ई-वे बिल एक अप्रैल से लागू करने की सिफारिश
Sanjay Srivastava 24 Feb 2018 5:37 PM GMT
नयी दिल्ली। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत ट्रांसपोर्टरों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के वास्ते जरूरी इलेक्ट्रॉनिक वे-बिल का इस्तेमाल एक अप्रैल से लागू किया जाना चाहिए। जीएसटी परिषद के तहत गठित राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक समूह ने आज यह सिफारिश की है।
मंत्री समूह के प्रमुख और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 50,000 रुपए से अधिक मूल्य के माल के अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए जरूरी इस व्यवस्था को प्रतिक्रिया का आकलन करते हुये चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा
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देश में एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया गया। इसमें ई-वे बिल की शुरुआत को तब आगे के लिए टाल दिया गया था। सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क तैयार नहीं होने की वजह से इसे टाला गया था। इसके बाद एक फरवरी से इसे शुरू किया गया लेकिन सिस्टम धराशाई हो जाने की वजह से इसका क्रियान्वयन फिर टाल दिया गया।
सुशील मोदी ने कहा कि मंत्री समूह की सिफारिशों पर जीएसटी परिषद की बैठक में गौर किया जायेगा। जीएसटी परिषद की अगली बैठक 10 मार्च को होगी।
माना जा रहा है कि ई-वे बिल के अमल में आने से कर चोरी रुकेगी और राजस्व प्राप्ति में 15 से 20 प्रतिशत तक वृद्धि होगी। ई-वे बिल माल के आवागमन के लिए लिया जाने वाला एक इलेक्ट्रानिक वे बिल है जिसे जीएसटीएन (सामान्य पोर्टल) से निकाला जा सकता है। इस नई व्यवस्था के तहत 50,000 रुपए से अधिक के माल का परिवहन बिना ई-वे बिल लिए नहीं किया जा सकेगा।
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ई-वे बिल को एसएमएस के जरिए निकाला अथवा निरस्त किया जा सकता है। जब भी कोई ई-वे बिल निकाला जाता है तो उसके तहत एक विशिष्ट ई-वे बिल नंबर आवंटित किया जाता है। यह नंबर आपूर्तिकर्ता, प्राप्तिकर्ता और ट्रांसपोर्टर सभी को उपलब्ध करा दिया जाता है।
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इनपुट भाषा
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