अब खरीद केंद्रो से सीधे किसान के खाते में जाएगा पैसा

Manish MishraManish Mishra   26 July 2019 12:22 PM GMT

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अब खरीद केंद्रो से सीधे किसान के खाते में जाएगा पैसा

लखनऊ। यूपी में किसानों को बिचौलियों और लालफीताशाही से बचाने के लिए सरकार खरीफ सीजन से नया नियम बनाने जा रही है। सरकारी खरीद केन्द्रों पर अनाज बेचने पर पैसा सीधे किसानों के खातों में जाएगा।

'गाँव कनेक्शन' से विशेष बातचीत में खाद्य आयुक्त आलोक कुमार ने कहा, "कई बार केन्द्र प्रभारी लापरवाही कर देते हैं, या पैसा उपलब्ध नहीं हो पाता है, इसलिए जैसे ही दिन भर की खरीद की ऑनलाइन जानकारी हमारे अकाउंट अफसर के पास आ जाएगी। उसके तुरंत बाद किसान के खातों में सीधे पैसा भेज दिया जाएगा।"

इस नए नियम के प्रारूप को कैबिनेट से संस्तुति के बाद इसी साल खरीफ सीजन से लागू कर दिया जाएगा।

किसान का बैंक अकाउंट होना चाहिए सही

इस व्यवस्था में जो सबसे बड़ी दिक्कत आती है वह किसान का अकउंट। किसान का अकाउंट सही होना चाहिए। कभी-कभी खतौनी किसानों की होती है और अकाउंट बिचौलियों का भी होता है। इसके लिए किसानों के रजिस्ट्रेशन से आने वाली जानकारी को भूलेख वेबसाइट से लिंक किया जाएगा।

किसान का बैंक अकाउंट भी सही होना चाहिए। कई बार डिजिट भरते समय गलत नंबर लिख जाता है, या किसान बिचौलियों का अकाउंट नंबर दे देते हैं,आलोक कुमार ने कहा, "खतौनी तो किसान की इस्तेमाल होती है, लेकिन बैंक अकाउंट बिचौलियों का दे देते हैं। इसलिए पंजीकरण के बाद 15 दिन के समय में बैंक अकाउंट की पुष्टि कराएंगे। इससे पता चल सकेगा कि असली खतौनी धारक का ही अकाउंट नंबर है।"

हर जानकारी की जाएगी ऑनलाइन

उत्तर प्रदेश में धान खरीद वर्ष 2019-2020 के लिए किसान ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 25 जुलाई से शुरू हो गया है। इसके लिए किसान को खाद्य और रसद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in पर जाकर पंजीकरण कराना होगा।

खरीद केन्द्र से लेकर राइस मिल (चावल मिल) तक की हर जानकारी ऑनलाइन की जाएगी। इस बारे में खाद्य आयुक्त ने कहा, "सरकारी खरीद केन्द्रों पर धान खरीदने के बाद राइस मिलर को देते हैं। धान का डिस्पैच (भेजना) भी राइस मिलर को केन्द्र प्रभारी ऑनलाइन करेगा। ताकि हम देख पाएंगे कि केन्द्र प्रभारी ने कितना भेजा है और कितना केन्द्र पर बचा। इसी तरह मिलर एक मॉड्यूल बना कर आगे चावल एफसीआई को डिस्पैच करता है और उसका डिटेल ऑनलाइन रखेगा तो हम देख पाएंगे कि कब धान दिया और कब उसने डिस्पैच किया। इसी तरह बिल भी ऑटोमेटिक जेनरेट हो जाएंगे।"

खाद्य विभाग के पास पिछले रबी और खरीफ सीजन को मिलाकर करीब नौ लाख किसानों का डाटा है, जिसे वेरीफाई कराया जा रहा है। जिनमें दिक्कत होगी उन्हें सही करने को बोला जाएगा।

ये भी पढ़ें- धान खरीद के लिए 25 जुलाई से होगा रजिस्ट्रेशन, किसान इन बातों का रखें ध्यान

चावल मिलों को संकर धान पर दे रहे हैं तीन पर्सेंट ज्यादा राशि

प्रदेश में लगातार बढ़ रही संकर धान के बाद चावल मिलों द्वारा इसे खरीदने के ना नुकुर करने की शिकायतों पर आलोक कुमार ने कहा, "संकर धान के लिए हम पिछले साल से तीन पर्सेंट एक्सट्रा मिलर को दे रहे थे। साधारण किस्म में 67 प्रतिशत चावल की डिमांड करते हैं, जबकि संकर धान में 64 प्रतिशत की डिमांड करते हैं। इसके बाद से ऐसी शिकायतें नहीं आईं।"

इसी के साथ किसानों से खरीद केन्द्रों पर उगाही की शिकायतों पर सलाह देते हुए खाद्य आयुक्त ने कहा, "इसके लिए किसानों को भी जागरूक होना पड़ेगा, कई बार धान गीला होने और गंदगी होने के नाम पर वसूली की भी शिकायतें आती हैं, इसलिए हम किसानों से कहते हैं कि धान सुखा कर लाएं। अगर किसानों को कहीं भी प्रताड़ित किया जाता है तो टोल फ्री नंबर 18001800150 पर कॉल करें।"

    

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