21 तारीख़ को किसान लखनऊ एयरपोर्ट के सामने करेंगे योग, पूरे देश में होगा आंदोलन

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21 तारीख़ को किसान लखनऊ एयरपोर्ट के सामने करेंगे योग, पूरे देश में होगा आंदोलनमध्य प्रदेश में आंदोलन करते किसान।

धीरज मिश्रा/ शुभम कौल

सरकार की किसान नीतियों के ख़िलाफ़ विरोध जताने के लिए भारतीय किसान यूनियन ने 21 तारीख़ को योग दिवस के मौक़े पर देश की तमाम सड़कों के साथ लखनऊ एयरपोर्ट के सामने योग करने का फ़ैसला लिया है। मालूम हो कि 21 तारीख़ को योग दिवस के मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस बार लखनऊ में योग करने के फ़ैसला लिया गया है।

संगठन के मंडल अध्यक्ष हरिनाम वर्मा ने कहा की सरकार चाहे जितनी पुलिस और फ़ोर्स लगा ले इस बार देश का किसान एयरपोर्ट के सामने योग करेगा और प्रधानमंत्री मोदी को जाने नहीं देगा। हम उनसे पिछले 50 सालों का हिसाब लेंगे। सरकार डाकुओं की तरह नीति और क़ानून रूपी तमंचे से किसानों के पैसे छीन के पूँजीपतियों की जेबें भर रही है। वर्मा ने आगे कहा की जब देश का किसान इसी देश की पुलिस द्वारा गोलियों से मारा जा रहा है तो हमारे नेता किसानों का हाल पूछने के बजाय योग करके तमाशा करना चाहते और लोगों का मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहते हैं।

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कृषि की बदहाल होती स्थिति की वजह से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में खड़ा हुआ किसान आंदोलन अब पूरे भारत में फैलाने वाला है। हरिद्वार में आज से शुरू हुआ भारतीय किसान यूनियन की तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर के दौरान संगठन के राष्ट्रीय महासचिव राजपाल शर्मा ने बताया कि जिन समस्याओं को ले कर इन प्रदेशों में किसानों ने लड़ाई शुरू की है अब यह लड़ाई पूरे देश में फैलेगी। इस बार हम आर पार की लड़ाई लड़ेंगे। चाहे कुछ भी हो जाए हम अपना हक़ ले कर ही रहेंगे। उन्होंने बताया कि 23 तारीख़ तक राष्ट्रीय नेतृत्व का एक प्रतिनिधि मंडल मध्यप्रदेश जाएगा और वहाँ के शहीद हुए परिवारों से मुलाक़ात करेगा। उन्होंने बताया कि संगठन अपनी तरफ़ से राशि इकट्ठा करके शहीद हुए किसानों की मदद करेगा।

मालूम हो कि पिछले 27 सालों से भारतीय किसान यूनियन हर साल इस प्रकार के तीन शिविर का आयोजन करता है जिसमें कि कृषि की समस्या और उसके हल पर विचार करते हैं। पहली बार इस शिविर का आयोजन 1989 में महेंद्र सिंह टिकैत की अध्यक्षता में हुआ था।

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भारतीय किसान यूनियन के मथुरा ज़िला अध्यक्ष चौधरी बुद्धा सिंह ने कहा की हम यही बातें पिछले कई सालों से शांतिप्रिय तरीक़े से कह रहे हैं लेकिन किसान की बात स्वीकार नहीं किया जा रहा है। हम अब शांतिप्रिय आंदोलन नहीं करेंगे। हम ज़हर खा लेंगे लेकिन अब इस तरीक़े की निति नहीं सहेंगे।

हालाँकि इस शिविर का अंतिम फ़ैसला 18 तारीख़ को सुनाया जाएगा। लेकिन राजपाल शर्मा ने बताया कि 1967 को आधार वर्ष बनाकर लागत पर सही मूल्य, ख़रीद की व्यवस्था को सही करना, पूरे देश के किसानों का क़र्ज़ माफ़ी और स्वामिनाथन रिपोर्ट को पूरी तरीक़े से लागू करने की हमारी मुख्य माँगे होंगी। भारतीय किसान यूनियन के प्रांतीय महासचिव, उत्तर प्रदेश, ने बताया कि हर साल यहाँ लाखों की संख्या में पूरे देश भर से किसान तीन दिन के लिए इकट्ठा होते हैं और कृषि से सम्बंधित परेशानी और उस पर सुझाव देते हैं। उन्होंने ने बताया की आज लगभग पचास हज़ार तक किसान पहुँच चुके हैं।

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इस शिविर में किसान अपनी कई समस्यों के साथ यहाँ पहचे हैं। फर्रुखाबाद से शिविर में आए 58 वर्षीय किसान जहान सिंह बताते हैं की हम यहाँ अपने क्षेत्र की स्थिति बताने आए हैं। उन्होंने बताया की हमारे यहाँ आलू की स्थिति बहुत ख़राब है। जो आलू पिछले साल 1000 रुपए तक में बिका था वहीं आलू इस साल 150 रुपए तक भी नहीं बिक पाया। गेहूँ की भी यही हालत है। यहाँ सरकारी केंद्र सिर्फ़ बिचौलियों के लिए ही खुलते है। हमें 1625 रुपए का गेहूँ 1200 में बेचना पड़ रहा है।

         

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