्रतिशत के दायरे में लाया जाएगा ऐसी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने पहले बजट में कंपनी कर को चार साल में 30 से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने की घोषणा की थी। इस दिशा में शुरुआत हुई है लेकिन इसमें ठोस पहले की जरूरत है।
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उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर के मुख्य अर्थशास्त्री डा. एस.पी. शर्मा ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए निर्माण कार्य, खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि रोजगार बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियां भी तेज हो सकें।
लाभांश पर कर लगाने की आशंका
लाभांश वितरण कर पर एसोचैम अप्रत्यक्ष कर समिति के चेयरमैन निहाल कोठारी ने कहा कि वित्त मंत्री कंपनियों के लिए लाभांश वितरण कर (डीडीटी) समाप्त कर सकते हैं। निवेशकों के हाथ में लाभांश मिलने पर वहां कर लगाया जा सकता है। कंपनियों के प्रवर्तक सहित कई बड़े निवेशक हैं जिन्हें लाभांश के रूप में बड़ी राशि प्राप्त होती है जिसपर उन्हें कोई कर नहीं देना होता है। मौजूदा व्यवस्था में कंपनियों को लाभ पर कंपनी कर देने के साथ साथ लाभांश वितरण कर भी देना होता है। जबकि लाभांश पाने वाले पर कोई कर नहीं बनता। आगामी बजट में यह व्यवस्था बदल सकती है। लाभांश पाने वाले को कर देना पड़ सकता है।
गांव कनेक्शन-इनपुट भाषा
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