किसी का घर ढूंढने के लिए बार-बार नहीं पड़ेगा पूछना, आधार की तर्ज पर अब हर घर का होगा यूनिक कोड
Karan Pal Singh 25 Nov 2017 6:17 PM GMT
अब जल्द ही लोगों का पता ढूंढने के लिए किसी पान वाले, राह चलते लोगों या परचून की दुकान में पूंछना नहीं पड़ेगा। क्योंकि डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए अब एक और प्रयोग 'ई-एड्रेस' नामक योजना होने जा रही है।
जाहिर है अगर हम डिजिटल हो रहे हैं। तो घर का पता भी तो डिजिटल होना चाहिए। अब तक घर का पता लंबा चौड़ा लिख डालते थे, लेकिन जल्द ही आधार के तर्ज पर ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि बस एक कोड से घर का पता मालूम चल जाएगा। यानी पते की जगह सिर्फ एक कोड लिखा जाएगा। स्थलीय सर्वेक्षण के माध्यम से किसी भी पते को छह नंबर-अक्षर का कोड दिया जाएगा, जिसके माध्यम से उस जगह तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। मतलब यह हुआ कि आधार की ही तरह अब हर घर का यूनीक कोड होगा।
इंडिया पोस्ट (दिल्ली सर्कल), असिस्टेंट डायरेक्टर पीसी शर्मा ने बताया, "इस योजना के लिए शुरुआती तौर पर दिल्ली और नोएडा को चुना गया है। इसके लिए दिल्ली के दो पिन कोड व नोएडा के एक पिन कोड क्षेत्र को चिह्नित किया जाना है।"
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बोकारो, झारखंड में सहायक डाक अधीक्षक विश्वजीत राय ने बताया, "दिल्ली और नोएडा के अलावा बोकारो में यह काम किया जाना है।" वहीं, मैप माइ इंडिया के प्रबंध निदेशक राकेश वर्मा ने कहा, "आज डिजिटल युग में हर पते को एक डिजिटल पहचान की जरूरत है। इसके लिए दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर स्मार्ट डिजिटल एड्रेस सिस्टम (एसडीएएस) पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला लिया गया है।"
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आधार की तरह हर घर का होगा यूनीक कोड
आधार की ही तरह अब हर घर का यूनीक कोड होगा। यह उस घर की डिजिटल पहचान होगी, जिसमें पते का पूरा विवरण समाहित होगा। यानी चिट्ठी में पते की जगह अब बस एक कोड दर्ज करना होगा, चिट्ठी पते पर पहुंच जाएगी। गूगल मैप पर यदि लोकेशन ढूंढना है, तो पूरा पता लिखने की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ यूनीक कोड डालने से लोकेशन सामने आ जाएगी।
योजना की पायलट प्रोजेक्ट से हो रही शुरुआत
अब सरकार आधार की तरह ही लोगों के अड्रेस को भी डिजिटल करना चाहती है। संचार मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डाक विभाग को इस पायलट प्रॉजेक्ट के लिए आदेश दिया गया है। इस प्रॉजेक्ट के तहत तीन पिन कोड लोकेशन वाली प्रॉपर्टी के लिए एक 6 अक्षरों वाला डिजिटल ई-एड्रेस दिया जाएगा।
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चुनी गईं तीन जगहें
सरकार की ई-एड्रेस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए डाक विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। इसमें उसका साथ मैप माई इंडिया कंपनी दे रही है। योजना की शुरुआती दिल्ली, नोएडा और बोकारो से की जानी है।
ऐसे बनेगा कोड
आपके घर या ऑफिस के पते की जियो टैगिंग की जाएगी। यानी रिमोट सेंसिंग के जरिये उसकी जियोग्राफिक लोकेशन को दर्ज किया जाएगा। इससे यह लोकेशन डिजिटल मैप से कनेक्ट की जा सकेगी। आपसे मोबाइल नंबर व परिवार के एक या दो सदस्यों का आधार नंबर भी लिया जाएगा।
डाक विभाग सॉफ्टवेयर के जरिए जारी करेगा कोड
मैप माई इंडिया के मौजूदा ई-लॉक सॉफ्टवेयर की तर्ज पर डाक विभाग एक सॉफ्टवेयर तैयार करेगा। जिसके जरिये डिजिटल कोड जेनरेट किया जाएगा। छह डिजिट का यह कोड अल्फा न्यूमेरिक होगा, यानी यह अंकों और अल्फाबेट का मिलाजुला रूप होगा। इसमें घर की लोकेशन, गली, मोहल्ला, जिला, राज्य और देश मैप पर टैग रहेगा।
डिजिटल कोड से इन्हें होगा फायदा
घर का डिजिटल कोड मिलने से जरूरी सेवाओं को फायदा होगा। इनमें फायर सर्विस, डाक विभाग, ई-कॉमर्स वेबसाइट्स शामिल हैं, जिन्हें अक्सर पार्सल या डाक पहुंचाने के लिए घर का पता खोजना पड़ता है। गाँव और दूरदराज के इलाकों में भी ई-कॉमर्स की पहुंच आसान हो जाएगी। लॉजिस्टिक और ट्रांसपोर्टेशन के माध्यम से सामान दिए हुए गंतव्य तक पहुंचाना आसान हो जाएगा। मैपमाईइंडिया की ओर से जारी बयान के मुताबिक ई-लॉक से भारतीय पर्यटकों और यात्रियों को डेस्टिनेशन सर्च करने, नेवीगेट करने और शेयर करने में आसानी होगी। इससे लॉजिस्टिक्स सर्विस और फील्ड ऑपरेशन वाली कंपनियों का समय और पैसा बचेगा।
गाँव तक भी बढ़ेगी पहुंच
शहरों के साथ-साथ गाँव को भी इस डिजिटल कोड से जोड़ा जाएगा। गाँव के लिए भी 6 डिजिट का कोड होगा। ई-लॉक ऐप के जरिए गांव तक पहुंचना आसान होगा। ई-लॉक न सिर्फ आपके डेस्टिनेशन का मैप लोकेशन दिखाएगा बल्कि उस लोकेशन से जुड़ी फोटो और आसपास की जगह भी दिखाएगा।
छह नंबर का होगा कोड
स्थलीय सर्वेक्षण के माध्यम से किसी भी पते को छह नंबर-अक्षर का कोड दिया जाएगा, जिसके माध्यम से उस जगह तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा।
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