दूध उत्पादन में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ कर बने नंबर वन, हर दिन 600 लीटर दूध बेचता है यह पशुपालक
दामोदर हर दिन 600 लीटर दूध बेचते हैं। अगर एक दिन का हिसाब लगाया जाए तो 30 रुपए के हिसाब से 18,000 रुपए का दूध बेच देते हैं। उनकी देखा-देखी गाँव में कई लोगों ने पशुपालन का व्यवसाय शुरू कर दिया है।
Ankit Kumar Singh 19 Sep 2020 1:31 PM GMT

कैमूर (बिहार)। "आज से 25 साल पहले मैंने लोगों से कर्ज लेकर एक गाय खरीदी थी और उस एक गाय से दूध का व्यापार शुरू किया था। तब हर दिन छह लीटर दूध होता था, और आज 600 लीटर दूध उत्पादन होता है," दामोदर सिंह बताते हैं।
बिहार के कैमूर जिले में रामगढ़ ब्लॉक के ठकुरा गाँव के रहने वाले दामोदर सिंह आज अपने क्षेत्र में पशुपालन के व्यवसाय में अपना अलग मुकाम बना चुके हैं। यही वजह है कि उनकी देखा-देखी गाँव के लोग भी पशुपालन में अपना हाथ आजमाने लगे और उनसे सीखने और सलाह लेने के लिए आते रहते हैं।
शाहाबाद क्षेत्र की मिल्क यूनियन से दामोदर दूध उत्पादन में तीन बार पहला स्थान हासिल कर चुके हैं और तीनों बार उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ कर पहले स्थान पर कब्ज़ा जमाया। दामोदर का सपना है कि वह अपनी डेयरी में 600 गाय-भैंस रखें।
कैमूर जिले के ठकुरा गाँव में आबादी करीब 2,200 है मगर इस गाँव में सात से ज्यादा दूध केंद्र हैं। दामोदर के मुताबिक, आज कई ग्रामीण पशुपालन से जुड़ चुके हैं और पूरे गाँव में हर दिन कम से कम तीन हजार लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है।
साल 1995 में एक गाय खरीद कर दामोदर ने शुरू किया था पशुपालन। फोटो : गाँव कनेक्शन
दामोदर 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "पहले मैंने सेना में जाना चाहा, मेरे कई मित्र सरकारी नौकरी पा गए, मगर मुझे सफलता नहीं मिली, परिवार का मैंने बहुत पैसा भी बर्बाद किया, मगर आज जब देखता हूँ तो मुझे लगता है मैं ज्यादा बेहतर स्थिति में हूँ।"
"साल 1995 में मैंने एक गाय खरीद कर पशुपालन करना शुरू किया था, उस समय छह लीटर दूध पैदा होता था, धीरे-धीरे आज मेरे पास 100 गाय-भैंस हो चुकी हैं, और दिन पर दिन मैं अपने व्यवसाय को और बढ़ा रहा हूँ, मेरी दिली इच्छा है कि कम से कम 600 गाय अपने पास रखूं," दामोदर कहते हैं।
दामोदर हर दिन 600 लीटर दूध बेचते हैं। अगर एक दिन का हिसाब लगाया जाए तो 30 रुपए के हिसाब से 18,000 रुपए का दूध बेच देते हैं, महीने भर में करीब 5.40 लाख रुपये का व्यापार होता है।
दामोदर बताते हैं, "हर दिन अगर 18,000 रुपये मिलते हैं तो करीब इसका आधा जानवरों के खाने-पीने और कर्मचारियों के वेतन में भी निकल जाता है, इसके अलावा दूध से पनीर और छेना भी बनाता हूँ, तो करीब 30 हजार रुपये महीने का उससे भी हो जाता है।"
अपने पशुपालन के व्यवसाय में आज भी दामोदर आधुनिकता से काफी दूर हैं मगर चाहते हैं कि बिहार सरकार अगर पशुपालकों को सुविधाएं दें तो वह जरूर इसका फायदा लेंगे।
दामोदर बताते हैं, "अब तो बड़ी-बड़ी कंपनियां आ गई हैं, बड़ी-बड़ी मशीनें भी आ गई हैं, मगर आज भी हम हाथ से दूध दोहते हैं, हम उन मशीनों को खरीद भी सकते हैं, मगर वो मशीनें ख़राब हो गईं तो हम कहाँ सुधरवाने जायेंगे, इसके लिए सरकार को पशुपालकों को जमीनी सुविधाएं देनी चाहियें।"
"जैसे कि जानवरों के गोबर का उपयोग खाद के रूप में करने के लिए कोई कंपनी स्थापित करे, तो पशुपालक और किसान और आगे बढ़ सकते हैं। हमारे पास गोबर इतना निकलता है कि खेत में भी एक जरूरत भर ही डाल सकते हैं। उसके बाद जो गोबर बचता है, वह बर्बाद होता है। इसके अलावा दूध से कई उत्पाद बनते हैं लेकिन बाजार नहीं है। इसके लिए सरकार को मदद करनी चाहिए," दामोदर आगे कहते हैं।
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