नोटबंदी पर SC ने केंद्र से पूछा- लोगों को दोबारा नोट बदलने का मौका क्यों नहीं मिला ?
गाँव कनेक्शन 4 July 2017 1:18 PM GMT
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आठ नवंबर 2016 को लिया गया नोटबंदी का फैसला जिसने पूरे देश को लाइन में लाकर खड़ा कर दिया था। नोटबंदी की घोषणा के वक्त 30 दिसंबर 2016 तक प्रतिबंधित की गई करेंसी को बैंक में जमा कराने का समय दिया गया था, जिसके बाद रिजर्व बैंक ने कहा था कि पुरानी करेंसी को 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में जमा किया जा सकेगा, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए दोबारा मौका क्यों नहीं दिया गया है। SC ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है।
कोर्ट का कहना है कि जिस व्यक्ति का इसको लेकर कोई वाजिब कारण था, उन लोगों का क्या हुआ। दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से देश में लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए 30 दिसंबर तक की डेडलाइन दी हुई थी, वहीं एनआरआई लोगों के लिए ये आखिरी डेट 30 जुलाई तक है। वहीं बैंक 20 जुलाई तक पुराने नोट आरबीआई में जमा करवा सकते हैं।
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गौरतलब है कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और एस के कौल की बेंच ने याचिकाकर्ता की दलील की रिजर्व बैंक ने अपने आखिरी नोटिफिकेशन में सिर्फ उन लोगों को 31 मार्च 2017 तक पुरानी करेंसी को जमा करने की इजाजत दी जो किसी वजह से नोटबंदी के दौरान देश से बाहर मौजूद थे। इस आधार पर याचिकाकर्ता ने इसे रिजर्व बैंक और मोदी सरकार द्वारा वादाखिलाफी करने का दावा किया है।
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आपको बता दें कि नोटबंदी के ऐलान के वक्त 15.44 लाख करोड़ रुपये की प्रतिबंधित करेंसी सर्कुलेशन में थी जिसमें 8.58 लाख करोड़ रुपये की 500 की नोट और 6.86 लाख करोड़ की 1000 रुपये की करेंसी थी।
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