निर्भया केस: सु्प्रीम कोर्ट का फैसला, दोषियों की फांसी की सजा रहेगी बरकरार
गाँव कनेक्शन 9 July 2018 9:38 AM GMT
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में तीन दोषियों के मौत की सजा संबंधी दायर समीक्षा याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा है। इस तरह से निर्भया के सभी दोषियों को फांसी की सजा होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि समीक्षा याचिका पर उस वक्त गौर किया जाता है जब उसमें कोई ऐसा बिंदु हो जो पहले अदालत में उठाया न गया हो या उसे नजरअंदाज किया गया हो। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने आरोपी विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश सिंह की याचिकाओं पर ये फैसला सुनाया।
क्या हुआ था 16 दिसंबर, 2012 की रात
एक चलती बस में पांच बालिग और एक नाबालिग दरिंदे ने 23 साल की निर्भया के साथ हैवानियत का जो खेल खेला, उसे जानकर हर देशवासी का कलेजा कांप उठा। वह युवती पैरामेडिकल की छात्रा थी। दिल्ली में 16 दिसम्बर की उस रात निर्भया फिल्म देखने के बाद अपने पुरुष मित्र के साथ एक बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी। बस में सवार होने के बाद उसने देखा कि बस में केवल पांच से सात यात्री सवार थे। अचानक वे सभी निर्भया के साथ छेड़छाड़ करने लगे। उस पर तंज कसने लगे। बस में उनके अलावा कोई और यात्री नहीं था। निर्भया के मित्र ने इस बात का विरोध किया। लेकिन उन सब लोगों ने उसके साथ भी मारपीट शुरु कर दी। उसे इतना पीटा गया कि वो लड़का बेहोश हो गया। निर्भया बस में अकेली और मजबूर थी। अब वे सारे दरिंदे निर्भया पर टूट पड़े। निर्भया उन दरिंदों से अकेली जूझती रही। उन सबने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया। यही नहीं उनमें से एक ने जंग लगी लोहे की रॉड निर्भया के गुप्तांग में घुसा डाली थी।
It has been 6 years since the incident. Similar incidents are still taking place everyday, our system has failed us. We are confident that the judgement will be in our favour & we will get justice: Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim. pic.twitter.com/BVUV3gpz8B
— ANI (@ANI) July 9, 2018
कुछ भी नहीं बदला: निर्भया की मां
निर्भया की मां आशा देवी का कहना है, ''नहीं, कुछ भी नहीं बदला। लड़कियों के लिए तो बिलकुल भी नहीं. आज भी हर रोज़ कहीं ना कहीं हर घंटे ऐसी घटनाएं हो रही हैं। लड़कियां आज भी सुरक्षित नहीं है, दिल्ली जैसे शहरों में भी नहीं। इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ लोग सड़कों पर उतरे, फिर भी रोज़ाना ऐसी घटनाएं हो रही हैं। इसमें बड़ी नाकामी हमारी न्याय व्यवस्था की है। वह अपनी उसी पुरानी चाल में चलती रहती है।"
इससे पहले कोर्ट कार्यवाही में क्या हुआ?
इस मामले में निचली अदालत ने 10 सितंबर 2013 को फैसला सुनाया था। उसने 4 दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय फांसी की सजा दी थी। इन चारों को बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार, डकैती और हत्या का दोषी माना गया।13 मार्च 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस सज़ा को बरकरार रखा था। इस मामले में कुल 6 आरोपी थे। एक आरोपी राम सिंह की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी। जबकि एक आरोपी नाबालिग था। इसलिए, उसे बाल सुधार गृह भेजा गया। वो 3 साल सुधार गृह में बिताकर रिहा हो चुका है।
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