हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में बनेंगे पासपोर्ट : सुषमा स्वराज  

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   23 Jun 2017 6:09 PM GMT

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हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में बनेंगे पासपोर्ट : सुषमा स्वराज   पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज। समारोह में संचार मंत्री मनोज सिन्हा और विदेश राज्य मंत्रियों वी के सिंह तथा एम जे अकबर ने भी हिस्सा लिया।

नई दिल्ली (भाषा)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज घोषणा की कि अब से पासपोर्ट केवल अंग्रेजी में नहीं बल्कि अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में होंगे। पासपोर्ट प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे बदलावों में सुषमा स्वराज ने घोषणा की कि जिन आवेदकों की आयु आठ वर्ष से कम या 60 वर्ष से अधिक है उन्हें पासपोर्ट शुल्क में 10 फीसदी की छूट दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि तत्काल पासपोर्ट के लिए आवेदन करते समय राशन कार्ड जमा किए जा सकते हैं। राशन कार्ड जमा करने का विकल्प मिलने से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बहुत मदद मिलेगी जिनके पास पैन कार्ड नहीं होता।

वर्तमान में पासपोर्ट पर निजी जानकारी केवल अंग्रेजी भाषा में ही छापी जाती है और सुषमा स्वराज के मुताबिक उन्हें इस बारे में काफी शिकायतें मिली हैं।

पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह में सुषमा ने कहा, पासपोर्ट कम से कम दो भाषाओं में होने चाहिए। सभी अरब देशों में पासपोर्ट अरबी में होते हैं, जर्मनी में जर्मन भाषा में और रुस में रुसी भाषा में होते हैं, हम इन्हें हिंदी में क्यों नहीं बना सकते?

उन्होंने कहा, ' 'अब, हमने नासिक प्रिंटिंग प्रेस को आदेश दिया है कि पासपोर्ट हिंदी में भी होने चाहिए। इसलिए आपको पासपोर्ट हिंदी और अंग्रेजी में मिलेंगे। ' '

डाक विभाग ने इस मौके पर एक स्मृति डाकटिकट जारी किया। समारोह में संचार मंत्री मनोज सिन्हा और विदेश राज्य मंत्रियों वी के सिंह तथा एम जे अकबर ने भी हिस्सा लिया। सुषमा ने कहा कि बुजुर्ग लोगों के पासपोर्ट की मांग में इजाफा हुआ है।

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उन्होंने बताया कि आठ साल से कम और 60 साल से अधिक उम्र के आवेदकों के लिए पासपोर्ट शुल्क में 10 प्रतिशत की कटौती कल से लागू होगी।

उन्होंने कहा कि वैदिक काल में आठ साल की उम्र में बच्चा गुरुकुल जाता था और 60 वर्ष की आयु के बाद वानप्रस्थ आश्रम शुरू होता था। सुषमा ने कहा कि उन्हें पासपोर्ट प्राप्त होने में लोगों को कठिनाइयां होने की शिकायतें मिल रही थीं तथा पासपोर्ट नियमों का अध्ययन करने के बाद उन्हें लगा कि कुछ नियम अनावश्यक, अप्रचलित या अव्यावहारिक हैं।

                     

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