निजता का अधिकार जानें कब क्या हुआ

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   24 Aug 2017 1:46 PM GMT

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निजता का अधिकार जानें कब क्या हुआदेश के सर्वोच्च न्यायालय का एक और अहम फैसला आया। 

नई दिल्ली (भाषा)। सुप्रीम कोर्ट ने देश के प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करने वाले अपने आज के ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया।निजता के अधिकार मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का घटनाक्रम।

सात जुलाई 2017 :- तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि आधार को लेकर उठ रहे मुद्दों पर अंतिम व्यवस्था बड़ी पीठ देगी और संविधान पीठ के गठन की जरुरत पर निर्णय भारत के प्रधान न्यायाधीश करेंगे।

सात जुलाई :- मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष उठाया गया, सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन।

18 जुलाई:- पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित करने के संबंध में फैसले के लिए नौ न्यायाधीशों की पीठ के गठन का फैसला लिया।

नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ (प्रधान न्यायाधीश जे. एस. खेहर, न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे, न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर) निजता के मामले की सुनवाई करेंगे।

19 जुलाई:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार पूर्ण नहीं हो सकता, नियमन किया जा सकता है।

19 जुलाई:- केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।

26 जुलाई :- कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब और पुडुचेरी, गैर-भाजपा शासित चार राज्य निजता के अधिकार के पक्ष में न्यायालय पहुंचे।

26 जुलाई :- केंद्र ने न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार हो सकता है, लेकिन कुछ अपवादों शर्तों के साथ।

27 जुलाई:- महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि निजता का अधिकार कोई 'इकलौती' चीज नहीं है, यह व्यापक विचार है।

एक अगस्त:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक मंच पर व्यक्ति की निजी सूचनाओं की सुरक्षा के लिए ' 'विस्तृत ' ' दिशा-निर्देश होने चाहिए।

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दो अगस्त:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रौद्योगिकी के दौर में निजता की सुरक्षा का सिद्धांत एक ' 'हारी हुई लड़ाई ' ' है, फैसला सुरक्षित रखा।

24 अगस्त:- सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया।

              

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