किसानों की रैली में कर्ज से पूर्ण मुक्ति, उत्पाद का लाभकारी मूल्य पर दो विधेयकों के मसौदे पारित
गाँव कनेक्शन 20 Nov 2017 7:11 PM GMT

नई दिल्ली। देश में किसानों और कृषि क्षेत्र की समस्या को उजागर करने के लिए आज राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित किसान मुक्ति संसद सम्मेलन में इस क्षेत्र को रिण बोझ से पूर्ण मुक्ति दिलाने और कृषि उपजों का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के विषय में दो प्रस्ताव पारित किए गए जिन्हें सम्मेलन ने विधेयक कहा।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन में देश भर से भारी संख्या में किसान आए। समन्वय समिति में पूरे देश के 180 किसान संगठन शामिल हैं।
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अखिल भारतीय किसान सभा के नेता अशोक धावले ने कहा, ''आज पारित इन विधेयकों को लोकसभा में सांसद राजू शेट्टी (राष्ट्रीय शेतकरी स्वाभिमान पक्ष) और राज्यसभा में मार्क्सवादी पार्टी के केके रागेश निजी विधेयक के रुप में पेश करेंगे।'' एआईकेएससीसी के अनुसार ईंधन (डीजल), कीटनाशक और उर्वरक के साथ पानी जैसी लागतों में निरंतर वृद्धि तथा सरकारी सब्सिडी में कटौती किया जाना कृषि की लागत और आय में बढते असंतुलन का मुख्य कारण है।
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आल इंडिया किसान सभा के कार्यकर्ता भूपेंद्र सिंह बताते हैं, ''दो बिल यंहा पास हुए उसके लिए बाधइ लेकिन अब हमें अपने लिए और सरकार दोनों के लिए टाइम तय करना होगा, ताकि तय टाइम में ये पूरा हो। किसान अब बंटने न पाएं।''
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अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा, ''प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई राज्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर बोनस नहीं देगा और अब गुजरात के विधानसभा चुनाव से पहले, जबकि कपास की कीमत काफी कम हो गयी हैं, गुजरात सरकार ने कपास पर प्रति गांठ 500 रुपये बोनस देने की घोषणा की है। लेकिन अब सवाल है कि कर्नाटक अथवा महाराष्ट्र, पंजाब अथवा तमिलनाडु के किसानों का क्या होगा?
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उन्होंने कहा कि यह नीति किसानों के भले के लिए नहीं बल्कि उन्हें अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का हथकंडा है। किसानों ने धमकी दी कि अगर मोदी सरकार ने इन निजी विधेयकों को पारित नहीं किया तो उन्हें वर्ष 2019 में लोकसभा के चुनावों में पराजय का सामना करना पड़ेगा।
(इनपुट भाषा से)
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