नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में गन्ना किसानों के लिए एफआरपी बढ़ाने का फैसला किया गया है। किसानों को अब 290 रुपए प्रति कुंटल का रेट मिलेगा। ये रेट 10 फीसदी चीनी की रिकवरी पर लागू होगा। 9.5 फीसदी या उससे कम रिकवरी पर 275.50 पैसे का रेट मिलेगा। गन्ने में प्रति कुंटल बढ़ोतरी 5 रुपए की है, जबकि पिछले साल 10 रुपए प्रति कुंटल की बढ़ोतरी हुई थी। सरकार के दावे के मुताबिक बढ़ी हुई एफआरपी के बाद किसानों को अगले साल इस वर्ष 91000 करोड़ की तुलना में करीब एक लाख करोड़ रुपए मिलेंगे।
एफआरपी (FRP) यानि उचित एवं लाभकारी मूल्य का वो उचित मूल्य होता है जिसके नीचे चीनी मिलें देशभर में गन्ना किसानों को भुगतान नहीं कर सकती है। एफआरपी के ऊपर कई राज्य एसएपी घोसित करती हैं। कई चीनी मिलें किसानों को लाभ पर बोनस भी देती हैं।
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने कृषि एवं लागत मूल्य आयोग की सिफारिश पर ये फैसला किया है। सरकार ने कहा कि गन्ना का रेट बढ़ाए जाने से देश के 5 करोड़ गन्ना किसान उनके परिवार और चीनी मिलों के साथ ही सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को इसका फायदा मिलेगा। ये निर्णय गन्ना किसान और उपभोक्ता दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
चीनी पेराई सत्र 2021-22 के लिए चीनी मिलों द्वारा देय गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) के निर्धारण को मंजूरी की जानकारी देते हए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दिल्ली में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में गन्ने की एफआरपी बढ़ाने का निर्णय हुआ है। ये मूल्य 10 फीसदी रिकवरी पर आधारित है। इसके आगे प्रति दशमलव एक (.1) फीसदी रिकवरी पर 2 रुपए 90 प्रति कुंटल अतिरिक्त दिया जाता है। न्यूनतम जो बेसिक प्राइज को भी 9.5 फीसदी पर रोका गया है। अगर किसी किसान के गन्ने की रिकवरी 9.5 फीसीद से कम होती है तो उसे 9.5 फीसदी पर आधारित 275.50 रुपए प्रति कुंटल का भाव मिलेगा।”
लागत मूल्य पर 87 फीसदी रिटर्न- सरकार
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि एवं लागत मूल्य आयोग की सिफारिश के अनुसार जो रेट तय किए गए हैं उसके अनुसार किसानों को लागत मूल्य पर करीब 87 फीसदी रिटर्न मिल रहा है। हम लोगों ने स्वामीनाथन कमीशन के अनुसार लागत पर 50 फीसदी का वादा किया था लेकिन 290 रुपए का रेट में A2 और एफएल को मिला दें तो 87 फीसदी रिटर्न है। उन्होंने कहा, भारत शायद वो पहला देश है जो गन्ने और चीनी की कीमत के अनुपात में चीनी के रेट का किसानों को 90-91 फीसदी को दे रहा है। विश्व स्तर पर ये आंकड़ा 70-75 फीसदी है। इसके एवज में हम लोगों ने इथेनॉल का निर्माण तेज कराया है और चीनी के एक्सपोर्ट पर ध्यान दिया है चीनी इंडस्ट्री भी संभली रहे और उपभोक्ताओं पर बोझ न पड़े।”
डीजल के बढ़े रेट के अनुसार हो गन्ने के रेट में बढ़ोतरी
एक तरफ जहां सरकार कह रही है कि लागत पर 87 फीसदी रिटर्न दे रहे हैं वहीं किसान कुछ और कह रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार को किसान डीजल की महंगाई के अनुपात में गन्ने का रेट बढ़ाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में बिजनौर जिले में तिसोत्रा गंव के किसान कुलवीर सिंह (56 वर्ष) कहते हैं, “5 रुपए प्रति कुंटल बढ़ाने से क्या होगा। पिछले एक साल में 37 रुपए लीटर डीजल महंगा हो चुका है। यूपी में एसएपी लगाने के बाद हमें 325 रुपए कुंटल का दाम मिलता है, लेकिन सही मायने में ये रेट कम से कम 400 रुपए हो तभी किसानों का फायदा है।”
वो आगे कहते हैं, “पंजाब ने 360 रुपए प्रति कुंटल का रेट (SAP) घोषित किया है, जबकि वहां बिजली मुफ्त है। यूपी में तो देश की सबसे महंगी बिजली है। इसलिए यहां तो रेट उसी अनुपात में और ज्यादा होना चाहिए।”
FRP में लागत और मुनाफे का गुणभाग समझ नहीं आता- धर्मेंद्र मलिक
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक गांव कनेक्शन से कहते हैं, “मुझे एफआरपी और एफआरपी दोनों का फॉर्मूला समझ नहीं आता जबकि राज्य उसके ऊपर एसएपी घोषित करती हैं। ये कह रहे हैं कि 87 फीसदी ज्यादा है जबकि यूपी का राष्ट्रीय गन्ना संस्थान पिछले साल अपनी रिपोर्ट में कह चुका है कि गन्ने की प्रति कुंटल लागत 285 रुपए है। इस बार तो डीजल ही इतना महंगा हो गया है फिर ये गुणाभाग किस आधार पर है।”
