अगर योजनाओं में बिचौलियों को दूर रखें तो खुल सकती है किसानों की लाटरी
Sanjay Srivastava 7 March 2018 2:02 PM GMT

नयी दिल्ली। किसानों और सरकार में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है। संसद की एक समिति ने सिफारिश की है कि किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने के मकसद से सरकार को अपनी प्रस्तावित योजनाओं को लागू करते समय बिचौलियों को बाहर रखना चाहिए। साथ ही यह कोशिश करना चाहिए की उदार वित्तपोषण पद्धति अपनाए।
हुकुमदेव नारायण यादव की अगुवाई वाली कृषि मामले की संसद की एक स्थायी समिति ने कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले तीन विभाग- कृषि एवं सहकारिता, कृषि शोध एवं शिक्षा, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन की अनुदान मांगों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति ने खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के लिए अनुदान मांगों पर भी एक रिपोर्ट को पेश किया।
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि नीति आयोग, केन्द्र और राज्य सरकारों के परामर्श के साथ एक त्रुटिमुक्त व्यवस्था स्थापित करेगा ताकि किसानों को एमएसपी का लाभ सुनिश्चित किया जा सके।
रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति इस बात को रेखांकित करती है कि संबंधित राज्यों में पैदा होने वाले दलहनों, तिलहनों और मोटे अनाजों की खरीद के लिए एक विकेन्द्रित योजना के रूप में बाजार आश्वासन योजना (एमएएस) का प्रस्ताव किया गया है। इन अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) केन्द्र सरकार घोषित करती है। केन्द्र सरकार, राज्य की एजेंसियों को इस मद में होने वाले घाटे के 40 प्रतिशत तक के हिस्से की भरपाई करेगी।
समिति ने कहा कि ये योजनाएं विचाराधीन हैं तथा समिति ने उम्मीद व्यक्त की कि नीति आयोग योजनाओं को लागू करने की प्रक्रिया में अंशधारकों के साथ परामर्श की प्रक्रिया को पूरा करेगा।
रिपोर्ट में हालांकि समिति ने सरकार से अपनी इच्छा जताई है कि योजना में उपयुक्त उपाय किए जाए ताकि योजना को लागू करते समय बिचौलियों को बाहर रखने की व्यवस्था हो सके।
किसानों के कर्ज और उनकी आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए समिति ने सिफारिश की है कि सरकार को आत्महत्या करने वाले किसान परिवारों के पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज देने के लिए एक नीति तैयार करनी चाहिए और इस कार्य की देखरेख के लिए तत्काल कोई व्यवस्था अपनाई जानी चाहिए।
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इनपुट भाषा
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