निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,बरकरार रहेगी दोषियों की फांसी की सजा
निर्भया कांड में 3 दोषियों पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सभी दोषियों की अपील खारिज करते हुए तीनों की फांसी की सजा बरकरार रखी है।
गाँव कनेक्शन 9 July 2018 8:40 AM GMT
नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट चार में से तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर फैसला आ गया है। तीनों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रहेगी। सर्वोच्च अदालत ने तीनों दोषियों की याचिका को खारिज कर दिया है।
साल २०१२ में हुए देश को हिलाने वाले ही साहूमिक दुष्कर्म केस में चार में से तीन दोषियों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। निर्भया कांड की पीड़िता के पिता बद्रीनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए ठोस कदम उठाये जाएं। वहीं, उनकी मां आशा देवी ने कहा है कि घटना के छह साल बीत गये। हमें उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा और हमें न्याय मिलेगा।
Appeal to PM to take concrete steps against atrocities towards women & young girls: Badrinath Singh, father of 2012 Delhi gang-rape victim
— ANI (@ANI) July 9, 2018
SC will announce verdict on review pleas filed by 3 of the 4 convicts seeking reduction of their death sentence to a life term, today pic.twitter.com/a7mLoBbNhI
It has been 6 years since the incident. Similar incidents are still taking place everyday, our system has failed us. We are confident that the judgement will be in our favour & we will get justice: Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim. pic.twitter.com/BVUV3gpz8B
— ANI (@ANI) July 9, 2018
क्या हुआ था 16 दिसंबर, 2012 की रात
16 दिसंबर 2012 की वो रात दिल्ली के चेहरे पर एक बदनुमा दाग की तरह बन गई। एक चलती बस में पांच बालिग और एक नाबालिग दरिंदे ने 23 साल की निर्भया के साथ हैवानियत का जो खेल खेला, उसे जानकर हर देशवासी का कलेजा कांप उठा। वह युवती पैरामेडिकल की छात्रा थी। दिल्ली में 16 दिसम्बर की उस रात निर्भया फिल्म देखने के बाद अपने पुरुष मित्र के साथ एक बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी। बस में सवार होने के बाद उसने देखा कि बस में केवल पांच से सात यात्री सवार थे। अचानक वे सभी निर्भया के साथ छेड़छाड़ करने लगे। उस पर तंज कसने लगे। बस में उनके अलावा कोई और यात्री नहीं था। निर्भया के मित्र ने इस बात का विरोध किया। लेकिन उन सब लोगों ने उसके साथ भी मारपीट शुरु कर दी। उसे इतना पीटा गया कि वो लड़का बेहोश हो गया। निर्भया बस में अकेली और मजबूर थी। अब वे सारे दरिंदे निर्भया पर टूट पड़े। निर्भया उन दरिंदों से अकेली जूझती रही। उन सबने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया। यही नहीं उनमें से एक ने जंग लगी लोहे की रॉड निर्भया के गुप्तांग में घुसा डाली थी। इस हैवानियत की वजह से उसकी आंते तक शरीर से बाहर निकल आईं थी।
इससे पहले कोर्ट कार्यवाही में क्या हुआ?
इस मामले में निचली अदालत ने 10 सितंबर 2013 को फैसला सुनाया था। उसने 4 दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय फांसी की सजा दी थी। इन चारों को बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार, डकैती और हत्या का दोषी माना गया।13 मार्च 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस सज़ा को बरकरार रखा था। इस मामले में कुल 6 आरोपी थे। एक आरोपी राम सिंह की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी। जबकि एक आरोपी नाबालिग था। इसलिए, उसे बाल सुधार गृह भेजा गया। वो 3 साल सुधार गृह में बिताकर रिहा हो चुका है।
साभार: एजेंसी
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