तिहाड़ के कैदियों का ‘वाह ओ’ परफ्यूम बिखेरेंगे आपकी जिंदगी में खुशबू
Sanjay Srivastava 17 Feb 2018 6:08 PM GMT
नयी दिल्ली। तिहाड़ जेल के कैदियों के बनाए परफ्यूम को बाजार में 'वाह ओ' नाम से शीघ्र लांच किया जाएगा। यह परफ्यूम पांच खुशबुओं चंदन, गुलाब, मोगरा, चमेली लेवेंडर में लोगों की जिंदगी में सुगंध को बिखेरेगा। इन पांचों खुशबुओं के परफ्यूम के पहले संस्करण को 'वाह ओ नफीस ब्रांड' नेम दिया गया है।
तिहाड़ जेल प्रशासन लगातार कैदियों की जिंदगी आसान करने में मदद कर रहा है। कैदियों को रिहाई के बाद रोजगार के अवसर मुहैया कराने और इस बाबत सजा के दौरान कौशल विकास प्रशिक्षण से लैस करने की पहल के तहत तिहाड़ प्रशासन ने जेल में स्कूल ऑफ परफ्यूम एंड फ्रेगरेंस की शुरुआत की है। इस स्कूल में कैदियों को परफ्यूम बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
खास बात यह है कि सामाजिक कार्यकर्ता और मशहूर अभिनेत्री नफीसा अली इस परफ्यूम की ब्रांड एंबेसडर होंगी। कैदियों द्वारा निर्मित परफ्यूम को बाजार में वाह ओ नाम से लॉंच किया जाएगा।
केन्द्र सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम के तहत शुरू किए गए अपने तरह के इस अनूठे संस्थान का उद्घाटन कल हुआ था, इस अवसर पर महानिदेशक अजय कश्यप और नफीसा अली भी मौजूद थे।
तिहाड़ केन्द्रीय कारागार की जेल नंबर सात में शुरू किया गया यह स्कूल लघु एवं सूक्ष्म औद्योगिक इकाई का आदर्श नमूना है, जिसे स्थापित करने एवं संचालित करने में न्यूनतम संसाधनों का इस्तेमाल किया गया है। महानिदेशक अजय कश्यप ने बताया कि इस तरह की यूनिट लगाने के लिए काफी कम लागत, छोटी जगह और मामूली मशीनरी की जरूरत होती है।
कश्यप ने बताया कि संस्थान और उत्पादन इकाई का संचालन कैदी ही करेंगे। इसमें कैदी कर्मचारी या श्रमिक के रूप में नहीं बल्कि संचालनकर्ता के रूप में काम करेंगे, जिससे उनमें उद्यमिता का भी विकास होगा। इत्र कारोबारियों के राष्ट्रीय संगठन भारतीय परफ्यूम संघ ने तिहाड़ कैदियों की वाह ओ ब्रांड को बाजार में बढ़ावा देने में सकारात्मक सहयोग देने की पहल की है।
संगठन के सचिव जयदीप गांधी ने इसे जेल प्रशासन की कारगर पहल बताते हुए संगठन की ओर से इस ब्रांड की मार्केटिंग में भरपूर सहयोग देने का भरोसा दिलाया। तिहाड़ जेल से खुशबुओं के कारोबार को आगे बढ़ाते हुए इसके दूसरे चरण में अगरबत्ती, सूखी सुगंधित पत्तियों के मिश्रण से निर्मित रूम फ्रेशनर और खुशबू बिखेरने वाले डिफ्यूसर भी कैदियों द्वारा बनाए जाएंगे।
कारोबार का दस प्रतिशत मुनाफा कैदी कल्याण कोष और 25 प्रतिशत मुनाफा अपराध पीड़ित कल्याण कोष में दिया जाएगा।
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इनपुट भाषा
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