भारत के सौर ऊर्जा टैरिफ में पिछले 16 माह में 40 फीसदी की गिरावट ने दुनिया में पैदा की क्रांति
Sanjay Srivastava 13 May 2017 12:01 PM GMT
नई दिल्ली (आईएएनएस)। देश के सौर ऊर्जा के टैरिफ में पिछले 16 महीनों में 40 फीसदी की नाटकीय गिरावट दर्ज की गई है, जिसने सभी प्रकार के बाजार अनुमानों को पीछे छोड़ दिया है और ऊर्जा में परिवर्तन की इस लहर का असर दुनिया भर में देखा जा रहा है। ऐसा संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया में पहले से देखा जा रहा है।
क्लीवलैंड स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एनर्जी इकॉनामिक्स एंड फाइनेंसियल एनालिस (आईईईएफए) के निदेशक टिम बकले ने ईमेल के माध्यम से दिए साक्षात्कार में कहा, "भारत सरकार की नीति अक्षय ऊर्जा की तरफ बढ़ने तथा अधिक महंगे जैविक ऊर्जा से दूर हटने की है। इससे देश के नेतृत्व को मजबूत वैश्विक समर्थन मिला है।"
भारत के सौर ऊर्जा टैरिफ में गिरावट एक नई ऊंचाई तक पहुंच गई है और अब यह 2.62 रुपए प्रति यूनिट हो गई है, जोकि महज तीन महीने पहले बने पिछले रिकार्ड से 12 फीसदी कम है।
भारत ने 2015 में पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जिसका लक्ष्य जैविक ईंधन के जलाने से होनेवाले ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना है। बकले ने कहा कि भारत में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारी निवेश देखा जा रहा है।
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उन्होंने कहा, "प्रमुख वित्तीय संस्थान जैसे ब्रुकफील्ड, मक्वैरी समूह, गोल्डमैन सैक्स, मार्गन स्टेनले और सॉफ्टबैंक तथा प्रमुख वैश्विक उपभोक्ता कंपनियां ईएनईआईई, ईएनईएल, ईडीएफ, फोर्टम दुनियाभर में नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन कर रही है। इस क्षेत्र में भारी मात्रा में निवेश किया जा रहा है, जिससे भारी मात्रा में रोजगार पैदा हो रहा है।"
उल्लेखनीय है कि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर अगले '10 साल की विद्युत योजना' बनाई है। इसके तहत साल 2027 तक 275 गीगाबाइट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य है, साथ ही जलविद्युत परियोजनाओं से 72 गीगाबाइट और परमाणु ऊर्जा से 15 गीगाबाइट उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
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