पंजाब और यूपी में अगले साल चुनाव हैं दोनों जगह किसान मुखर हैं। 24 अगस्त को पंजाब की कैप्टन सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्शित मूल्य 360 रुपए प्रति कुंटल घोषित किया है जो पड़ोसी राज्य हरियाणा से 2 रुपए प्रति कुंटल ज्यादा है। वहीं यूपी में गन्ने की एएसपी 325 रुपए प्रति कुंटल है। अक्टूबर से शुरु होने जा रहे नए चीनी पेराई सत्र में योगी आदित्यनाथ सरकार पर भी एसएपी बढ़ाने का दबाव रहेगा।
वहीं दूसरी ओर मुज्फफरनगर में होने जा रही किसान की महापंचायत में किसान गन्ने के मूल्य और बकाए का मुद्दा उठाएंगे।
महाराष्ट्र में पिछले चालू पेराई सत्र में किसानों को 2800 से 3000 रुपए प्रति टन (10 कुंटल) का रेट मिला है। महाराष्ट्र में गन्ना किसान, शुगर मिल इंड्रस्टी और सुगर एक्सपोर्ट से लेकर इथेनॉल तक की बात को लेकर भारतीय शुगर के प्रेसिडेंट (टेक्निकल) और डेक्कन शुगर के वाइस प्रेसिडेंट (टेक्निकल) विक्रम सिंह शिंदे फोन पर कहते हैं, “हमारे यहां तो किसानों को 280- 300 रुपए का कुंटल का रेट मिला था। कुछ मिल ने और अच्छा रेट दिया था। पिछले दो साल चीनी मिल इंड्स्ट्री के लिए अच्छे गए हैं। एक्सपोर्ट में चीनी को अच्छा रेट मिल रहा है। पिछले वर्ष और इस वर्ष भी बारिश अच्छी रहती है तो हमें लगता है 15 अक्टूबर से शुरु होने वाला आगामी सीजन भी ठीक रहेगा।”
सरकार ने कहा- चीनी एक्सपोर्ट और इथेनॉल निर्माण से हो रहा सुधार
पीयूष गोयल ने कहा, “पिछले साल लगभग 70 लाख टन के चीनी एक्सपोर्ट के कंट्रैक्ट हुए हैं। जिसमें 55 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट हो चुकी है, 15 लाख के लिए प्रक्रिया पाइप लाइन में है। सरकार ने अतिरिक्त चीनी का एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए काफी सुविधाएं दी थी। किसानों को जल्द से जल्द गन्ने का भुगतान हो जाए इसलिए सुगर एक्सपोर्ट को भी प्रोत्साहन किया गया।” केंद्र सरकार ने पिछले दिनों बताया था एक्सपोर्ट के लिए 6000 रुपए प्रति टन की मदद दी गई थी।
सरकार ने कहा कि देश में इथेनॉल का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है। पहले तीन वर्षों में कुल मिलकार 22000 करोड़ रुपए सुगर इंड्रस्ट्री को मिले थे। वहीं पिछले साल अकेले 15000 करोड़ रुपए इथेनॉल से आमदनी हुई। अभी देश में पेट्रोल में 7-7 फीसदी इथेनॉल की मिलावट होती है। अगले अगले ढाई से तीन वर्षों में लगभग 20 फीसदी हो जाएगा। यनि आज तो 15000 करोड़ रुपए मिल रहे हैं। वहीं बढ़कर 40000 करोड़ इस सेक्टर को मिलेंगे। जिससे किसानों का गन्ने का तुरंत भुगतान हो सकेगा।
गन्ना किसानों व उपभोक्ताओं के हित में आज PM @NarendraModi जी के नेतृत्व में सरकार द्वारा गन्ने का FRP मूल्य ₹290/- प्रति क्विंटल करने का निर्णय लिया गया।
इससे चीनी का निर्यात व इथेनॉल का उत्पादन बढेगा, तथा गन्ना किसानों को भी समय से भुगतान होगा। #KisanKiSarkar pic.twitter.com/9cemPceOXM
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) August 25, 2021
गन्ना किसानों का कितना है बकाया?
सरकार ने कहा कि चीनी एक्सपोर्ट और इथेनॉल निर्माण से इंडस्ट्री की स्थिति सुधरी है। किसानों का भुगतान समय पर हो रहा है। आज से 2 वर्ष पहले (2019-20) 76000 करोड़ कुल गन्ना किसानों को भुगतान करना था, जिसमें से लगभग 75700 करोड़ का भुगतान हो चुका है। यानि करीब 142 करोड़ बाकी है। वहीं 2020-21 में 91000 करोड़ (90,872 करोड़ रुपए) के गन्ने की खरीद हुई जिसमें से 86000 करोड का भुगतान हो चुका है। जो ये बताता है कि केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं के कारण गन्ना किसानों को जहां पहले सालों साल भुगतान के लिए इंतजार करना पड़ता था वो अब तुरंत हो रहा है। पीएम मोदी की लगातार चिता रही है कि गन्ना किसानों का समय पर भुगतान मिला।
किसानों को प्रति कुंटल गन्ने का क्या रेट मिलेगा?
290 रुपया प्रति कुंटल गन्ने का राष्ट्रीय रेट है लेकिन किसानों को भुगतान राज्यों द्वारा जारी किए जाने वाले एसएपी (राज्य परामर्शित मूल्य) और रिकवरी पर होगा। जैसे पंजाब सरकार ने 24 अगस्त को 360 रुपए प्रति कुंटल की एसएपी तय की है। वहां किसानों को गन्ने का अधिकतम मूल्य 360 रुपए मिलेगा। दूसरी समझने वाली बात ये है कि केंद्र सरकार ने जो 290 रुपए तय किए हैं वो 10 फीसदी रिकवरी हैं। जबकि 9.5 फीसदी से कम रिकवरी होने पर 275.50 रुपए प्रति कुंटल का ही भुगतान होगा।