मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने बताई किसानों को एमएसपी की सही परिभाषा
Sanjay Srivastava 25 March 2018 1:51 PM GMT
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में कहा कि इस साल के बजट में एक प्रमुख निर्णय लिया गया जिससे तहत सरकार ने किसानों को अधिसूचित फसलों की लागत का कम से कम डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि फसलों की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करते समय किसान के श्रम सहित उसके द्वारा किए गए प्रत्येक खर्च को ध्यान में रखा जाएगा।
किसान कल्याण की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि, यह तय किया गया है कि अधिसूचित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उनकी लागत का कम-से-कम डेढ़ गुणा घोषित किया जाएगा। अगर मैं विस्तार से बताऊँ तो एमएसपी के लिए जो लागत जोड़ी जाएगी, उसमें दूसरे श्रमिकों का मेहनताना, अपने मवेशी, मशीन या किराए पर लिए गए मवेशी या मशीन का ख़र्च, बीज का मूल्य, उपयोग की गई हर तरह की खाद का मूल्य, सिंचाई का ख़र्च, राज्य सरकार को दिया गया भूमि राजस्व, लगाई गई पूंजी के ऊपर दिया गया ब्याज़ तथा अगर ज़मीन पट्टे पर ली है तो उसका किराया शामिल है।
इतना ही नहीं, किसान जो ख़ुद मेहनत करता है या उसके परिवार में से कोई कृषि-कार्य में श्रम योगदान करता है, उसका मूल्य भी उत्पादन लागत में जोड़ा जाएगा।
मोदी ने कहा कि इसके अलावा, किसानों को फसल की उचित क़ीमत मिले इसके लिए देश में कृषि विपणन सुधार पर भी बहुत व्यापक स्तर पर काम हो रहा है। गाँव की स्थानीय मंडियां जिसमें थोक मूल्य बाजार और वैश्विक बाजार से जुड़े - इसका प्रयास हो रहा है।
उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बहुत दूर नहीं जाना पड़े, इसके लिए देश के 22 हज़ार ग्रामीण हाटों को ज़रुरी आधारभूत ढांचे के साथ उन्नत बनाने के अलावा एपीएमसी और ई-नैम प्लेटफार्म के साथ जोड़ा जाएगा। यानी एक तरह से खेत से देश के किसी भी बाजार को जोड़ने की व्यवस्था बनाई जा रही है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में किसानों से लेकर लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि डॉ अम्बेडकर की जन्म जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल से 5 मई तक ग्राम-स्वराज अभियान आयोजित किया जा रहा है। इसके तहत पूरे भारत में ग्राम-विकास, ग़रीब-कल्याण और सामाजिक-न्याय पर अलग-अलग कार्यक्रम होंगे। आप सभी इस अभियान में हिस्सा लें ।
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इनपुट एजेंसियां
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