‘जीएसटी से देश के कारोबारी समुदाय में हलचल’ 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   15 Feb 2018 3:20 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
‘जीएसटी से देश के कारोबारी समुदाय में हलचल’ जीएसटी 

नयी दिल्ली। देश में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में 64 प्रतिशत भारतीयों ने कहा है कि इससे उनके कारोबार में व्यावधान पैदा हुआ है। आईएफएसी का यह सर्वेक्षण आनलाइन किया गया। इसमें 1,200 लोगों से पूछताछ की गई।

इंटरनेशनल फैडरेशन आफ एकाउंटेंट्स (आईएफएसी) के लिए हैरिस पोल द्वारा 30 अक्तूबर से 2 नवंबर 2017 के बीच किए गए इस सर्वेक्षण में जीएसटी लागू होने के बाद लेखा पेशेवरों के समक्ष आने वाले कुछ अहम मुद्दों पर बातचीत की गई।

ये भी पढ़ें- कृषि संकट को समझने के लिए बुलाया जाए विशेष संसद सत्र : पी. साईनाथ

लेखा क्षेत्र के पेशेवरों की इस वैश्विक संस्था के सर्वेक्षण में कहा गया कि जब पिछले साल शुरू कि, जीएसटी जैसे सबसे अहम आर्थिक सुधार के बारे में पूछा गया तो 64 प्रतिशत भारतीय कारोबारियों ने कहा कि उनका मानना है कि जीएसटी क्रियान्वयन ने भारतीय व्यावसायिक समुदाय के लिए परेशानियां खड़ी की हैं।

ये भी पढ़ें- आखिर कब तक सड़कों पर सब्जियां फेंकने को मजबूर होते रहेंगे किसान 

ये भी पढ़ें- किसान प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए करें हनुमान चालीसा का पाठ, मध्य प्रदेश के पूर्व भाजपा विधायक की सलाह

इसके अलावा सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वालों में से 76 प्रतिशत ने कहा कि जीएसटी का अनुपालन करने के लिए एक लेखा पेशेवर साथ में होना जरूरी हो गया है।

देश से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

देश में एक जुलाई 2017 से जीएसटी व्यवस्था लागू की गई। इसका मकसद अप्रत्यक्ष व्यवस्था में लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों का समाधान करना है। खासतौर से लघु एवं मध्यम उद्यमों के मामले में जीएसटी से कई तरह के अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो गए और कर प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता आई है।

ये भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश में अब किसानों को मोबाइल पर मिलेगा नज़दीकी मंडियों का भाव

इनपुट भाषा

फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

         

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.